एक नवम्बर 1879 को हुई थी बागी बलिया की स्थापना, 140 वें जन्मदिन पर शहीद पार्क में हुआ कार्यक्रम
जिद पर अडऩा- हित में लडऩा बलियाटिक पहचान है। धोती कुर्ता लिट्टी-चोखा भुजा सत्तू बलिया जिले की शान है।
बलिया, जेएनएन। जिद पर अडऩा- हित में लडऩा बलियाटिक पहचान है। धोती, कुर्ता, लिट्टी-चोखा, भुजा, सत्तू बलिया जिले की शान है। उक्त बातें साहित्यकार शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने बलिया जिले के 140 वें जन्मदिन पर शुक्रवार को शहीद पार्क चौक में आयोजित समारोह में कही। कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी बलिया जिले को बलिया राष्ट्र कहते थे। उन्होंने कहा था कि एक राष्ट्र की अपनी भाषा, संस्कृति, भोजन, भू-भाग होता है, ये सारी चीजें बलिया जिले के पास हैं।
बलिया जिले की स्थापना एक नवम्बर 1879 को हुई थी। इसके बाद देश में एक नवम्बर को ही मध्यप्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, केरल, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पं. बंगाल एवं केंद्र शासित पांडिचेरी, चंडीगढ़ का गठन हुआ था, ये सभी प्रदेश आयु में बलिया जिले से छोटे हैं। डा.गणेश कुमार पाठक ने कहा कि जिले का विकास इसके योगदान के अनुरुप नहीं हुआ। कवि रमाशंकर ने कहा बलि की राजधानी खन्दानी बलिदानी भूमि। भोजपुरी भूषण नंदजी नंदा ने गाया प्रान के हथेली पर ले के जहां के जवान घूमें।
डा. जितेन्द्र स्वाध्यायी, अब्दुल कैस तारविद्, डा. फतेहचंद बेचैन, नवचंद तिवारी ने काव्य पाठ किया। पूर्व चेयरमैन लक्ष्मण गुप्ता, बद्री विशाल, भानु प्रकाश सिंह बबलू, अशोक कुमार पाठक, योगेन्द्र प्रसाद गुप्ता, विनोद तिवारी, धीरेन्द्र शुक्ल, शिवमंदिर शर्मा, राकेश सिंह, सागर सिंह राहुल, राजेश गुप्ता महाजन, शैलेन्द्र सिंह आदि ने संबोधित किया। अध्यक्षता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के जिलाध्यक्ष विजय कुमार मिश्र ने किया।
नरेंद्र देव सभागार में मना स्थापना दिवस
जिला पंचायत के आचार्य नरेंद्र देव सभागार में बलिया का 140वां वर्षगांठ धूमधाम से मनाया गया। अध्यक्षता करते हुए शंकराचार्य ट्रस्ट के अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने कहा कि वेदोदय काल से लेकर अब तक बलिया का स्वभाव क्रांतिकारी रहा है। मुख्य वक्ता शिक्षाविद् डा.विद्यासागर उपाध्याय ने कहा कि बलिया के गौरवशाली परंपरा व व्यक्तित्व की कड़ी कभी टूटती नहीं है। कारों में भगवान शिव में कामदेव को भस्म किया तो कहा गया न भूतो न भविष्यति तब आगे चलकर मंगल पांडेय और चित्तू पांडेय ने क्रांतिकारी इतिहास रच दिया। शुभारंभ मुख्य अतिथि राणा अंबुज सिंह, विशिष्ट अतिथि शैलेंद्र सिंह पप्पू ने दीप प्रज्ज्वलित कर कर किया। इस मौके पर आशीष त्रिवेदी, रानू पाठक, संतोष श्रीवास्तव, शेख एजाजुद्दीन, स्वामी गिरधर स्वरूप, अनूप सिंह, अजीमुल्लाह खान, जितेंद्र त्यागी, रोहित चौबे आदि मौजूद थे। संचालन मोहम्मद रब्बानी ने किया।