प्रशासनिक मिलीभगत से सोनांचल में फल-फूल रहा Coal चोरी का काला कारोबार
सोनभद्र जिले की विभिन्न खदानों में कोयला लोडिंग स्थल पर तैनात कर्मियों और गेट पर तैनात सुरक्षा कर्मियों की मिलीभगत से कोयला चोरी का खेल चल रहा है। इस काले कारोबार में संलिप्त ट्रक संचालक यहां के कोयले से चंदौली के चंधासी मंडी ले जाकर ज्यादा दाम पर बेचते हैं।
सोनभद्र, जेएएनएन। ऊर्जांचल की विभिन्न खदानों में कोयला लोडिंग स्थल पर तैनात कर्मियों और गेट पर तैनात सुरक्षा कर्मियों की मिलीभगत से कोयला चोरी का खेल चल रहा है। इस काले कारोबार में संलिप्त ट्रक संचालक यहां के कोयले से चंदौली के चंधासी मंडी ले जाकर वहां ज्यादा दाम पर बेचते हैं। गत 15 दिन में दो ट्रकों के पकड़े जाने पर इसका पर्दाफाश हुआ है। अगर ठीक से जांच हो तो कोयला चोरी का बड़ा मामला सामने आ सकता है।
17 अक्टूबर को वन विभाग की टीम इलाके में जांच के लिए निकली थी। उसी समय पिपरी वन रेंज में गाढ़ा बैरियर के समीप एक ट्रक कोयला लेकर आता हुआ मिला। उसे पकड़कर जब वाहन का कागजात मांगा गया तो चालक देने से इन्कार कर दिया। बाद में जांच के दौरान पता चला कि कोयला चोरी का था। और तो और जब उसे रेंज कार्यालय ले जाया जाने लगा तो एक व्यक्ति ने उसे छोडऩे का दबाव देना शुरू कर दिया। वन विभाग के रेंजर बताते हैं कि दबाव देने का व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि रेणुकूट पुलिस चौकी की गाड़ी चलाने वाला एक प्राइवेट व्यक्ति था। उसने धमकी तक दिया। इसी तरह 22 अक्टूबर को भी एक ट्रक पकड़ा गया। उसमें कोयला लोड था। वन विभाग की टीम ने जब चालक से जरूरी कागजात मांगा तो चालक ने पीछे एक व्यक्ति के आने की बात कही। काफी देर तक जब कोई नहीं आया तो वन विभाग ट्रक को लेकर रेंज कार्यालय जाना शुरू कर दिया। इसी दौरान रास्ते में कोयला लदा ट्रक छोड़कर चालक फरार हो गया। रेंजर वीके पांडेय बताते हैं कि इस खेल में मिलीभगत है। ट्रक छोडऩे का दबाव देने वाले आरोपित के खिलाफ कार्रवाई के लिए हमने स्थानीय पुलिस से संपर्क भी किया, लेकिन अब तक एफआइआर दर्ज नहीं हुई। उन्होंने मामले से जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को अवगत कराने की भी बात कही। बता दें, कि यहां से चोरी का कोयला लोडकर चंदौली के चंधासी भेजा जाता है। बताया जाता है कि इस कारोबार में बड़े-बड़े लोग शामिल हैं। अगर पकड़े गए दोनों वाहनों को ही आधार मानकर विस्तृत जांच करा दी जाए तो कई लोगों की गर्दन फंसनी तय है।
कैसे होती है कोयले की चोरी
कोयले का काला कारोबार कई लोगों की मिलीभगत से होता। बताया जाता है कि सबसे पहले जिस परियोजना में ट्रक जाता है वहां गेट पर इंट्री करने वाले सुरक्षा कर्मी से मिलीभगत होती है। इसके बाद अंदर जाने पर यार्ड में भेजने वाले और लोडिंग करने वाले को कोयला चोर अपने पक्ष में करते हैं। सड़क पर कहीं उसे रोका न जाए, मामला पकड़ में न आए इस लिए जगह-जगह वाहनों को पास कराने वाले भी होते हैं। कई जगह तो पुलिस के भी लोगों की संलिप्तता बतायी जाती है।
निजी हाथों में स्टेयरिंग, गोपनीयता भंग की आशंका
वन विभाग के रेंजर वीके पांडेय ने जिस व्यक्ति के खिलाफ तहरीर दी है वह एक पुलिस चौकी का वाहन चालक है। बताया जाता है कि एक कंपनी द्वारा चौकी प्रभारी को चलने के लिए प्राइवेट गाड़ी दी गई है। उसपर प्राइवेट व्यक्ति को चालक के तौर पर रखा गया है। यानी पुलिस के लोग अक्सर उसी गाड़ी का इस्तेमाल करते हैं। इससे कई बार पुलिस की गोपनीयता भी भंग होने आशंका रहती है।
बोले अधिकारी...
वाहन को रेंज कार्यालय ले जाते समय चालक से वन विभाग के कर्मियों से कुछ विवाद हुआ था। हालांकि यह मामला हल हो गया है। पुलिस चौकी में निजी कंपनी के वाहन पर प्राइवेट चालक है। जब गोपनीय कार्य करना होता है तो उसे साथ लेकर पुलिस नहीं जाती। - विजयशंकर मिश्र, क्षेत्राधिकारी-पिपरी