खेती किसानी : बीएचयू कृषि विज्ञान संस्थान ने 100 से अधिक किसानों में बांटे सरसों के बीज
बीएचयू कृषि विज्ञान संस्थान में किसान गोष्ठी का आयोजन हुआ। इसमें किसानों को अपनी आय बढ़ाने के लिए पारंपरिक गेहूं की खेती छोड़कर तिलहन की खेती करने का सुझाव दिया गया। इस दौरान सौ किसानों को सरसों के उन्नत बीज भी वितरित किए गए।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। बीएचयू कृषि विज्ञान संस्थान में मंगलवार को किसान गोष्ठी का आयोजन हुआ। इसमें किसानों को अपनी आय बढ़ाने के लिए पारंपरिक गेहूं की खेती छोड़कर तिलहन की खेती करने का सुझाव दिया गया। साथ ही उन्हें सरसों के बीज भी वितरित किए गए। इसके उत्पादन की वैज्ञानिक तकनीकी जानकारी भी वैज्ञानिकों ने दी।
संकाय के वरिष्ठ आचार्य प्रो. जेपी लाल ने सरसों की खेती के साथ मशरूम की खेती, मधुमक्खी और पशु पालन का समायोजन कर आय वृद्धि के लिए किसानों को प्रेरित किया। कहा कि सरसों आधारित खेती में निम्न निवेश पर भी आय वृद्धि हो सकती है। संकाय प्रमुख प्रो. जेएस बोहरा ने राई-सरसों की समय से, पंक्तिबद्ध बीजाई, सम्यक उर्वरकों के प्रयोग एवं रोग-कीटों से रख-रखाव की जानकारी दी। कार्यक्रम संयोजक सरसों वैज्ञानिक प्रो. कार्तिकेय श्रीवास्तव ने सिंचित तथा असिंचित दशा में अधिक उत्पादन देने वाली सरसों की प्रजातियों जैसे गिरिराज, आरएच 725, आरएच 749, आरजीएन 73 के विषय में जानकारी दी। जलवायु परिवर्तन की दशा में, विलंब से बीजाई के लिए एनआरसीएचबी 101 आशीर्वाद, वरदान तथा स्वर्ण-ज्योति के बारे में बताया।
डा. राजेश सिंह ने राई-सरसों की भूमि की तैयारी, उर्वरकों के प्रयोग तथा समेकित पोषक तत्व प्रबंधन पर जानकारी दी। अध्यक्ष-पादप रोग विज्ञान प्रो. एसएस वैद्य ने सरसों में लगने वाले झुलसा, सफेद गेरूवी तथा तुलासिता रोगों के प्रबंधन की जानकारी दी। आनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एसके सिंह ने किसानों को वैज्ञानिक कृषि कार्य बताया। अध्यक्षीय भाषण में संस्थान के निदेशक प्रो. रमेशचंद्र ने सरसों के क्षेत्रफल तथा उत्पादन बढ़ाने के लिए संस्थान के प्रयासों की व्याख्या की। सल्फर एवं सूक्ष्म तत्वों के प्रयोग पर बल दिया। कार्यक्रम में 100 से ज्यादा किसानों को प्रति एकड़ 1.5 किलो गिरिराज तथा आरएच 725 राई के बीज का वितरण किया गया। इस कार्यक्रम में प्रगतिशील किसानों ने अपने अनुभवों को भी साझा किया। डा. राजेश सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।