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गंभीर कोविड मरीजों के लिए वरदान है ब्लड थिनर, जितनी जल्दी रोग की पहचान होगी उतनी जल्दी रोकथाम

कोरोना के लिए अभी तक किसी विशेष दवा का इजात नहीं किया जा सका है लेकिन लक्षण के आधार पर दी जाने वाली ब्लड थिनर व एस्टेरोइड दवाएं वरदान साबित हो रही है। समय से ये दवाएं दी जाए तो काफी हद तक कम किया जा सकता है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 12:03 PM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 12:03 PM (IST)
गंभीर कोविड मरीजों के लिए वरदान है ब्लड थिनर, जितनी जल्दी रोग की पहचान होगी उतनी जल्दी रोकथाम
कोरोना के लक्षण के आधार पर दी जाने वाली ब्लड थिनर व एस्टेरोइड दवाएं वरदान साबित हो रही है।

वाराणसी, जेएनएन। कोरोना के लिए अभी तक किसी विशेष दवा का इजात नहीं किया जा सका है लेकिन लक्षण के आधार पर दी जाने वाली ब्लड थिनर व एस्टेरोइड दवाए वरदान साबित हो रही है। कोरोना के गंभीर मरीजों को यदि समय से ये दवाएं दी जाए तो उनके रोग की गंभीरता को काफी हद तक कम किया जा सकता है। विशेषज्ञ का मानना है कि ये दवाएं योग्य चिकित्सको की देखरेख में देना चाहिए। आए दिन देखने मे आ रहा है कि कोविड के दौरान या ठीक होने के पश्चात लोगों की अचानक मौत हो जा रही है। अचानक होने वाली मौतों के लिए ज्यादातर हार्ट अटैक व हार्ट फेलियर को जिम्मेदार माना जाता है।

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आईएमएस बीएचयू के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ ओम शंकर बताते है कि कोरोन 80 से 85 फीसद मामलों साधारण फ्लू की तरह व्यवहार करता है। 15 से 20% मामलों में यह फेफड़ों में गंभीर न्यूमोनिया से लेकर, हृदय की मांसपेशियों को कमजोर कर सकता है। जिससे लोगों में में हार्ट फेलयर के लक्षण दिखने लगते हैं। खून की नालियों में सूजन हो जाती है और उनमें थक्का जमने लगता है। जो कि हार्ट अटैक का कारण बनता है। कई मरीजों में हृदयगति भी अनियंत्रित हो जाता है जिसे हम एरीदमिया कहते हैं। कुछ मरीज हृदय गति कम होने की भी तकलीफ बताते हैं। यही कारण है कि गंभीर मरीजो की कोरोना से ठीक होने के बाद भी मौत हो जाती है। ऐसे मरीजो को बाकी सब दवाओं के साथ चिकित्सक की सलाह से ब्लड थिनर दिया जाना चाहिए। ये ब्लड थिनर ठीक होने के बाद भी 4 से 6 सप्ताह तक दिया जाता है। कोरोना के सफल इलाज का मूलमंत्र है हिट अर्ली हिट हार्ड। जितनी जल्दी रोग की पहचान होगी उतनी जल्दी उसकी रोकथाम की जा सकेगी।

कोरोना मरीजों के लिए कुछ जरूरी टिप्स

- उच्च गुडवत्ता वाला सुपाच्य भोजन करना चाहिए। क्योंकि कोरोना में मरीजो को खाना पचाने में परेशानी होती है।

- ठण्डी चीजो, फास्ट फूड, ताली भुनी चीजों से परहेज करना चाहिए। साइट्रस फ्रूट देना उचित रहेगा।

- हृदय रोग के मरीजों को घर में रहना चाहिए, टहलने के लिए मास्क लगा कर ऐसे समय निकलना चाहिए जब ज्यादातर लोग घर मे हो।

- अगर किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक आ रहा हो तो उनको सर दर्द में उपयोग की जानेवाली दावा डिस्प्रिन की एक गोली चबाकर खा लेनी चाहिए और तुरंत किसी चिकित्सक से परामर्श लेनी चाहिए।

- कोरोना से ठीक होने के बाद चिकित्सक की सलाह से व्यायाम करें। 35 वर्ष से ज्यादा आयु के वैसे मरीज जो पहले नियमित व्यायाम नहीं करते थे उनको अगर व्यायाम शुरू करना हो तो 10-15 मिनट सामान्य गति से चलने से शुरुआत करनी चाहिए। एक महीने तक धीरे-धीरे टहलने के समय को बढ़ाकर एक महीने में 30 से 45 मिनट टहलने तक ले जाना चाहिए। इससे हृदय आघात होने का खतरा कम हो जाता है।

किन बातों का रखे ध्यान

- हार्ट फेलयर के लक्षण जैसे सांस फूलना, घबराहट, बेचैनी, तथा पसीना आना और  ब्लड प्रेशर का कम होना इत्यादि शामिल हैं।

- खून की नालियों में सूजन की वजह से वहाँ थक्का जमने लगता है जिससे लोगों को हार्ट अटेक आ जाता है। हार्ट अटैक की लक्षणों में मरीज को अचानक से बीच सीने में अथवा बाएँ या दाहिने तरफ तेज दर्द होना, सीने में भारीपर, बेवजह ज्यादा पसीने छूटना, पेट में दर्द के साथ सांस फूलना और जान निकल जाने जैसी अनुभूति शामिल है। सीने के दर्द साथ मरीजों को बाएं, दाएं, अथवा दोनों हाथों में भी दर्द हो सकता है। ये दर्द कुछ लोगों को गर्दन और जबड़ों में भी महसूस हो सकता है। कुछ लोगों में दर्द के साथ बेहोशी भी छा सकती हैं।

- सामान्य परिस्थितियों में एक तिहाई हार्ट अटैक साइलेंट होता है, क्योंकि इसमें या तो कोई दर्द महसूस नहीं होता या फिर बहुत मामूली सा दर्द होता है जिसे हम गैस  समझकर इग्नोर कर देते है। के बार हार्ट अटैक गैस्ट्रिक की तरह भी प्रजेंट करते हैं। साइलेंट हार्ट अटैक के मरीज सांस फूलने की शिकायत लेकर भी डॉक्टर के पास जाते हैं और सांस की बीमारी समझकर इलाज करवाते रहते हैं। साइलेंट हार्ट अटैक अक्सर सुगर के मरीजों और बहुत बृद्ध लोगों में होता है। ऐसे मरीजों में ज्यादा सतर्कता से कग, सीने का एक्सरे, कार्डियक एनजायम और इकोकार्डियोग्राफी जैसी हृदय की जांचें करवाने की आवश्यकता है, ताकि इसका सही समय पर उचित इलाज किया जा सके।


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