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chandrayaan-2 चांद पर भारतीय दबदबा के गवाह बने बनारसी, सभी में रात भर दिखा गजब का उत्साह

बहुत ही भावुक व गौरवान्वित करने वाला पल था। आंखों में चमक थी तो चेहरे पर गर्व का भाव। वैश्विक फलक पर विश्व गुरु बनने की ओर बढ़ते भारतीय कदम का यह गवाह भी था।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sat, 07 Sep 2019 09:09 AM (IST)Updated: Sat, 07 Sep 2019 10:18 AM (IST)
chandrayaan-2 चांद पर भारतीय दबदबा के गवाह बने बनारसी, सभी में रात भर दिखा गजब का उत्साह
chandrayaan-2 चांद पर भारतीय दबदबा के गवाह बने बनारसी, सभी में रात भर दिखा गजब का उत्साह

वाराणसी, जेएनएन। बहुत ही भावुक व गौरवान्वित करने वाला पल था। आंखों में चमक थी तो चेहरे पर गर्व का भाव। वैश्विक फलक पर विश्व गुरु बनने की ओर बढ़ते भारतीय कदम का यह गवाह भी था। धार्मिक व आध्यात्मिक क्षेत्र में दबदबा कायम कर चुके भारत ने चंद्रयान-2 के जरिए वैज्ञानिक व सामरिक क्षेत्र में भी बादशाहत के लिए यह एक दस्तक थी। आखिरकार चांद पर जाने वाले चंद देशों की श्रेणी में भारत भी शुमार हो गया। चांद पर उतरते चंद्रयान को देखने के बाद काशीवासियों ने अपने अंदाज में देखा।

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आज की ऐतिहासिक रात को युवाओं ने सबसे अधिक तवज्जो दी। रात करीब 11 बजे से ही शहर के कई हिस्सों में युवा सामूहिक रूप से इसे देखने का बंदोबस्त कर चुके थे। कहीं प्रोजेक्टर तो कहीं डबल स्क्रीन टीवी पर चंद्रयान लैंडिंग का नजारा देखने को लोग आतुर थे। खासकर बीएचयू के आइटी जिमखाना में जुटे आइटी के छात्र इस मिशन की महत्ता पर चर्चा करते देखे गए। करीब साढ़े दस बजे वहां छात्रों की भीड़ उमडऩे लगी थी।

इसरो ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से 22 जुलाई को यह मिशनलॉन्च किया था। उसी समय इसे देशवासियों ने उपलब्धि के रूप में लिया था। एक-एक दिन जैसे-जैसे बीतता गया वैसे-वैसे आम नागरिकों की जिज्ञासा भी बढ़ती गई। आम नागरिक जिन्हें विज्ञान के बारे में कोई जानकारी नहीं थी वे लोग भी चंद्रयान-2 को लेकर काफी जिज्ञासु थे। खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद तो सभी देशवासियों में इसके प्रति जोश दिखा। सबसे अहम यह कि चंद्रयान मिशन इस कदर आम लोगों से जुड़ा कि चाय-पान की दुकानों पर लगी अड़ी में यह चर्चा होने लगी कि उसका वजन कितना है, कितने दिन में पहुंचेगा, पृथ्वी का कितना चक्कर लगाएगा और उसमें कितना समय लगेगा। ये सब प्रश्न यह बताने को काफी था कि वैज्ञानिकों की मेहनत को जनता ने किस कदर सिर आंखों पर ले रखा था।


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