बनारसी स्ट्रीट फूड : इंतजार बताता है जायके का रुतबा, कटलेट में टमाटर-धनिया की तीखी चटनी और छोले का साथ
काशी की सुबह और शाम दोनों ही खास है। यहां घूमने-फिरने की मस्ती के साथ-साथ खान-पान का क्रेज भी सिर चढ़कर बोलता है।
वाराणसी [सौरभ चंद्र पांडेय]। काशी की सुबह और शाम दोनों ही खास है। यहां घूमने-फिरने की मस्ती के साथ-साथ खान-पान का क्रेज भी सिर चढ़कर बोलता है। ठंड बढ़ते ही लोग गरमागरम व्यंजनों का लुत्फ लेना शुरु कर देते है। वरुणापार इलाके के पहडिय़ा चौराहे पर लोग शाम का बेसब्री से इंतजार करते हैं। जैसे ही शाम को पांच बजता है लोग बबलू उर्फ राजकुमार गुप्ता के ठेले का रुख कर लेते हैं। चौराहे से गुजरने वाले लोग इस ठेले की भीड़ देखकर बरबस ही रुक जाते हैं। फिर क्या पैसे जमा कर आधे घंटे इंतजार कीजिए, फिर गरमागरम कटलेट का आनंद उठाइए।
लगभग 20 वर्षो से ठेला लगाकर अपनी आजीविका चला रहे बबलू के चटपटे कटलेट के लोग मूरीद हैं। बबलू के ठेले पर कटलेट के साथ-साथ टमाटर और धनिया की तीखी चटनी और छोले भी मिलता है। बबलू बताते हैं कि 20 वर्ष पूर्व पचास पैसे में वह अपने ग्राहकों को छोले के साथ कटलेट उपलब्ध कराते थे। महंगाई बढ़ी तो लागत भी बढ़ता गया लेकिन वह अपने कटलेट के स्वाद को वैसे ही बनाए रखे हैं। मजेदार बात यह कि इस ठेले का कटलेट घंटों बाद भी कुरकुरा रहता है जिस कारण लोग खाने के साथ-साथ पार्सल भी कराते हैं।
आलू से बने मसाले का है कमाल
ठेले पर जुटे ग्राहकों ने बताया कि शहर की कई दुकानों पर कटलेट मिलता है लेकिन बबलू के कटलेट में भरे गए आलू का मसाला बहुत ही क्रिस्पी और स्पाइसी है जिस कारण ग्राहक खींचे चले आते हैं।
सूजी और सेवई का इस्तेमाल
कटलेट बनाने में सूजी और सेवई का प्रयोग होता है। कारीगर बताते हैं कि सूजी का कटलेट खाने में ज्यादा कुरकुरा लगता है।
वेज कटलेट का खूब क्रेज
शहर की कई प्रसिद्ध दुकानों की बात करें तो वहां आलू से बने कटलेट के साथ-साथ वेज कटलेट का खूब क्रेज है। इसमें सभी मौसमी सब्जियों का प्रयोग होता है। इसके साथ ही इसमें ब्रेड का भी इस्तेमाल किया जाता है।
व्रत के लिए खास है केले का कटलेट
आप व्रत में भी कटलेट को फलाहार के रूप में खा सकते हैं। कच्चे केले और सिंघाड़े के आटे का प्रयोग कर आप व्रत के दिनों में इसे घर पर भी तैयार कर सकते हैं।