श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर नवहानीपुर आश्रम में भागवद भजन का आयोजन, झूमे श्रद्धालु Varanasi news
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर नवहानीपुर आश्रम में भागवद भजन का आयोजन हुआ।
वाराणसी, जेएनएन। सेवापुरी में परमहंस आश्रम (सक्तेशगढ़) पीठाधीश्वर स्वामी अड़गड़ानंद महाराज ने कहा कि भगवद् चरणों में जिसका मन अनुरक्त है वही धर्मज्ञ और ज्ञाता है। एक परमात्मा का भजन करने वाले मनुष्य के अंदर से आसुरी वृत्तियों का शमन हो जाता है और वह परमात्म भाव को प्राप्त होता है। एक ईश्वर के भजन बिना जीव को न शाति मिलती है और न ही सुख मिलता है। स्वामी अड़गड़ानंद महाराज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर शनिवार को नवहानीपुर आश्रम में प्रवचन कर रहे थे। बोले, प्रभु श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि न मेरा कोई शत्रु है न ही मित्र, जो मुझे अनन्य भाव से भजता है मैं उसमें हूं और वह मुझमें है, बस यही एक रिश्ता है।
भगवान को भजने के लिए न तो पुण्य जैसी पूंजी की जरूरत और पाप जैसी रुकावट भी नहीं है। अत्यंत दुराचारी भी यदि अनन्य भाव से उन्हें भजता है तो वह मुझे परम् प्रिय है व साधु मानने योग्य है। एक परमात्मा के प्रति जो समर्पित हो जाता है वह जल्द ही धर्मात्मा हो जाता है। ईश्वर सभी प्राणियों के हृदय में निवास करते हैं लेकिन भगवान दर्शन उसी को देते हैं जो उन्हें अनन्य भाव से भजता है। जीव भगवान का विशुद्ध अंश है। भगवान के दरबार मे जाति-पाति का भेद नहीं होता।
गीता भगवान श्रीकृष्ण की वाणी है जो मजहबी दीवारों से मुक्त है। इसलिए हर मनुष्य को गीता का अनुकरण करना चाहिए। इससे पहले स्वामी अड़गड़ानंद के आश्रम पहुंचने पर श्रद्धालुओं ने हर हर महादेव के उद्घोष से उनका अभिनंदन किया। वापसी में कछवां रोड में भी सड़क किनारे खड़े लोगों ने स्वागत किया। अड़गड़ानंद महाराज के साथ नारद महाराज, तानसेन महाराज, लाली बाबा, खदेरू महाराज, सोहन बाबा, मौनी बाबा, सूरदास महाराज, राहुल बाबा आदि थे।