कथा वाचक बाल व्यास पं. श्रीकांत शर्मा ने कहा- 'श्रीमद्भागवत आनंद प्राप्ति की कथा' Varanasi news
ख्यात कथा वाचक बाल व्यास पं. श्रीकांत शर्मा ने कहा कि श्रीमद्भागवत सुख-दुख प्रदान करने की नहीं आनंद प्राप्ति की कथा है।
वाराणसी, जेएनएन। ख्यात कथा वाचक बाल व्यास पं. श्रीकांत शर्मा ने कहा कि श्रीमद्भागवत सुख-दुख प्रदान करने की नहीं, आनंद प्राप्ति की कथा है। सुख भोगना है तो संसार में फंसे रहो और आनंद चाहिए तो भगवान की शरण में आओ। श्रीमद्भागवत जीवन का परिचय और आनंद प्रदान करती है। इसमें जितना डुबोगे उतनी आनंद की अनुभूति होगी। बाल व्यास शनिवार को श्रीकाशी सत्संग सेवा समिति की ओर से नाटीइमली के भरत मिलाप मैदान में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के पहले दिन प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मनुष्य ज्ञान प्राप्त कर अंधकार की बेड़ियों से मुक्त हो सकता है लेकिन पशु ऐसा नहीं कर सकता।
श्रीमद्भागवत के अनुसार सभी ईश्वर के अंश हैं, लेकिन कोई ईश्वर जैसा व्यवहार नहीं कर रहा। कोई भी मनुष्य जन्म से नहीं वरन संगत से बनता-बिगड़ता है। जीवन का आनंद भौतिक सुखों में नहीं बल्कि ईश्वर के साथ जुड़े रहने में है। उन्होंने कहा कि कलियुग में सत्य केवल श्रवण से ही जाना जा सकता है। इसलिए सदैव संतों की वाणी का श्रवण व सद्गुरु की शरण में रहकर धर्मग्रंथों का अध्ययन करना चाहिए। यह शास्त्र सम्मत है कि कलियुग में ईश्वर संतों की वाणी पर सवार होकर ही आते हैं। ईश्वर में न दूरी है और न ही देरी, बस उन्हें स्मरण करते रहने की आवश्यकता है।
रामकटोरा स्थित राणी सती मंदिर से निकली पोथी यात्रा रामकटोरा स्थित राणी सती मंदिर से पोथी यात्रा निकाली गई। बाल व्यास आचार्य श्रीकांत शर्मा के सानिध्य में यजमान महावीर प्रसाद रूंगटा व उर्मिला रूंगटा ने सिर पर पोथी धारण किया। कथा मंडप आने पर गौरी-गणेश व व्यास पीठ पूजन किया गया। आरके चौधरी, दीपक बजाज, दीनानाथ झुनझुनवाला, नवीन रूंगटा, प्रमोद बजाज, अवधेश खेमका, सुरेश तुलस्यान आदि ने दीप जलाकर शुभारंभ किया। संचालन महेश चौधरी व संयोजन कृष्ण कुमार काबरा ने किया।