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धर्मांतरण के चार साल बाद की घर वापसी, पति ने कहा था अपने धर्म में चली जाना

जौनपुर जिले में धर्मांतरण में लगे इसाई मिशनरियों के एजेंट प्रायः भोले भाले और परेशानहाल परिवार को टारगेट करते हैं। परिवार की कमजोरी की तलाश करते हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 11:32 AM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 11:32 AM (IST)
धर्मांतरण के चार साल बाद की घर वापसी, पति ने कहा था अपने धर्म में चली जाना
धर्मांतरण के चार साल बाद की घर वापसी, पति ने कहा था अपने धर्म में चली जाना

जौनपुर (मुंगराबादशाहपुर) । धर्मांतरण में लगे इसाई मिशनरियों के एजेंट प्रायः भोले भाले परेशानहाल परिवार को टारगेट करते हैं। परिवार की कमजोरी की तलाश करते हैं। फिर आसानी से उन्हें गुमराह कर अपने मिशन में शामिल कर लेते हैं। हिंदू धर्म को छोड़कर पति की चंगाई के लिए चार साल तक ईसाई मिशन से जुड़ी रही संगीता देवी गुप्ता की कहानी कुछ ऐसा ही बयां करती है। चार साल बाद तिलिस्म में फंसे परिवार का मोह भंग हुआ तो परिवार फिर हिन्दू धर्म में वापस लौट आया।

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संगीता देवी गुप्ता पत्नी स्वर्गीय बृजेश गुप्ता निवासी मोहल्ला गुड़हाई कस्बा मुंगराबादशाहपुर बताती हैं कि उनके पति बहुत बीमार थे। बड़ा बेटा सचिन तेरह साल का, बेटी नेहा 12 साल की, छोटा बेटा अश्वनी 8 साल का था।बृजेश आभूषण बनाने का कारोबार करता था। पूरे परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी उसी के कंधे पर थी। उसका इलाज चल रहा था लेकिन कोई लाभ नहीं हो रहा था। उसी दौरान पूरऊपुर में प्रार्थना सभा आयोजित करने वाले ईसाई मिशनरियों के एजेंट मेरे घर आए और कहा कि तुम पति व परिवार को प्रभु यीशु के दरबार में ले चलो, ए चंगा हो जाएंगे और आपका परिवार खुशहाल हो जाएगा। परिवार गुमराह हो गया और ईसाई मिशन में शामिल हो गया। हिंदू देवी देवताओं की पूजा बंद कर दिया यीशु की प्रार्थना करने लगा। इस दौरान बीमार चल रहे बृजेश गुप्ता की हालत और गंभीर हो गई। साल भर से अधिक समय मिशन ने आते जाते हो चुका था लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। 15 सितंबर 2013 को उनकी मौत हो गई। मृत्यु के समय उसने अपनी पत्नी व बच्चों से कहा सनातन हिंदू धर्म सर्वश्रेष्ठ है तुम अपने धर्म में वापस चली जाना यीशु को छोड़ देना।

पति की आज्ञा से पत्नी मिशन में जाना बंद कर दी लेकिन मिशनरियों के एजेंट फिर उसके घर पहुंचे उसका ब्रेनवाश किया। घर में यीशु की प्रार्थना आयोजित की गई। उसके बाद परिवार फिर मिशन में आने जाने लगा। तीन साल तक फिर मिशन से जुड़ा रहा। अंततः परिवार का मोह भंग हो गया और पुनः अपने हिंदू धर्म में वापस लौट आया। घर में देवी देवताओं की मूर्तियां सजा दिया और पूजा पाठ करने लगा। उसके बाद कई बार ईसाई मिशन के लोग उसके पास आए देवी देवताओं की पूजा बंद करने को कहा और मिशन से जुड़े रहने का दबाव बनाया लेकिन महिला का आत्मविश्वास कम नहीं हुआ। उसने कड़े शब्दों में उन लोगों से कह दिया कि उसके दरवाजे पर कभी न आएं वह सनातनी हिंदू है और देवी देवताओं की पूजा करेंगी। पूरा परिवार अब हिंदू धर्म में आस्था रखता है और देवी देवताओं की पूजा करता है।


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