संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी में फर्जी नियुक्ति में बड़े रैकेट के शामिल होने की संभावना
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में फर्जी नियुक्ति के प्रकरण को लेकर पुलिस ने तफ्तीश शुरू कर दी है। वाराणसी के चेतगंज पुलिस इस संबंध में रविवार को चीफ प्राॅक्टर से भी संपर्क किया।
वाराणसी, जेएनएन। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में फर्जी नियुक्ति के प्रकरण को लेकर पुलिस ने तफ्तीश शुरू कर दी है। चेतगंज पुलिस इस संबंध में रविवार को चीफ प्राॅक्टर से भी संपर्क किया। विश्वविद्यालय बंद होने के कारण मोबाइल फोन से ही पूरे प्रकरण को समझने का प्रयास किया। फर्जी नियुक्ति में किसी बड़े रैकेट के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।
जालसाजों ने संस्कृत विश्वविद्यालय के नाम पर एक दो नहीं 23 युवकों को लिपिक व परिचारक पद पर नियुक्ति पत्र बांट दिया है। जालसाजों ने ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को अपने जाल में फंसाया। ठगी के शिकार युवकों का दावा है कि जालसाजों ने विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर विज्ञापन का हवाला देते हुए आवेदन भी मांगा था। लिपिक पद पर नियुक्ति के लिए आठ लाख व परिचारक के लिए चार रुपये की मांग की थी। ठग नियुक्ति के पहले किसी से दो लाख तो किसी से तीन लाख रुपये एडवांस भी ले लिए थे। एडवांस मिलने के बाद ठग ने कुलसचिव के हस्ताक्षर से विश्वविद्यालय का परिचय पत्र भी दिया था। कुछ युवकों ने एक माह का वेतन मिलने के बाद शेष राशि देने की बात की। इस पर ठग ने विश्वविद्यालय का वेतन शीट दिखाया और बोले आपलोगों का वेतन बन गया है। ऐसे में अब बकाया राशि नहीं दिया तो नियुक्ति निरस्त भी हो सकती है। क्यों की साहब पूरे पैसे के लिए दबाव बना रहे हैं। वहीं कुछ युवकों को ठग केे बात को लेकर शंका हुआ है। वह नियुक्ति पत्र लेेेकर विश्वविद्यालय पहुंच गए तो पता चला विश्वविद्यालय में कोई नियुक्ति ही नहीं हुई है। यही नहीं विश्वविद्यालय ने नियुक्ति को लेकर कोई विज्ञापन ही नहीं जारी किया है। हकीकत पता चलते ही दिनेश कुमार पटेल नामक युवक की मानो जमीन ही खीसक गई। बहरहाल विश्वविद्यालय प्रशासन ने पूरे प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए इस मामले में नाटीइमली पुलिस चौकी पर तहरीर दी है। कुलसचिव राज बहादुर ने बताया कि विश्वविद्यालय नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन नहीं जारी किया है। उन्होंने जनसामान्य से ठगों से सावधान रहने की अपील की है।