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संपूर्णांनद संस्‍कृत विश्‍वविद्यालय से घर बैठे तीन से छ्ह माह में बनें ज्योतिषाचार्य, संस्कृत भाषा की बाध्यता भी नहीं

संपूर्णांनद संस्‍कृत विश्‍वविद्यालय में अब से घर बैठकर भी तीन से छ्ह माह में ज्योतिषाचार्य बनने का मौका है। इस पाठ्यक्रम के दौरान संस्कृत भाषा की बाध्यता भी नहीं है। ऐसे में कोई भी व्‍यक्ति इसका लाभ ले सकता है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Fri, 27 May 2022 11:59 AM (IST)Updated: Fri, 27 May 2022 11:59 AM (IST)
संपूर्णांनद संस्‍कृत विश्‍वविद्यालय से घर बैठे तीन से छ्ह माह में बनें ज्योतिषाचार्य, संस्कृत भाषा की बाध्यता भी नहीं
संपूर्णांनद संस्‍कृत विश्‍वविद्यालय से घर बैठे ज्योतिषाचार्य बनने का मौका है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। बजट में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय को आनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र खोलने के लिए एक करोड़ 16 लाख रुपये मिला है। इस केंद्र के माध्यम से ज्योतिष, कर्मकांड, वास्तुशास्त्र, योग,  तीर्थ, श्राद्धकर्म, पौरोहित्य, अर्चक में तीन माह का सर्टिफिकेट व छह माह का डिप्लोमा कोर्स आनलाइन संचालित किया जाएगा। खास बात यह है कि इन कोर्सों में दाखिले के लिए संस्कृत भाषा की बाध्यता भी नहीं होगी।

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विश्वविद्यालय ने प्राच्‍य विद्या के प्रचार- प्रसार के लिए आनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र खोलने के लिए शासन को 16 करोड़ रुपये का  प्रस्ताव भेजा गया था। प्रस्ताव के क्रम में शासन ने बजट में 1.16 करोड़ रुपया आवंटित कर दिया है। राजभवन से मिलते ही ही दाखिले के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। सभी कोर्स आनलाइन व आफलाइन दोनों मोड में कोर्स शुरू करने का निर्णय लिया है ताकि घर बैठे भी लोग सर्टिफिकेट व डिप्लोमा कर सकें। इससे आम जनमानस, गृहिणी व नौकरीपेशा वाले लोग भी धर्म- कर्म की समझ विकसित होगी। वहीं उन्हें रोजगार के अवसर मिल सके।


आनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र के लिए बनेगा डिजिटल स्टूडियो : आनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र के तहत संस्कृत विश्वविद्यालय में एक डिजिटल स्टूडियो भी बनाया जाएगा।विषय विशेषज्ञों के व्याख्यान की रिकार्डिंग इसी डिजिटल स्टूडियो में की जाएगी। इसे विवि की वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाएगा ताकि डिप्लोमा करने वाले विद्यार्थियों को आसानी से सुलभ हो सके। इसके अलावा व्याख्यानों की सीडी अन्य संस्थानों को शोध में उपयोग के लिए भी उपलब्ध कराने की योजना है। यही नहीं व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए  आकाशवाणी व दूरदर्शन का भी सहयोग लिया जाएगा।

बोले कुलपति : बजट से वैश्विक स्तर पर प्राच्च विद्या के प्रचार-प्रसार को बल मिलेगा । विश्वफलक पर संस्कृत और संस्कृति का सरल स्वरुप तथा गरिमा प्रतिस्थापित होगी, जिसमें जनमानस मे संस्कृत समभाषा की दक्षता विकसित होकर लोक भाषा के रूप मे प्रचलित होगी। इससे हमारी संस्कृति और समृद्ध होगीी, लोग अपने घरों मे बैठकर विभिन्न तरह के संस्कृत प्रशिक्षण ('पाठ्यक्रम) को सीख सकेंगे जिसमें महिलाओं को इस माध्यम से अत्यधिक लाभ प्राप्त होगा। -प्रो. हरेराम त्रिपाठी कुलपति।


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