बीएचयू में बायो प्लांट पांच लोगों का भोजन तैयार करने में सक्षम
जागरण संवाददाता वाराणसी कृषि विज्ञान संस्थान के निदेशक रमेश चंद ने बीएचयू के दुग्ध विज्ञान
जागरण संवाददाता, वाराणसी : कृषि विज्ञान संस्थान के निदेशक रमेश चंद ने बीएचयू के दुग्ध विज्ञान और खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग में अजोला अमृत बायो गैस एवं गोबर गैस प्लांट का शुभारंभ किया। इस प्लांट में घर के बचे भोजन को डालकर चार-पांच आदमी का खाना पकाने के लिए गैस प्राप्त की जा सकती है। मेसर्स-काशी सेवा सदन समिति द्वारा बीएचयू को निश्शुल्क प्रदत्त इस प्लांट से अपशिष्ट पदार्थो यानि कि गीला कचरा, बचा हुआ भोजन, माला-फूल व गोबर आदि को जैविक ईधन और खाद में बदला जा सकता है।
विभागाध्यक्ष प्रो. डी सी राय ने बताया कि अपशिष्ट पदार्थ के बाहर निकलने से पूर्व घर में ही निस्तारण कर सकने में वेस्ट टू गैस प्लांट बहुत ही उपयोगी है। प्रोफेसर रमेशचंद ने संस्था को धन्यवाद देते हुए कहा कि ऐसे मिनी प्लांट संचालन की दृष्टि से काफी आसान होते हैं, जिनका इस्तेमाल होटल, रेस्टोरेंट और छात्रावासों में किया जा सकता है। इससे भोजनालय के बचे हुए भोजन से बायो गैस और अपशिष्ट से खाद बनाकर उनका समुचित उपयोग भी किया जा सकता है।
कृषि विज्ञान के संकाय प्रमुख प्रो. एपी सिंह ने बताया कि इस प्लांट की स्थापना से सभी लोग जागरूक और प्रेरित होंगे। काशी सेवा सदन समिति के अध्यक्ष केएन शर्मा ने बताया कि बायो गैस प्लांट के लिए प्रतिदिन 5 किलो ग्राम अपशिष्ट पदार्थ की जरूरत पड़ेगी। इसके अपघटन के बाद 500 ग्राम गैस का उत्सर्जन होगा, उसी अनुपात में जैविक खाद भी प्राप्त होगी। साथ ही दूसरे गोबर गैस प्लांट के लिए भी 20 किलो ग्राम गोबर की प्रतिदिन जरूरत पड़ेगी। इसके अपघटन में 430 ग्राम तक गैस का उत्सर्जन होगा और उसी अनुपात में जैविक खाद भी प्राप्त होगी। पूर्वाचल के कई जिलों में इस प्लांट का प्रयोग सफल हो चुका है। शुभारंभ के दौरान काशी सेवा सदन समिति के अधिकारी संयोग समेत कई वैज्ञानिकों ने इस प्लांट पर अपनी राय रखी।