BHU : काशी हिन्दू विश्वविद्यालयशोध प्रवेश परीक्षा का परिणाम जारी करने के लिए छात्रों ने किया प्रदर्शन
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में शोध प्रवेश परीक्षा का परिणाम जारी करने के लिए कुछ छात्रों ने सोमवार को केंद्रीय कार्यालय पर प्रदर्शन किया। साथ ही कार्यवाहक कुलपति प्रो. वीके शुक्ला को ज्ञापन भी सौंपा। उनका कहना था कि इस वर्ष अप्रैल माह में ही आरईटी का आयोजन हुआ था।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में शोध प्रवेश परीक्षा का परिणाम जारी करने के लिए कुछ छात्रों ने सोमवार को केंद्रीय कार्यालय पर प्रदर्शन किया। साथ ही कार्यवाहक कुलपति प्रो. वीके शुक्ला को ज्ञापन भी सौंपा। उनका कहना था कि इस वर्ष अप्रैल माह में ही आरईटी का आयोजन हुआ था। कई माह बीत जाने के बाद भी अभी तक परिणाम जारी नहीं किया गया गया है।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय देश का प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय है, लेकिन प्रशासन की ओर से कई लापरवाही बरती जा रही है। इसके कारण अभी तक शोध प्रवेश परीक्षा का परिणाम जारी नहीं हो पाया है। आरोप लगाया कि परिणाम नहीं जारी करने के पीछे इसमें कुछ गड़बड़ी पैदा करना है। आरोप लगाया कि कुछ अधिकारी, कर्मचारी अपने लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए जानबूझ कर परिणाम में देरी कर रहे हैं। इस मौके पर शांत राय, अनुज गोस्वामी, विवेक शुक्ला, आशीष, शिव शरण चतुर्वेदी, हिमांशु राय प्रशांत राय,अनुज गोस्वामी , विवेक शुक्ला, आशीष, शिव शरण चतुर्वेदी,हिमांशु राय आदि मौजूद थे। वहीं, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद काशी हिन्दू विश्वविद्यालय विभाग की ओर से कार्यवाहक कुलपति को ज्ञापन सौंपा गया। अभाविप ने मांग की कि विश्वविद्यालय को पुनः पूरी क्षमता के साथ संचालित किया जाए। मालूम कि वैश्विक महामारी कोरोना के कारण लगभग दो वर्षों से अधिक से विश्वविद्यालय में पठन-पाठन का कार्य सुचारू रूप से नहीं चल पा रहा है। इसके कारण विद्यार्थियों के शैक्षणिक एवं व्यक्तिगत विकास में बाधा उतपन्न हो रही है। अब स्थिति में सुधार को देखते हुए देश भर में स्कूल एवं कोचिंग अपनीं पूर्ण क्षमता के साथ संचालित हो रहे हैं।
ऐसे में अभाविप का कहना है कि विश्वविद्यालय का बंद रहना विद्यार्थियों के लिए हितकारी नहीं प्रतीत होता है। जबकि वर्तमान समय में बड़ी जनसंख्या का टीकाकरण भी हो चुका है और हो रहा है। अभाविप काशी प्रांत की प्रांत मंत्री साक्षी सिंह ने कहा कि आज जब देश और पूरे प्रदेश में सभी व्यवस्थाएं सुचारू रूप से चल रही हैं। ऐसे में विश्वविद्यालय में शैक्षणिक कार्य बाधित करने से विद्यार्थियों के भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन को इसके प्रति गंभीरता से सोचना चाहिए। लगभग दो वर्षों का समय पूरा होने को है और परिसर बंद होने से शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। विभाग संयोजक अधोक्षज पांडेय ने कहा कि बड़े पैमाने पर विद्यार्थियों का टीकाकरण कर परिसर में सुरक्षा के साथ पठन-पाठन शुरू किया जा सकता है। अगर प्रशासन ने इस संबंध में शीघ्र निर्णय नहीं करेगा तो अभाविप बड़े आंदोलन की तरफ अग्रसर होगी।