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Chandauli लापरवाही की हदें पार कर गई थी चीनी कंपनी, चार साल में 20 फीसद ही पूरा किया काम

कानपुर से पीडीडीयू तक होने वाले सिग्नल एवं टेलीकमिकेशनल के कार्य को चार साल में चीनी कंपनी ने महज बीस फीसदी ही पूरा किया जबकि इस कार्य की अवधि फरवरी 2021 तक ही है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 19 Jun 2020 10:21 AM (IST)Updated: Fri, 19 Jun 2020 10:21 AM (IST)
Chandauli लापरवाही की हदें पार कर गई थी चीनी कंपनी, चार साल में 20 फीसद ही पूरा किया काम
Chandauli लापरवाही की हदें पार कर गई थी चीनी कंपनी, चार साल में 20 फीसद ही पूरा किया काम

चंदौली, जेएनएन। कानपुर से पीडीडीयू तक होने वाले सिग्नल एवं टेलीकमिकेशनल के कार्य को चार साल में चीनी कंपनी ने महज बीस फीसदी ही पूरा किया है, जबकि इस कार्य की अवधि फरवरी 2021 तक ही है। सवाल यह उठता है कि चार साल में महज इतना ही कार्य हुआ है तो शेष बचे आठ माह में काम कैसे पूरा होगा। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का जवाब देने तक की कंपनी जहमत नहीं उठाई थी। लापरवाही की हदें पार हुई तो डीएफसीसीएल ने 471 करोड़ रुपये का टेंडर ही निरस्त कर दिया। अचानक इतने बड़े टेंडर के निरस्त होने से चर्चाओं का बाजार गर्म है।

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चीन की मेसस बिजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च एंड डिजाइनिंग इंस्टीटयूट आफ सिग्नल एंड कम्यूनिकेशनल ग्रुप कंपनी लिमिटेड को कानपुर से डीडीयू तक 417 किलोमीटर तक सिग्नल एवं टेलीकमिकेशनल के काम को पूरा करना था लेकिन काम की गति काफी धीमी रही। कच्छप गति से कार्य होने के कारण ही चार साल में महज 20 फीसदी की कार्य किया गया। कंपनी की लापरवाही की हद तो यह रही कि मानक के अनुरूप सामग्री नहीं दी जाती थी और न ही समय से डिजाइन बनवाया जा रहा था। कंपनी के इंजीनियर व जिम्मेदार लोग अक्सर साइड से गायब रहते हैं। जब डीएफसीसी पत्रक के माध्यम से जवाब मांगती तो कंपनी के लोग जवाब तक नहीं देते थे। 471 करोड़ के टेंडर के निरस्त होने के बाद से हर ओर चर्चाएं ही चल रही हैं।

स्वदेशी कंपनी को मिलेगा काम, प्रवासियों को मिलेगा रोजगार

चीनी कंपनी का टेंडर निरस्त होने के बाद स्वदेशी कंपनियों को काम मिलने की उम्मीद जगी है। वहीं प्रवासियों को रोजगार भी मिलने की चर्चा दबी जुबान से चल रही है। आधिकारिक सूत्रों की माने तो चीनी कंपनी की लापरवाही से टेंडर निरस्त हुआ है। जब छोटे छोटे भागों में स्वदेशी कंपनियों को काम दिया जाएगा तो कोरोना काल में घर आए लोगों रोजगार भी मिलेगा। पहले से भी लोग ट्रैक पर काम कर रहे हैं। डीएफसीसी चीफ जनरल मैनेजर ओमप्रकाश ने बताया कि चीनी कंपनी बेहद लापरवाह है। काम की गति इतनी धीमी थी कि तय अवधि तक उसे पूरा नहीं किया जा सकता है। कंपनी के इंजीनियर व जिम्मेदार लोग खुद ही लापरवाह बने रहते थे।


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