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जलवायु परिवर्तन और कृषि ऊर्जा की चुनौतियों के समाधान के लिए पारित होगा ‘बनारस एजेंडा’

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन में शनिवार से आरंभ चार दिवसीय 15वां कृषि विज्ञान अधिवेशन एवं कृषि प्रदर्शनी में जलवायु परिवर्तन तथा कृषि ऊर्जा की चुनौतियों के समाधान को राष्ट्रीय स्तर पर विमर्श एवं शोध-अनुसंधानों की बात होगी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sat, 13 Nov 2021 09:15 PM (IST)Updated: Sat, 13 Nov 2021 09:55 PM (IST)
जलवायु परिवर्तन और कृषि ऊर्जा की चुनौतियों के समाधान के लिए पारित होगा ‘बनारस एजेंडा’
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा. त्रिलोचन महापात्रा

जागरण संवाददाता, वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन में शनिवार से आरंभ चार दिवसीय 15वां कृषि विज्ञान अधिवेशन एवं कृषि प्रदर्शनी में जलवायु परिवर्तन तथा कृषि ऊर्जा की चुनौतियों के समाधान को राष्ट्रीय स्तर पर विमर्श एवं शोध-अनुसंधानों की बात होगी। संभव है कि इसके निष्कर्षों को लेकर इस क्षेत्र में कृषि विज्ञान कांग्रेस द्वारा ‘बनारस एजेंडा’ पारित किया जाए, जो भविष्य में कृषि क्षेत्र में पारंपिरक ऊर्जा की खपत को न्यूनतम अथवा शून्य करने का मार्ग प्रशस्त करेगा। इससे कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आएगा और किसानों की आय में काफी वृद्धि होगी। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा. त्रिलोचन महापात्रा ने अधिवेशन आरंभ होने के पूर्व पत्रकारों से बातचीत में अधिवेशन के लक्ष्यों-उद्देश्यों और संभावनाओं पर बातचीत की।

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उन्होंने कहा कि हमारे देश में कृषि में उपयोग होने वाली ऊर्जा मात्र 2.5 किलो वाट प्रति हेक्टेयर है फिर भी डीजल के मूल्य में अस्थिरता ने किसानों के समक्ष गंभीर समस्या पैदा कर दी है। इस अधिवेशन के दौरान सौर ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा से चलने वाले वाहन तथा जैविक ऊर्जा के कृषि में प्रयोग पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। वैज्ञानिकों के अनुसार ऊर्जा बचत का तात्पर्य प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों रूपों में ऊर्जा की खपत से है। बताया कि खेती में सौर ऊर्जा और जैव-ईंधन के निवेश को बढ़ाया जाएगा। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ग्लासगो संकल्प को आधार बनाते हुए भविष्य के भारतीय कृषि की कुंडली तैयार की जाएगी। खेती में अक्षय ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। नई शिक्षा नीति के उद्देश्यों के अनुरूप कृषि बाजार और जलवायु परिवर्तन को आधार बनाते हुए देश भर के कृषि संस्थानों के पाठ्यक्रमों की पाठ्यवस्तु में किए जाने वाले संशोधनों, परिवर्तनों पर भी अधिवेशन में चर्चा की जाएगी। देश भर के वैज्ञानिकों द्वारा कुल 550 शोध पत्र भी प्रस्तुत किए जाएंगे।

शामिल होंगे देश के सभी कृषि संस्थानों के निदेशक, विश्वविद्यालयों के कुलपति, वैज्ञानिक व शोध छात्र

आयोजन सचिव डा. राकेश कुमार सिंह ने बताया कि अधिवेशन में संयुक्त राज्य अमेरिका में कार्यरत वैज्ञानिक डा. रतन लाल, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक डा. मंगला राय, डा. आरएस परौदा, डा. पंजाब सिंह, ऊर्जा और संसाधन संस्थान के महा निदेशक डा. अजय माथुर, सीएसआइआर के महानिदेशक डा. शेखर सी मंडे सहित देश के सभी कृषि संस्थानों के निदेशक, विश्वविद्यालयों के कुलपति, वैज्ञानिक व शोध छात्र शामिल होंगे। चार दिनों में कुल 29 सत्रों में विमर्श के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। प्रेस वार्ता के दौरान कृषि विज्ञान संस्थान बीएचयू के निदेशक प्रो. रमेश चंद के अतिरिक्त अनेक वैज्ञानिक, आचार्य उपस्थित थे।


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