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गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर को समर्पित रही भारत आनंद-काशी आनंद की शाम

वाराणसी : गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर बुधवार को डा. राजेंद्र प्रसाद घाट पर दैनिक जागरण का काशी आनंद गुरुदेव को समर्पित रहा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 May 2018 10:48 AM (IST)Updated: Thu, 10 May 2018 10:48 AM (IST)
गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर को समर्पित रही भारत आनंद-काशी आनंद की शाम
गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर को समर्पित रही भारत आनंद-काशी आनंद की शाम

वाराणसी : गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर बुधवार को डा. राजेंद्र प्रसाद घाट पर दैनिक जागरण की ओर से आयोजित भारत आनंद-काशी आनंद कार्यक्रम गुरुदेव को ही समर्पित रहा। शाम की ढलती धूप के बीच संगीत-नृत्य की शीतलता संग संगीत भावांजलि से दर्शक मंत्रमुग्ध हुए। बंगाल की माटी की सुगंध के साथ काशी के बंग समाज के कलाकारों ने एक से बढ़कर एक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। रवींद्र संगीत, कविता पाठ, समूह गान, समूह नृत्य की बयार से सभी ने शांति निकेतन का अनुभव किया। सुधि दर्शकों को कलाकारों ने पूरी तरह से गुरुदेव की कर्मस्थली शांति निकेतन की दुनिया में पहुंचा दिया।

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कार्यक्रम का शुभारंभ गुरुदेव को नमन करके हुआ। प्रथम प्रस्तुति में उद्बोधन समूह गान रहा जिसे गायक व गायिकाओं ने पेश किया। गाने के बोल थे, हे नूतन देखा दिक बार-बार..। ये गीत रवींद्रनाथ के जन्म तिथि 25 बैशाख (बंगला) पर आधारित रहा। इसके बाद छोटे-छोटे कदमों के साथ आई नन्हीं कलाकारों ने ओई रागा माटी आमार मोन आमार मोन.. को बहुत ही सुंदर ढंग से रखा। इसमें नृत्य कलाकार थीं जागृति, अदिति, सौम्या, अनुश्री, हीर, मिहिका। रवींद्रनाथ द्वारा रचित कविता नगोर लोख्खी (नगर लक्ष्मी) की पंक्तियों को सौगत प्रसाद भट्टाचार्य ने सुनाया। इस रचना गौतम बुद्ध ने जब गरीबी को देखा और उसके निस्तारण के उपाय के बारे में जो सोच, उस पक्ष को उभारा गया।

रंगारंग कार्यक्रम के क्रम में दर्शकों की बढ़ती संख्या के साथ ही अगली पेशकश में डा. गायत्री चटर्जी के निर्देशन में बंगाल के गांव को नृत्य के जरिए प्रस्तुत किया गया। कलाकारों में दीप्ती शर्मा, इशिता दासगुप्ता, नंदनी रॉय, काम्या जायसवाल, रियाशा व शिऊली भौमिक रहीं। नृत्य आयोजनों के क्रम में लावण्य पूर्ण.. की गीत पर सोना दास, जबा हालदार, ईहा पाल, अर्पणा व अर्पिता रक्षित ने लयबद्ध तरीके प्रस्तुति दी। इसके बाद शिप्रा घोष के निर्देशन में बंगला लोकगीत पर आधारित हाथे-हाथ धरो.. में बंगाल के उत्सव स्वरूप का मंचन हुआ। इसमें विशाखा, कृति, विवेका, अनन्या, सीमा शामिल रहीं। अगली प्रस्तुति रीता विश्वास के नृत्य संयोजन में एक टू छोया.. को एक खास अंदाज में अनुष्का, अंजली, निधि, ऋषिका, अशोका व श्रुति ने प्रस्तुत की तो उपस्थित दर्शकों ने तालियां बजाकर उत्साहवर्धन किया।

गायिका कस्तूरी सिंह राय ने दिनेर बेलाए बांसी.. सुनाई। इसके भाव में भगवान श्रीकृष्ण के प्रति राग-अनुराग शामिल रहा। वर्षा बसाक ने बादल बाऊल बाजाए.. के माध्यम से प्रकृति के कई रूपों को सामने रखा। गायक अयन भट्टाचार्य ने तोमार खोला हवा.. को कंठ दिया। संगतकार के तौर पर तबले पर विनय मुखर्जी, हारमोनियम पर ब्रोतोति दासगुप्ता, मंजरी पर शिप्रा चक्रवर्ती व रुपाली बागची थीं। समूह गान में रवींद्र संगीत विश्व ह्रदय.. और आनंदो लोक.. को गायकों ने सुनाया। इसमें आवाज देने वालों में सौरभ चक्रवर्ती, देवव्रत दासगुप्ता, डी भट्टाचार्य, अनीता मुंशी, काकोली मुखर्जी, मधुमीता, अमृत चक्रवर्ती आदि कलाकारों की रही।


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