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चीनी ड्रैगन का दीवाली पर दीवाला निकालने की तैयारी, जानिए चीन को कितनी लगेगी चपत

चीनी ड्रैगन के आर्थिक साम्राज्‍य की चूलें हिलाने के लिए भारत के कारोबारी भी अब सामने आ गए हैं। चीन की धौंस का भारत के कारोबारी अब आर्थिक बहिष्‍कार करके दीवाला निकालने की रणनीति भी बना चुके हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 01:29 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 01:29 PM (IST)
चीनी ड्रैगन का दीवाली पर दीवाला निकालने की तैयारी, जानिए चीन को कितनी लगेगी चपत
चीन की धौंस का भारत के कारोबारी अब आर्थिक बहिष्‍कार करके दीवाला निकालने की रणनीति भी बना चुके हैं।

वाराणसी, जेएनएन। ड्रैगन के आर्थिक साम्राज्‍य की चूलें हिलाने के लिए भारत के कारोबारी भी अब सामने आ गए हैं। चीन की धौंस का भारत के कारोबारी अब आर्थिक बहिष्‍कार करके दीवाला निकालने की रणनीति भी बना चुके हैं।

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देशभर में इस वर्ष की दिवाली को विशुद्ध हिंदुस्तानी दिवाली के रूप में मनाने के कान्फेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के आह्वान को देश के कोने कोने में ले जाने के लिए संगठन ने व्यापक स्तर पर लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। कैट के बैनर तले देश का व्यापारी वर्ग चीन को इस वर्ष के दिवाली फेस्टिवल सीजन पर लगभग 40 हजार करोड़ रुपये का एक बड़ा झटका देगा। यह दावा किया है खाद्य व्यापार मंडल के अध्यक्ष नवरतन राठी एवं कैट एक्शन कमेटी के जिला प्रभारी गौरव राठी ने दी।

कैट के इस आह्वान को व्यापारियों से साझा करने के लिए गुरुवार को एक आनलाइन बैठक की गई। बताया कि इस अभियान को देश भर से व्यापक समर्थन मिल रहा है। जहां हिंदुस्तानी व्यापारियों ने चीनी सामान को नहीं बेचने का संकलप लिया है। वहीं दूसरी ओर देशभर में लोग चीनी सामान को खरीदने के मूड में बिलकुल भी नहीं है। पदाधिकारियों ने बताया कि प्रति वर्ष भारत में दिवाली त्यौहार के सीजन पर लगभग 70 हजार करोड़ का व्यापार होता है, जिसमें सोना-चांदी, आटोमोबाइल जैसे महंगे रिटेल व्यापार भी शामिल हैं। इस 70 हजार करोड़ के व्यापार में लगभग 40 हजार करोड़ रुपये का सामान बीते वर्षों में चीन से आयात होता है। लेकिन इस वर्ष जून महीने में जिस तरह से चीन ने 20 भारतीय जवानों को निर्दयता के साथ मारा है उसे लेकर देश के सभी वर्गों में चीन के प्रति एक बड़ा गुस्सा और आक्रोश है। इसके चलते लोग चीन का सामान न खरीदने का मन बनाए हुए बैठें हैं।

कैट ने ‘भारतीय सामान - हमारा अभिमान’ एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘लोकल फार वोकल’ व ‘आत्मनिर्भर भारत’ को जमीनी स्तर तक फल बनाने में भारतीय सामानों को प्रमुखता से बेचे जाने केलिए स्टाक का संग्रह कर रहे हैं। दिवाली के त्योहारी सीजन में वैसे तो हर वर्ग का व्यापारी अपनी तैयारी कर रहा है। लेकिन, खास तौर पर मोबाइल, इलेक्ट्रानिक एवं इलेक्ट्रिकल सामान, खिलौने, होम फर्निशिंग, किचेन एक्सेसरीज, गिफ्ट आइटम्स, घडिय़ां, रेडीमेड गारमेंट्स, फैशन के कपडे, फुटवियर, कास्मेटिक्स, ब्यूटी प्रोडक्ट्स, फर्नीचर, एफएमसीजी प्रोडक्ट्स, कंस्यूमर ड्युरेबल्स, आफिसस्टेशनरी, पूजा और दिवाली पर घर, दुकान, आफिस सजाने वाले सामान की बड़ी मात्रा में बिक्री की संभावना है। 

उन्होंने बताया कि कैट ने चीन के सामानों के विकल्प के रूप में जहां देश भर में लघु उद्योगों की जानकारी करते हुए उन्हें अधिक उत्पाद बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया हैं वहीं दूसरी ओर देश के प्रत्येक शहर में कारीगरों, शिल्पकारों एवं ऐसे लोग जिनके पास कला कौशल तो है लेकिन साधन नहीं है, को संपर्क कर उनसे दिवाली त्यौहार पर बिकने वाले उत्पाद बनवाएं हैं। ऐसे लोगों को देश भर में फैले व्यापारिक संगठनों के जरिए बाजारों में अपने उत्पाद बेचने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। बाजारों में स्टाल लगाकर उनके द्वारा दिवाली त्यौहार से सम्बंधित सामान की बिक्री करने का अभियान भी चलाएगा। बैठक में अमिताभ केडिया, संजय मालू, दीपक माहेश्वरी, अतुल केसरी, अवतार सिंह, अनिल सोनकर, राजेश सिंह, रमेश सुसरानी, शुभम पेरीवाल, विजय आदि मौजूद थे।


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