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Flood In Varanasi : बनारस की गलियों में नाव तो मोहल्‍लों में दुश्‍वारी, प्रभावितों में बंटने लगी राहत सामग्री

मध्यप्रदेश व राजस्थान में मुसलाधार बारिश का असर अब बनारस में दिखने लगा है। खतरे के निशान से ऊपर बह रही गंगा ने रौद्र रूप धारण कर लिया है। बाढ़ से लोग शहर से लेकर गांव तक त्राहिमाम कर रहे हैं। रिहायशी इलाके प्रभावित हो गए हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Tue, 10 Aug 2021 11:15 AM (IST)Updated: Tue, 10 Aug 2021 11:15 AM (IST)
मध्यप्रदेश व राजस्थान में मुसलाधार बारिश का असर अब बनारस में दिखने लगा है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। मध्यप्रदेश व राजस्थान में मुसलाधार बारिश का असर अब बनारस में दिखने लगा है। खतरे के निशान से ऊपर बह रही गंगा ने रौद्र रूप धारण कर लिया है। बाढ़ से लोग शहर से लेकर गांव तक त्राहिमाम कर रहे हैं। रिहायशी इलाके प्रभावित हो गए हैं। केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक गंगा के जल स्तर में बढ़ोत्तरी की गति औसतन दो सेंटीमीटर प्रति घंटा हो रही है। हालांकि, मंगलवार की सुबह बढ़ाव की गति एक सेंटीमीटर तक भी रही लेकिन फिर इसमें तेजी आई और यह दो सेंटीमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से पहुंच गई। सुबह 9 बजे गंगा का जलस्तर 71.76 मीटर रिकार्ड किया गया।

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सभी सीवेज पम्पिंग स्टेशन डूब गए हैं। सीवेज की लिफ्टिंग करने वाले सभी पम्प बंद हो गए हैं। जिससे शहरी इलाकों में ओवरफ्लो की बड़े पैमाने पर समस्या उत्पन्न हो गई है। गंगा किनारे आरपी घाट से लेकर जलासेन घाट तक लगे पांच सीवेज लिफ्टिंग पंप भी डूब गए। अब पूरे शहर का मलजल सीधे गंगा में जा रहा है। जलकल के अधिकारियों के मुताबिक यह हालात बाढ़ उतरने तक बने रहेंगे। उधर, राहत शिविर में भी पर्याप्त इंतजाम नहीं होने से प्रभावित लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा रहा है। उधर, गंगा का पानी करसड़ा स्थित कूड़ा प्रोसेसिंग प्लांट के रास्ते को डूबा दिया है जिससे शहर से निकलने वाले कूड़े के निस्तारण में दिक्कत उत्पन्न न हो गई है। कूड़ा डंपिंग का कोई विकल्प ढूंढा जा सके, इसको लेकर नगर निगम के अफसरों ने प्लांट का निरीक्षण किया।

बाढ़ का पानी बना आफत राहत शिविरों में पहुंचे लोग : गंगा में लगातार बढ़ते जलस्तर के कारण गंगा का पानी हर तरफ घुसने लगा। नगवा से लेकर सामनेघाट,  मलहिया, रमना तक पानी घुस गया। घरों में पानी घुसने के कारण राहत शिविरों में पहुंचने लगे। वहीं कुछ लोग अपने परिवार को गांव या रिश्तेदारों के घर सुरक्षित पहुंचाया।नगवा गंगोत्री विहार लेन न 1, सँगमपुरी,महेश नगर का निचला हिस्से में पानी घुस गया।नगवा नाले से पानी उल्टा चढ़ने के कारण नगवा हरिजन बस्ती के भी आधा दर्जन घरों में पानी लग गया। नगवा इलाके में रहने वाले एक दर्जन के करीब परिवार नगवा प्राथमिक पाठशाला में बने राहत शिविर में रहने के सोमवार को पहुंचे जबकि गंगोत्री बिहार, संगमपुरी और महेश नगर में घर के दूसरे तल पर अभी लोग परिवार के साथ पानी कम होने की आस में रह रहे हैं।

सामनेघाट ज्ञानप्रवाह नाले से पानी लगातार बढ़ने के कारण मारुति नगर, हरिओम नगर, गायत्री नगर और छितुपुर का पूर्वी भाग में रहने वाले लोग परेशान हो गए।इन कालोनियों में रहने वाले ज्यादातर लोग परिवार को घर से हटाकर सुरक्षा के लिहाज से घर के दूसरे तल पर रह रहे हैं। बाढ़ ग्रस्त इलाके में एनडीआरएफ के जवान लगातार नाव से पेट्रोलिंग पर बाढ़ पीड़ितों की मदद कर रहे हैं। जिला प्रशासन की तरफ से बाढ़ राहत शिविर तो बनवाया गया,लेकिन राहत शिविर में रहने वाले परिवारों को खाने पीने का  व्यवस्था खुद करनी पड़ेगी। सरकार की तरफ बाढ़ पीड़ितों में  राहत सामग्री देने की व्यवस्था नहीं की गई। नगवा प्राथमिक पाठशाला में बने राहत शिविर में रहने के लिए पहुंचे बाढ़ पीड़ित खुद से खाने बनाने के लिए मजबूर हैं। इन इलाकों में पशुपालकों को भी काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा। पशुओं को खिलाने के चारा की समस्या आन पड़ी है।

रमना मलहिया में पानी प्रवेश करने से निचले इलाके में रहने वाले लोग पशुओं को लेकर गांव के बाहर जाने की तैयारी करने लगे। पानी रमना गांव के पूरब तरह बने उपस्वास्थ्य केंद्र के करीब तक पहुंच गया।रमना गांव के रहने वाले लोगों का कहना हैं कि पानी अधिक होने पर हाइवे किनारे टेंट लगाकर पशुओं को लेकर एक तरफ रहा जाएगा।रमना गांव के किसान दीना पटेल, लालजी पटेल, जीउत, मास्टर मुरारी पटेल, नखड़ू साहनी, दीपेन्द्र मोहन पटेल ने बताया हैं कि गंगा की बाढ़ बढ़ने से रमना गांव के पूरब तरफ तैयार करेला, लौकी, नेनुआ, भिंडी,सेम, अमरूद, खीरा,टमाटर, परवल, धनिया, पालक की फसल करीव 500 बीघा से अधिक जलमग्न हो गया।किसानों को दोहरी मार झेलना पड़ रहा है। इतने लागत से तैयार  फसल डूबने से किसानों की हालत बिड़ग गई।टिकरी तराई से पानी घुसने से साहनी बस्ती के पास पहुंचा।


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