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जनतंत्र वृक्ष बयां कर रहा संविधान दिवस की कहानी, बीएचयू के बिड़ला हास्टल के प्रांगण में 70 साल से है पेड़

अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद स्वतंत्र भारत की अर्थव्यवस्था सामाजिक एवं नगरीय व्यवस्था को बेहतर तरीके से चलाने के लिए संविधान लिखा गया।

By Edited By: Published: Sun, 26 Jan 2020 02:16 AM (IST)Updated: Sun, 26 Jan 2020 04:43 PM (IST)
जनतंत्र वृक्ष बयां कर रहा संविधान दिवस की कहानी, बीएचयू के बिड़ला हास्टल के प्रांगण में 70 साल से है पेड़

वाराणसी, जेएनएन। अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद स्वतंत्र भारत की अर्थव्यवस्था, सामाजिक एवं नगरीय व्यवस्था को बेहतर तरीके से चलाने के लिए संविधान लिखा गया। यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। प्रतिवर्ष इस दिन देशवासी गणतंत्र दिवस मनाते हैं। इन सब के बीच काशी हिंदू विश्वविद्यालय परिसर में एक ऐसा वृक्ष भी है, जो गणतंत्र दिवस की यादों को तरो-ताजा कर देता है। बात बिड़ला-ए हास्टल प्रांगण में पिछले 70 साल से खड़े जनतंत्र वृक्ष की हो रही है। संविधान जिस दिन लागू हुआ था, आजादी के मतवालों ने उसी दिन इसे रोपा था। वर्तमान में बिड़ला हास्टल अ, ब एवं स, तीन खंड में विभक्त है। मगर शुरुआती दिनों में यह एक ही था। यहां से देश के बड़े-बड़े क्रांतिकारियों ने आजादी की कहानी लिखी।

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स्वतंत्रता आंदोलनों की रणनीति बनाई गई और अंग्रेजी हुकूमत को देश छोड़ने पर मजबूर किया गया। आजाद भारत में जब संविधान लागू हुआ, उसी दिन हास्टल के तत्कालीन छात्रों व शिक्षकों ने उसकी याद में सीता-अशोक का पौधा रोपा और उसे नाम दिया 'जनतंत्र वृक्ष'। इसके नजदीक ही एक स्तंभ स्थापित कर जनतंत्र वृक्ष के साथ ही 26 जनवरी 1950 की तिथि अंकित कर दी गई, जो आज भी संविधान दिवस की कहानी बया करता है। नई पीढ़ी इससे प्रेरणा लेकर न सिर्फ संविधान के दायरे में रहकर राष्ट्र निर्माण में योगदान का संकल्प दोहराती है, बल्कि राष्ट्र रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहने का शपथ भी लेती है। गणतंत्र दिवस पर छात्र आयोजित करते हैं कार्यक्रम संविधान दिवस को यादगार बनाने के लिए उस जमाने में यह वृक्ष लगाया गया था। मगर आज भी हास्टल में रहने वाले छात्र परंपरा के रूप में न सिर्फ हर गणतंत्र दिवस पर यहां विशेष तौर पर साफ-सफाई करते हैं, बल्कि कार्यक्रम आयोजित कर अगले बैच को समृद्ध परंपरा से रूबरू भी कराते हैं। छात्र अतुल देव पांडेय, संतोष कुमार त्रिपाठी, रितेश प्रताप सिंह, उत्तम सिंह, प्रभात मिश्रा, अतुल शुक्ला, कुमार गौरव यादव आदि छात्रों के मुताबिक यह 'जनतंत्र वृक्ष' हमें संविधान का सम्मान करने का पैगाम देता है। यह एक ओर जहां आजादी के संघर्ष की याद दिलाता है, तो वहीं बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की सोच से भी परिचित कराता है, जिन्होंने देश में सभी नागरिकों को समान अवसर के लिए संविधान को गढ़ा।


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