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बापू का काशी विद्यापीठ से रहा गहरा नाता, 'बापू दीर्घा' में महात्‍मा गांधी का चरखा आज भी संरक्षित

महात्मा गांधी का काशी से गहरा नाता रहा है। वह काशी में करीब 11 बार आए। इसमें से सात बार वह काशी विद्यापीठ में ठहरे।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Thu, 30 Jan 2020 10:49 AM (IST)Updated: Thu, 30 Jan 2020 10:49 AM (IST)
बापू का काशी विद्यापीठ से रहा गहरा नाता, 'बापू दीर्घा' में महात्‍मा गांधी का चरखा आज भी संरक्षित

वाराणसी, जेएनएन। काशी से बापू का काफी गहरा संबंध रहा है, वहीं बापू की स्‍मृतियां आज भी काशी में विभिन्‍न स्‍थानों पर आज भी संग्रहीत हैं। काशी में शिक्षा के लिए बापू का प्रयास आज भी उनके नाम पर महात्‍मा गांधी काशी विद्यापीठ के रूप में ज्ञान का उजाला फैला रहा है। आज काशी विद्यापीठ पूर्वांचल के बड़े शैक्षणिक संस्‍थानों में एक है और इस विवि में देश भर से छात्र शिक्षा लेने आते हैं। 

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महात्मा गांधी का काशी से काफी समय से गहरा नाता रहा है, इस दौरान वह काशी में करीब 11 बार आए। इसमें से सात बार वह काशी विद्यापीठ के परिसर में ही ठहरे। मानविकी भवन के जिस कक्ष में महात्मा रुके थे उस कक्ष में बापू का चरखा आज भी सुरक्षित रखा हुआ है। यही नहीं विद्यापीठ ने इस कक्ष में 'बापू दीर्घा' के नाम पर विकसित किया है। यहां बापू की स्‍मृतियां आज भी सहेजकर रखी गई हैं।

काशी विद्यापीठ की स्थापना गांधी के असहयोग आंदोलन से प्रभावित होकर बाबू शिव प्रसाद गुप्ता और भगवान दास ने की थी। वहीं इसकी आधारशिला 10 फरवरी 1921 में महात्मा गांधी ने रखी थी। इसे देखते हुए वर्ष 1995 में विद्यापीठ ने नाम के आगे उनका भी नाम जोड़ा गया। ब्रिटिश भारत में यह पहला स्वदेशी विश्वविद्यालय था। बाद के दिनों में कुछ और प्रदेशों में भी शिक्षा की अलख जगाने के लिए इस तरह के विद्यापीठ स्थापित हुए। गत वर्ष गांधी जी की 150वीं जयंती पर दिल्ली परेड में विद्यापीठ की झांकी निकाली गई थी।

वहीं काशी विद्यापीठ ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर मानविकी संकाय में बापू दीर्घा आमजनों के लिए खोल दिया है। अब कोई भी व्यक्ति बापू दीर्घा देख सकता है। परिसर स्थित गांधी अध्ययनपीठ में महात्मा गांधी की पुण्य तिथि पर 30 जनवरी को चित्र प्रदर्शनी लगाई जाएगी। गांधी अध्ययनपीठ के निदेशक प्रो. राम प्रकाश द्विवेदी ने बताया कि सर्व धर्म प्रार्थना का भी आयोजन होगा। इसके अलावा बापू दीर्घा में भी भजन-कीर्तन का आयोजन होगा। 


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