ऑयल मिल में सीबीआइ टीम का छापा, बैंक से लिए 1,036 करोड़ रुपये लोन की जांच varanasi news
सारनाथ के आशापुर स्थित एक ऑयल मिल में मंगलवार को सीबीआइ की पांच सदस्यों की टीम ने छापा मारकर बैंक से लिए 22 सौ करोड़ों रुपये का आय व्यय दस्तावेजों की जांच कर रही है।
वाराणसी, जेएनएन। सारनाथ के आशापुर स्थित एक ऑयल मिल में मंगलवार को सीबीआइ की पांच सदस्यों की टीम ने छापा मारकर बैंक से लिए 1,036 करोड़ रुपये का आय व्यय दस्तावेजों की जांच कर रही है। लखनऊ की सीबीआइ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सीबीआइ राघवेंद्र वत्स के नेतृत्व में आशापुर स्थित झुनझुनवाला ऑयल फैक्टरी में छापा मारा गया। जिसमें वर्ष 2010 से लेकर अब तक के बैंकों से लिए गए लोन वह खर्च विवरण के दस्तावेजों की जांच किए तथा महत्वपूर्ण कागजात को भी देखा।
बैैंकों के साथ धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ सीबीआइ ने देशव्यापी अभियान शुरू किया है। इसके तहत एक साथ 42 एफआइआर दर्ज करते हुए जांच एजेंसी ने देशभर में लगभग 190 स्थानों पर छापा मारा। सीबीआइ के अनुसार 42 मामलों में बैकों को 7200 करोड़ रुपये से अधिक का चूना लगाया गया। जिन कंपनियों व उनके मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की गई हैैं, उनमें कानपुर की फास्ट इंफ्रास्ट्रक्टर एंड एनर्जी और बनारस की जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज शामिल हैं। सीबीआइ ने छापे में घोटाले से संबंधित अहम दस्तावेज बरामद होने का दावा किया है।
सीबीआइ के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, बनारस स्थित जेवीएल एग्रो इंडस्ट्री के निदेशकों ने कंपनी के फर्जी बैलेंस शीट, स्टॉक और बैैंक स्टेटमेंट दिखाकर बैैंक ऑफ बड़ौदा से 518 करोड़ रुपये का कर्ज लिया। साथ ही इतना ही कर्ज पंजाब नेशनल बैैंक से भी लिया। बाद में बैैंकों से मिले पैसे को अपनी दूसरी कंपनियों में स्थानांतरित कर दिया। इस तरह दोनों बैैंकों के कुल 1,036 करोड़ रुपये डूब गए। सीबीआइ ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कर्ज देने की साजिश में शामिल डीएन झुनझुनवाला, एसएन झुनझुनवाला, आदर्श झुनझुनवाला, अंजु झुनझुनवाला व रजनी पांडेय के साथ-साथ दोनों बैैंकों के अज्ञात अधिकारियों को भी आरोपित किया है। इसी के साथ कंपनी के फर्जी दस्तावेज बनाने वाले चार्टर्ड एकाउंटेंट राजेश विश्वकर्मा को भी आरोपित किया गया है।