ऑनलाइन कजरी गाने के बाद बोले भाजपा नेता मनोज तिवारी - 'काशी सिर्फ शहर नहीं, सांस्कृतिक धरोहर है'
सावन में कजरी गायन का अपना महत्व है इसी गीत संगीत के आयोजन में भाजपा नेता मनोज तिवारी ने भी सुरों से सावन माह की महिमा बखानी।
वाराणसी, जेएनएन। प्रबुद्ध प्रकोष्ठ भाजपा काशी क्षेत्र द्वारा आयोजित साप्ताहिक वेबिनार कार्यक्रम गुरुवारीय अड़ी की दसवीं श्रृंखला में शुक्रवार को सावन और कजरी पर चर्चा हुई। पद्मविभूषण पंडित छन्नू लाल मिश्र ने काशी और कजरी का संबंध बताया। इसे सुरों में सजाया और उसकी बारीकियां भी उन्होंने बताईं।
प्रसिद्ध गायक व सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि सावन महीने में कजरी गाने का विशेष महत्व है। कजरी को मीरजापुर व काशी तक सीमित नहीं कर सकते हैं। बिहार के अलग-अलग क्षेत्रों में भी कजरी गायी जाती है। पटनईयां कजरी, दरभंगा कजरी काफी लोकप्रिय है। आजादी के समय की कजरी में देशप्रेम झलकता था। उन्होनें कहा कि काशी सिर्फ शहर नहीं है बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर है। इसकी विरासत को संजोकर रखना हम सबका कर्तव्य है। मनोज तिवारी ने 'बंसिया बाज रही वृंदावन, टुटल शिवशंकर क ध्यान...' समेत कई गीत भी सुनाया। गायिका डा. मधुमिता भट्टाचार्य ने 'घिर-घिर आयी रे कारी बदरिया, राधे बिना लागे ना मोरा जिया...' समेत गीतों को स्वर दिए।
डा. जया राय ने 'पिया मेहंदी लियादा मोती झील से, जाके साईकिल से ...' को सुरों में सजाकर मंत्रमुग्ध किया। कौशल्या, कामाक्षी यादव, राजश्री नाथ, विदुषी वर्मा, अभिषेक उपाध्याय, अशोक कपूर आदि ने भी चर्चा में भाग लिया। विषय प्रवर्तन भाजपा काशी क्षेत्र उपाध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन व संयोजन डा. सुनील मिश्र ने किया। काशी एवं गोरक्ष प्रांत के संगठन महामंत्री रत्नाकर, भाजपा महानगर अध्यक्ष विद्या सागर राय, अशोक चौरसिया, नवरतन राठी, सुनीता सिंह, निर्मला पटेल, कुसुम पटेल, डा. रचना अग्रवाल, प्रिया अग्रवाल, साक्षी मिश्र, शशि कुमार, संतोष सोलापुरकर आदि थे।