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आनंद ब्रह्मा को जानना है तो सुसंस्कृति और शुद्ध आचरण होना जरूरी : पं. श्रीकांत शर्मा

बिना श्रवण के सत्य को नहीं जाना जा सकता। आनंद ब्रह्मा को जानना है तो सुसंस्कृति और शुद्ध आचरण होना जरूरी है।

By Edited By: Published: Mon, 29 Jul 2019 01:43 AM (IST)Updated: Mon, 29 Jul 2019 09:43 AM (IST)
आनंद ब्रह्मा को जानना है तो सुसंस्कृति और शुद्ध आचरण होना जरूरी : पं. श्रीकांत शर्मा
आनंद ब्रह्मा को जानना है तो सुसंस्कृति और शुद्ध आचरण होना जरूरी : पं. श्रीकांत शर्मा

वाराणसी, जेएनएन। बिना श्रवण के सत्य को नहीं जाना जा सकता। आनंद ब्रह्मा को जानना है तो सुसंस्कृति और शुद्ध आचरण का होना जरूरी है। यह बातें डा. संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय स्थित कण्ठाभरणम् सभागार में ज्ञान चर्चा के तहत आयोजित कार्यक्रम में रविवार को ख्यात संत पं. श्रीकांत शर्मा ने कहीं। आचरण पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि आनंद प्राप्त करने के लिए हर व्यक्ति का आचरण अच्छा होना चाहिए। आचरण उत्तम होने पर ही व्यक्ति को समाज, देश व प्रदेश में मान मिलता है। आचारण की कमी होने से किसी का किसी के प्रति भाव नहीं रहा व आदर की भावना समाप्त होती जा रही।

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काशी में फिर भी धर्म की भावना व सदविचार लोगों में आस्था संग दिखाई देते हैं। कहा कि मनुष्य को जीवन में उच्छिष्ट की बजाय विशिष्ट होकर रहना चाहिए। इससे स्वयं के भीतर प्रकाश बढ़ता है। उस प्रकाश से जग प्रकाशित किया जा सकता है। क्रोध करके हम अपने आपको ऊर्जाहीन व अधोपतन की ओर ले जाते हैं। क्रोध को रोकिए, यह आपका सबकुछ नष्ट कर देगा। क्रोध वहां करें, जहां अपना कार्य ठीक से किया जा सके। उदाहरण के तौर पर दुश्मन राष्ट्र जब युद्ध मैदान में हो तो बोधयुक्त क्रोध करके उसे पराजित करें। पं. श्रीकांत शर्मा ने कहाकि ब्राह्मणों, पंडितों को कर्मकांड के मंत्रों और उसके भाव का संपूर्ण ज्ञान होना चाहिए।

हमारा जीवन संपूर्ण भाव के साथ साक्षर होना चाहिए। भाव न होने पर साक्षर व्यक्ति के राक्षस बनने में देर नहीं लगेगी। संचालन प्रतिकुलपति प्रो. हेतराम कछवाह एवं प्रो. महेंद्रनाथ पांडेय व धन्यवाद ज्ञापन कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल ने किया। मौके पर प्रो. रामपूजन पांडेय, प्रो. रामकिशोर त्रिपाठी, प्रो. सदानंद शुक्ल, प्रो. आशुतोष मिश्र, प्रो. कमलाकांत त्रिपाठी, डा. लालजी मिश्र, डा. दिनेश कुमार गर्ग, डा. विजय कुमार पांडेय, डा. विद्या कुमार चंद्रा, चंद्रकिशोर श्रीवास्तव, पं. सुनील कुमार चौधरी आदि थे।

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