BHU का स्वतंत्रता भवन सभागार से भरी हुंकार, एकजुट प्रयास से स्थापित होगा 'ब्रांड बीएचयू'
बीएचयू का स्वतंत्रता भवन सभागार अंतरराष्ट्रीय पुराछात्र समागम का साक्षी बना।
वाराणसी, जेएनएन। बीएचयू का स्वतंत्रता भवन सभागार अंतरराष्ट्रीय पुराछात्र समागम का साक्षी बना। महामना मानस पुत्रों के लिए मानो वक्त ठहर सा गया। इतना ही नहीं, बीएचयू को विश्व की शीर्ष शिक्षण संस्थाओं में शामिल कराने को पुराछात्रों ने यथासंभव सहयोग का संकल्प लिया। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने कहा कि विवि को इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा मिल चुका है। केंद्र सरकार आधारभूत ढांचे को मजबूत करने में आर्थिक मदद करेगी लेकिन पुराछात्रों के सहयोग की भी जरूरत है।
कुलपति ने विवि की उपलब्धियों व भावी योजनाओं का ब्योरा भी प्रस्तुत किया। मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार शशि शेखर ने कहा कि विवि तरक्की कर रहा है। वहीं एकजुट प्रयास हों ताकि संयुक्त बीएचयू ब्रांड स्थापित हो। यही महामना को सच्ची श्रद्धाजलि होगी। उन्होंने महामना को समन्वयवादी बताते हुए बीएचयू की स्थापना, लखनऊ व पूना पैक्ट में उनकी भूमिका, गंगा की अविरलता के लिए समझौता, चौरी-चौरा कांड के आरोपियों को सजा से बचाकर स्वतंत्रता सेनानी के रूप में प्रतिष्ठित करने के उनके योगदान को याद किया। स्वागत प्रो. सुशीला सिंह, संचालन चंद्राली मुखर्जी व धन्यवाद ज्ञापन प्रो अंजलि वाजपेयी ने किया। दूसरे सत्र में संगोष्ठी के साथ ही आयोजन के तहत सांस्कृतिक संध्या का आयोजन भी किया गया।
आठ पुराछात्रों को 'विशिष्ट पुरातन छात्र सम्मान' -कार्यक्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने वाले आठ पुराछात्रों को 'विशिष्ट पुरातन छात्र सम्मान' से विभूषित किया गया। इनमें खगोलविद पद्म विभूषण प्रो. जयंत विष्णु नर्लिकर, राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश, शास्त्रीय गायिका डा. सोमा घोष, वायलिन वादक डा. संगीता शंकर, उद्योगपति अनिरुद्ध मिश्रा, आइआइटी कानपुर के प्रो. संदीप वर्मा, मायगांव डाट इन के पूर्व सीईओ एवं श्रीलंकाई पीएम के तकनीकि सलाहकार डा. अरविंद गुप्ता व साफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इंडिया के महानिदेशक डा. ओमकार राय शामिल थे। हालांकि राज्यसभा के उप सभापति किन्हीं कारणवश यह पुरस्कार ग्रहण करने के लिए उपस्थित नहीं हो सके। वयोवृद्ध प्रो. रेवा प्रसाद द्विवेदी व मणिपुर सेंट्रल विवि के कुलपति प्रो. आद्या प्रसाद पाडेय को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। मूल्य बोध के जरिए बने पहचान वहीं '21वीं सदी के भारत में उच्च शिक्षा और मालवीय दृष्टि' विषयक गोष्ठी आयोजित हुई।
आयोजन सचिव प्रो. एसपी सिंह ने मालवीय के मूल्यों को छात्रों के लिए नितांत आवश्यक बताया। डा. धीरेंद्र कुमार राय ने 1942 में गांधी द्वारा दिए गए दीक्षांत भाषण को याद कर मूल्य बोध के जरिए पहचान बनाने को कहा। काफी-टेबल बुक में झलका अतीत प्रतिभागियों को हस्तनिर्मित व ईको-फ्रेंडली सामग्री से बनी किट के साथ बीएचयू की ऐतिहासिक थाती की कहानी बयां करती काफी टेबल बुक दी गई, जो चर्चा का विषय रही।