मुख्यमंत्री तक पहुंचा फर्जी नियुक्तियों का प्रकरण, सीएम कार्यालय ने एसएसपी से तलब की रिपोर्ट
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में फर्जी नियुक्ति प्रकरण मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वाराणसी से रिपोर्ट तलब की है।
वाराणसी, जेएनएन। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में फर्जी नियुक्ति प्रकरण मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच गया है। फर्जी नियुक्ति के संबंध में प्रिंट मीडिया में प्रकाशित समाचारों की कटिंग संलग्न कर मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत की गई है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से रिपोर्ट तलब की है। वहीं एसएसपी ने चेतगंज थाने के इंस्पेक्टर से विस्तृत सूचना मांगी है।
चेतगंज थाने के इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार राय 26 अगस्त को जांच करने विश्वविद्यालय पहुंचे थे। चीफ प्रॉक्टर प्रो. आशुतोष मिश्र से वायरल हो रहे चार फोटो से जालसाजों की पहचान की कोशिश की। फर्जी नियुक्ति से संबंधित शिकायत पत्र की प्रतिलिपि भी ली। चीफ प्रॉक्टर से जानकारी लेकर जांच की। दूसरी ओर फर्जी नियुक्ति का प्रकरण मुख्यमंत्री तक पहुंचने के बाद विश्वविद्यालय में खलबली मची हुई है। कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल ने इस संबंध में चीफ प्रॉक्टर से पूछताछ की। चीफ प्रॉक्टर से उन्होंने पूरे प्रकरण के उच्च स्तरीय जांच के लिए एसएसपी को पत्र लिखने का निर्देश दिया है। चीफ प्रॉक्टर पूरे दिन फर्जी नियुक्ति के संबंध में साक्ष्य जुटाने में लगे रहे। चीफ प्रॉक्टर करीब 40 पेज का विवरण तैयार कर चुके हैं। इसमें जालसाज से पाणिनी भवन के कक्ष में बैठकर नियुक्ति पत्र बांटते फोटोग्राफ, तथाकथित चार जालसाज युवकों का नाम, मोबाइल नंबर, चारों के खाते में हरदोई, अमेठी सहित अन्य स्थानों से स्थानांतरित हुए करीब 87 लाख रुपये का विवरण, जालसाजों व ठगी के शिकार युवकों के बीच हुई बातचीत की रिकार्डिंग व चैटिंग, जारी फर्जी नियुक्ति पत्र, फर्जी आइकार्ड सहित अन्य विवरण शामिल है।
गाजीपुर व आजमगढ़ से भी जुड़े तार
संस्कृत विश्वविद्यालय के लिपिक व परिचारक पद पर फर्जी तरीके से 23 युवकों की नियुक्ति के तार गाजीपुर व आजममढ़ से भी जुड़े हुए हैं। नौकरी के लिए बेरोजगार युवक गाजीपुर के सादात व आजमगढ़ स्थित चार बैंक खातों में लाखों रुपये स्थानांतरित किया है। भुक्तभोगी युवकों के माध्यम से विश्वविद्यालय प्रशासन ने पैसा ट्रांसफर होने का साक्ष्य भी जुटा लिया है।
व्याकरण नहीं ज्योतिष विभाग में बंटा नियुक्ति पत्र
नियुक्ति पत्र बांटते हुए जालसाजों का फोटो वायरल होने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने पड़ताल की तो पता चला कि जालसाजों ने पाणिनी भवन के व्याकरण विभाग में नहीं ज्योतिष विभाग में बैठकर कर नियुक्ति पत्र वितरित किया था। बाहरी युवकों के लिए विभाग का ताला किस कर्मचारी ने खोला और क्यों? जालसाज बार-बार कैसे विभाग में आते रहे? विश्वविद्यालय इसकी भी पड़ताल में जुटा हुआ है।
एक कर्मचारी से आज भी पूछताछ
फर्जी नियुक्ति के प्रकरण विश्वविद्यालय का कोई कर्मचारी शामिल है या नहीं। इसकी तहकीकात करने में विवि पिछले तीन दिनों से जुटा हुआ है। 26 जुलाई को चीफ प्रॉक्टर ने तीन कर्मचारियों का बयान भी लिया था। गुरुवार को भी ज्योतिष विभाग के एक कर्मचारी से पूछताछ की। हालांकि विभाग के कर्मचारी ने अनभिज्ञता जताई है। वहीं चीफ प्रॉक्टर ने बताया कि फर्जी नियुक्ति के संबंध में तमाम साक्ष्य जुटा लिए गए हैं। उच्च स्तरीय जांच के लिए एसएसपी को पत्र लिखने का निर्णय लिया गया था। किन्हीं कारणवश गुरुवार को एसएसपी को पत्र नहीं भेजा जा सका है। अब एसएसपी को 28 अगस्त को पत्र भेजा जाएगा।