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वाराणसी के साथ विश्व पटल पर धाक जमाएगा पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति संग्रहालय की खूबसूरती

देशवासियों को एक अलग पाठ पढ़ाने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों की गूंज हर तरफ सुनाई दे रही है।अब काशी के साथ ही पड़ाव भी विश्व पटल पर धाक जमाएगा। इससे चौराहे के समीप बने पंडित दीनदयाल स्मृति संग्रहालय में पर्यटन को बढ़ाव मिलेगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 14 Dec 2021 07:30 PM (IST)Updated: Tue, 14 Dec 2021 07:30 PM (IST)
वाराणसी के साथ विश्व पटल पर धाक जमाएगा पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति संग्रहालय की खूबसूरती
पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति संग्रहालय की खूबसूरती

वाराणसी, संजय यादव। देशवासियों को एक अलग पाठ पढ़ाने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों की गूंज हर तरफ सुनाई दे रही है।अब काशी के साथ ही पड़ाव भी विश्व पटल पर धाक जमाएगा। इससे चौराहे के समीप बने पंडित दीनदयाल स्मृति संग्रहालय में पर्यटन को बढ़ाव मिलेगा। सोमवार को काशी में बाबा विश्वनाथ धाम की अद्भूत, अकल्पनीय, अविश्वसनीय, अवर्णनीय की अलौकिक छटा देखने के बाद मंगलवार को एक साथ पहुंचे देश के दस मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री और उनकी पत्नियां संग्रहालय की खूबसूरती को निहारती रह गई। गंगा इस बार बने संग्रहालय में अद्भूत रिकार्ड बना। यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई दिग्गज नेताओ का आगमन हो चुका है। यहां की कलाकृतियां हर किसी को भा जाती है।

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दुनिया में कई तरह के विचारक हुए। जिनके नाम की पहचान उनके कामों से हुई। इन्हीं विचारकों में से एक नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय का भी है। पं. दीनदयाल उपाध्याय बहुप्रतिभा के धनी थे। वे एक भारतीय विचारक ही नहीं बल्कि अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री इतिहासकार और पत्रकार भी थे। दीनदयाल उपाध्याय भारतीय जनसंघ के नेता और भारतीय राजनीतिक एवं आर्थिक चिंतन को वैचारिक दिशा देने वाले पुरोधा थे। वे उस परंपरा के वाहक थे जो नेहरु के भारत नवनिर्माण की बजाय भारत के पुनर्निर्माण की बात करती है। एकात्म मानववाद के रूप में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने भारत की तत्कालीन राजनीति और समाज को उस दिशा में मुड़ने की सलाह दी है, जो सौ फीसदी भारतीय है। वे मानव को विभाजित करके देखने के पक्षधर नहीं थे।

चौराहे को पंडित जी का मना गया अंतिम पड़ाव

पड़ाव चौराहे से महज कुछ किलोमीटर दूर स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन के यार्ड में पंडित जी की लाश मिली थी। इसीलिए चौराहे को उनका अंतिम पड़ाव मना गया। इसके बाद यहां उनकी विचारों को जन जन तक पहुंचाने के लिए संग्रहालय का निर्माण कराया गया है। इस स्मारक में प्रतिमा के साथ संग्रहालय, प्रदर्शनी, कुंड का निर्माण किया गया है। दीवारों पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन सिद्धांत और आदर्श वाक्य को उकेरा गया है। एक साथ अरुणाचल प्रदेश, गोवा, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री संग्रहालय की खूबसूरती देखने के लिए पहुंचे।

आज रामलला का करेंगे दर्शन

काशी की संस्कृति व इतिहास को जानने के बाद लगभग 12 राज्यों के मुख्यमंत्री बुधवार यानि 15 दिसंबर को रामलला के दर्शन और पूजा अर्चना करेंगे। साथ ही अयोध्या में रात्रि प्रवास भी करेंगे। उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, नागालैंड, मणिपुर,त्रिपुरा, गुजरात, हरियाणा, गोवा इन राज्यों के मुख्यमंत्री के साथ दो बिहार और एक अरुणाचल प्रदेश के तीन डिप्टी सीएम भी भाग लेंगे। वहीं, सिक्किम, मेघालय, मिजोरम, कर्नाटक, पुदुचेरी आदि के मुख्यमंत्री का भी आगमन हो सकता है। सभी नेताओ का स्वागत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे।


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