Sawan In Kashi : सावन भर भोलेनाथ विराजते हैं सारनाथ में, बाबा काशी विश्वनाथ की नगरी के 11 प्रमुख शिव मंदिरों की अनोखी मान्यता
Sawan Month in Kashi वाराणसी में सावन माह के दौरान काशी के प्रमुख मंदिरों में दर्शन पूजन की मान्यता है। ऐसे में सावन माह के दौरान 11 प्रमुख शिव मंदिरों को जानिए जहां दर्शन और जलाभिषेक से पुण्य की मान्यता है।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। बाबा काशी विश्वनाथ की नगरी में वैसे तो सैकड़ों नहीं हजारों शिवालय हैं। मगर, उनमें भी कुछ ही शिवालय हैं जिनकी पौराणिक और आध्यात्मिक मान्यता है। काशी से बाहर से आने वाले सिर्फ काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन का ही महात्म्य जानते हैं। ऐसे में एक ही खबर में आप वाराणसी के उन प्रमुख शिवालयों की मान्यता और आध्यात्मिक महत्व के बारे में जान सकते हैं। मान्यता यह भी है कि बाबा विश्वनाथ सावन माह भर बाबा दरबार को छोड़कर अपने साले सारंगनाथ के यहां रहते हैं। सावन माह में अगर आप काशी आ रहे हैं तो अन्य प्रमुख शिवालयों की महिमा भी जान लें।
11 प्रमुख शिव मंदिर : ग्यारह प्रमुख शिवालयों में पहला काशी विश्वनाथ मंदिर, दूसरा काल भैरव मंदिर, तीसरा मारकंडेय महादेव, चौथा तिलभांडेश्वर महादेव, पांचवां सारंगनाथ महादेव, छठवां रामेश्वर महादेव, सातवां नीलकंठ महादेव, आठवां मृत्युंजय महादेव, नौवें मशाननाथ, दसवां नागकूप मंदिर, ग्यारहवां नया बीएचयू विश्वनाथ मंदिर का प्रमुख मान काशी में है।
शिव मंदिरों के स्थान और मान्यता : बाबा विश्वनाथ मंदिर दशाश्वमेध घाट के पहले दशाश्वेध गली में विराजते हैं। काल भैरव मंदिर काल भैरव गली में विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित है उनके प्रथम दर्शन की मान्यता है। मारकंडेय महादेव कैथी में गंगा गोमती संगम के पास है, यह पौराणिक महत्व का मंदिर है। तिलभांडेश्वर महादेव बंगाली टोला भेलूपुर में है, मान्यता है कि प्रतिवर्ष तिलभर आकार में इजाफा होता है। सारंगमहादेव सारनाथ में स्थित है जहां सावन भर ससुराल में शिव के ठहरने की मान्यता है। वरुणा तट स्थित रामेश्वर महादेव की स्थापना भगवान राम द्वारा मानी जाती है, इसकी वजह से रामेश्वरम सरीखा पुण्य मिलने की मान्यता है।
नीलकंठ महादेव बाबा दरबार परिक्षेत्र में भूतल में स्थित है, हलाहल पीने की मान्यता की वजह से यह कष्ट हरने वाले हैं। मृत्युंजय महादेव कालभैरव मंदिर के निकट दारानगर के मार्ग पर स्थित है, यहां दर्शन से बीमारी से मुक्ति की मान्यता है। महाश्मशान पर भगवान शिव का मशाननाथ मंदिर है, जहां दर्शन से मोक्ष की मान्यता है। नागकूप मंदिर जैतपुरा में मौजूद है जहां नागपंचमी पर दर्शन कर शिव की कृपा पाने की मान्यता है। वहीं बीएचयू का नया विश्वनाथ मंदिर शहर का सबसे ऊंचा शिवमंदिर है, यह शहर का सबसे नया बना मंदिर है।
सावन में विशेष महिमा : पूर्वांचल भर से आस्थावान बाबा दरबार सहित प्रमुख मंदिरों में जलाभिषेक करने आते हैं। खासकर सावन के हर सोमवार पर बाबा का दर्शन पूजन जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक और प्रमुख तौर पर प्रसाद चढ़ाने और मन्नत की कामना के साथ आस्था का सावन काशी में पूरे माह चरम पर रहता है। सामन में सोमवार को व्रत पूजन दर्शन, दरश-परश ही नहीं बल्कि रुद्राभिषेक कराने वालों की आस्था काशी में उमड़ती है।
वाराणसी में विश्वनाथ मंदिर कैसे पहुंचें : वाराणसी में पहुंचने के लिए बाबतपुर एयरपोर्ट विमान मार्ग से करीबी स्थान है जो देश विदेश से वायु मार्ग से जुड़ा है। यहां से विश्वनाथ मंदिर 25 किलोमीटर है। वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन, काशी और बनारस रेलवे स्टेशन से लगभग तीन किलोमीटर है। बस स्टैंड से तीन किलोमीटर। नाव से दशाश्वमेध घाट होते हुए महज 200 मीटर पर है।
वाराणसी में कहां ठहरें : वाराणसी में सावन भर होटलों, धर्मशालाओं और लॉज में भारी भीड़ रहती है। ऐसे में पूर्व में ही बुकिंग कराना बेहतर रहेगा। यहां पर पांच सितारा होटल से लेकर धर्मशाला और लॉज भी आपके बजट में मिल जाएंगे। हालांकि, लोग ठहरने के लिए गंगा घाट के किनारों के स्थलों को प्राथमिकता देते हैं। मगर वाराणसी कैंट स्टेशन के बास इंग्लिशिया लाइन क्षेत्र में कई बजट होटल उपलब्ध हैं।
कैसे घूमें- टहलें : वाराणसी में सीएनजी आटो, इलेक्ट्रिक आटो, ओला कैब सहित ट्रैवल एजेंसियों की कार और परिवार वालों के लिए ट्रैवलर वाहन भी उपलब्ध है।