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वाराणसी में 53 साल बाद खतौनी में ग्राम सभा के नाम दर्ज की गई बंजर जमीन

डिप्टी कलेक्टर माल के आदेश के 53 साल बाद बिहड़ा गांव में बंजर जमीन पर बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी के अभिलेख में ग्रामसभा दर्ज हो गया। ग्रामसभा की बंजर जमीन पर फर्जी तरीके से नाम चढ़वाकर 2.19 करोड़ रुपये मुआवजा लेने की मामले की भी जांच शुरू हो गई है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 06:53 PM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 06:53 PM (IST)
वाराणसी में 53 साल बाद खतौनी में ग्राम सभा के नाम दर्ज की गई बंजर जमीन
53 साल बाद बिहड़ा गांव में बंजर जमीन पर बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी के अभिलेख में ग्रामसभा दर्ज हो गया।

वाराणसी, जेएनएन। डिप्टी कलेक्टर माल के आदेश के 53 साल बाद बिहड़ा गांव में बंजर जमीन पर बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी के अभिलेख में ग्रामसभा दर्ज हो गया। ग्रामसभा की बंजर जमीन पर फर्जी तरीके से नाम चढ़वाकर 2.19 करोड़ रुपये मुआवजा लेने की मामले की भी जांच शुरू हो गई है। बंजर जमीन पर कैसे नाम चढ़ा, किन-किन अधिकारियों और कर्मचारियों की संलिप्तता रही है। उनके बारे में भी पता लगाया जा रहा है जिससे उनके खिलाफ कार्रवाई हो सके। जानकारी होने पर दो मार्च को दैनिक जागरण ने बंजर जमीन पर ले लिया 2.19 करोड़ मुआवजा शीर्षक प्रकाशित कर इस मामले को जिला प्रशासन के समक्ष रखा।  

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राजातालाब तहसील के परगना कसवार राजा बिहड़ा में मोहनसराय-प्रयागराज (एनएच-19) के पास पांच एकड़ जमीन को लेकर कोले बनाम ग्रामसभा की सुनवाई करते हुए तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर माल एसपी श्रीवास्तव ने पांच मार्च 1968 को कोले यादव के खिलाफ फैसला सुनाया था। साथ ही अभिलेखों में ग्रामसभा दर्ज करने का निर्देश दिया था। उक्त आदेश के खिलाफ कोले यादव ने मंडलायुक्त के यहां अपील की थी, लेकिन तत्कालीन मंडलायुक्त ने 24 जून 1989 को खारिज कर दिया था। तत्कालीन बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी पुनीत शुक्ला (वर्ष 2009) के आदेश को भी दरकिनार कर दिया था। अधिकारी आदेश करते रहे, लेकिन अभिलेख में ग्रामसभा दर्ज हुआ या नहीं इस बारे में किसी को चिंता नहीं थी। इसी का फायदा उठाते हुए हाल के अधिकारियों और कर्मचारियों ने खेल कर दिया। कोले यादव की मृत्यु के बाद बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी के अधिकारियों-कर्मचारियों और तहसील कर्मियों की मिलीभगत से नाम चढ़वा लिया। स्व. कोले यादव के पुत्र कमलेश यादव, बृजेश यादव, राजेश यादव, अखिलेश यादव व दधीश्वर यादव तथा उनकी पत्नी मुखा देवी को वारिस घोषित करते हुए रिपोर्ट लगा दी। इसी आधार पर लोगों ने हाईवे की जमीन पर 2.19 करोड़ मुआवजा तक ले लिया। मामला उजागर होने पर बंदोबस्ती चकबंदी अधिकारी ने आनन-फानन मिर्जामुराद थाना में लेखपाल सर्वे शंकर यादव को भेजकर बिहड़ा गांव के कमलेश यादव, बृजेश यादव, राजेश यादव, अखिलेश यादव, दधीश्वर यादव व मुखा देवी के नाम मुकदमा दर्ज करा दिया।  

कछवां रोड चौकी प्रभारी बने विवेचक

बिहड़ा में फर्जी तरीके से बंजर जमीन पर नाम चढ़वाने के मामले में मिर्जामुराद थाना में दर्ज मुकदमे की जांच कार्यवाहक थानाध्यक्ष ने कछवां रोड चौकी प्रभारी रजनीश त्रिपाठी को सौंपी है। चौकी प्रभारी ने बताया कि धोखाधाड़ी, कूटरिचत समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है।

काश्तकार का नाम काटकर ग्रामसभा बंजर दर्ज कर दिया गया है

जिलाधिकारी के निर्देश पर अभिलेखागार से पत्रावली निकलवाकर बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी कार्यालय में उपलब्ध कराकर अभिलेख में ग्रामसभा दर्ज करा दिया गया है। तत्कालीन बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी के आदेश 16 फरवरी 2009 का खतौनी में अनुपालन कराया गया। काश्तकार का नाम काटकर ग्रामसभा बंजर दर्ज कर दिया गया है।

-अशोक वर्मा, जिला शासकीय अधिवक्ता


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