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बीएचयू में कोरोना काल में भी कैंसर का चलता रहा बेहतर उपचार, जानिए मरीजों के लिए क्‍या हैं और तैयारियां

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के अंदर भी कैंसर विभाग भी एक ऐसा विभाग है जो जीवन बचाने में लगा है। इस विभाग ने कोरोनाकाल में भी अपने कर्तव्य पथ पर अडिग रहते हुए अपने मरीजों को सही समय पर उचित इलाज उपलब्ध कराया है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Tue, 05 Oct 2021 12:49 PM (IST)Updated: Tue, 05 Oct 2021 12:49 PM (IST)
बीएचयू में कोरोना काल में भी कैंसर का चलता रहा बेहतर उपचार, जानिए मरीजों के लिए क्‍या हैं और तैयारियां
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के अंदर भी कैंसर विभाग भी एक ऐसा विभाग है जो जीवन बचाने में लगा है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। जबसे मनुष्य का अस्तित्व शुरू हुआ तब से ही जीवन के साथ उसका संघर्ष शुरू हुआ और इसी संघर्ष के साथ -साथ जीवन जीने और बचाने के संसाधन विकसित हुए। ऐसा ही एक संसाधन मालवीय जी द्वारा संस्थापित काशी हिंदू विश्वविद्यालय के तहत आने वाला सर सुंदरलाल अस्पताल है। इसके अंदर भी कैंसर विभाग भी एक ऐसा विभाग है जो जीवन बचाने में लगा है। इस विभाग ने कोरोनाकाल में भी अपने कर्तव्य पथ पर अडिग रहते हुए अपने मरीजों को सही समय पर उचित इलाज उपलब्ध कराया है।

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'कैंसर' एक असाध्य रोग माना जाता है। चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू के रेडियोथेरेपी एवं रेडिएशन मेडिसिन विभाग ने सफलतापूर्वक मरीजो का इलाज करके इस बात को साबित किया है कि असाध्य रोग पर भी विजय पाई जा सकती है । भले ही कोरोनाकाल में बहुत सारी सुविधाओं और संस्थाओं को बंद कर दिया गया हो, परन्तु अस्पताल खुले रहे और चिकित्सा विभाग अपनी क्षमता से भी अधिक कार्य करता रहा है।

कैंसर विभाग के लिए ये एक बङी चुनौती थी कि कैंसर से पीड़ित मरीज इस कोरोना काल में कैसे दोहरी मार झेलेंगे? चिकित्सकों से लेकर चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों तक जो स्वयं कोरोनापीङित हो रहे थे। उनके लिए अपने मरीजों को बचाना, उनकी चिकित्सा जारी रखना बहुत कठिन कार्य था। रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी, ब्रेकीथेरेपी की सारी मशीनों को चालू हालत में रखने के लिए विशेष प्रबंधन की आवश्यकता थी। ऐसे में विभागाध्यक्ष प्रो. सुनील चौधरी के नेतृत्व में एक विशेष टीम का निर्माण किया गया और सीनियर एवं जूनियर डाक्टरों के सहयोग और सकारात्मक भूमिका से इसे संभव बनाया गया।

अस्पताल न पहुंच सकने वाले मरीजों को फोन पर ही सुझाव एवं सलाह दी गई। संस्थान के निदेशक प्रो. बीआर मित्तल, चिकित्सा अधीक्षक प्रो. केके गुप्ता, विभाग के प्रो. यूपी शाही, प्रो. ललित मोहन अग्रवाल, प्रो. ए मंडल के निर्देशन में कैंसर पीङितो को अवसाद से बचाने के लिए उनकी काउंसिलिंग की गई, जो मरीज अस्पताल में भर्ती थे। उनका समुचित इलाज किया गया।

प्रो. सुनील चौधरी ने बताया कि वर्तमान परिस्थितियों का आंकलन करते हुए आज चिकित्सा क्षेत्र में गहन शोध की आवश्यकता है। वायरस के प्रसार और प्रभाव को देखते हुए भविष्य में हमें और अधिक चिकित्सक और चिकित्सीय सुविधाओं की आवश्यकता होगी। इसके मद्देनजर कोविड नियमों को ध्यान रखते हुए भावी चिकित्सकों की कक्षाएं नियमित चलाई जाएं। उन्होंने जनता से कोविड प्रोटोकाल के नियमों का पालन करने की विनम्र अपील की है, साथ ही कहा है- समस्त चिकित्सा विभाग आपकी सेवा में प्रस्तुत है, परन्तु कोविड मानकों का प्रयोग करते हुए, मानवता का और चिकित्सा विभाग का सहयोग करें।


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