आयुर्वेद का साथ : भोजन का सही होगा अनुपात तो अच्छी सेहत की बनेगी बात
चरक संहिता के अनुसार किसी भी रोग से मुक्ति के लिए उचित आहार लेने का अत्यंत महत्व है। औषधि के प्रयोग से मिलने वाला लाभ उचित आहार लेने से ही मिल सकता है।
वाराणसी [कृष्ण बहादुर रावत] : आयुर्वेद केवल चिकित्सा विज्ञान ही नही बल्कि जीवन का विज्ञान भी है। जीवन की प्रत्येक अवस्था बाल्य, युवा, वृध्दावस्था हो या स्वास्थ्य और रोगी की अवस्था हो, इन सभी स्थितियों में क्या खाये क्या पिये जिससे स्वास्थ्य लाभ हो जैसे विषयों का गहन वर्णन आयुर्वेद में मिलता है।
भोजन से शरीर निर्माण
हमारा भोजन वह आधार है जिससे हमारे शरीर का निर्माण होता है। चरक संहिता के अनुसार किसी भी रोग से मुक्ति के लिए उचित आहार लेने का अत्यंत महत्व है। औषधि के प्रयोग से मिलने वाला लाभ उचित आहार लेने से ही मिल सकता है। सही भोजन लेना औषधि लेने से 100 गुना अधिक लाभदायक है। अनुचित खानपान ही शरीर में रोग का मुख्य कारण है।
सौ वर्ष का जीवन
स्वास्थ्य की सम्पूर्ण परिकल्पना में आहार सबसे महत्वपूर्ण पहलू है जिसके बारे में वैद्यावसंत में आचार्य लोलिम्बराज कहते है -
पथ्ये सति गदार्तस्य किमौषधिनिषेवणैः ।
पथ्येऽसति गदार्तस्य किमौषधिनिषेवणैः ॥
अर्थात् आयुर्वेद ग्रंथों में जैसा आहार बताया गया है वैसा यदि मनुष्य भोजन में ध्यान रखें तो औषधि की क्या जरूरत है, क्योंकि तब रोग आएगा ही नहीं और यदि आयुर्वेद में बताए गए नियम के अनुसार भोजन ग्रहण नहीं करेंगे तो भी औषधियों की जरूरत ही नहीं क्योंकि आहार के शुद्ध ना होने से रोग जाएगा नहीं। आयुर्वेद के ही एक और महान आचार्य कश्यप ने कहा है "आहारो महाभैषज्यम उच्यते" अर्थात आहार से बड़ी कोई औषधि इस धरती पर नहीं है | इस प्रकार हितकर आहार-विहार करने वाले पुरुष रोग रहित होकर 36000 रात्रि अर्थात 100 वर्ष तक जीवित रहते हैं।
आयुर्वेद का ज्ञान मानते हैं विद्वान
प्रत्येक मनुष्य को आहार कैसा करना चाहिए इसके बारे में चौकाघाट स्थित राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के वैद्य अजय कुमार आयुर्वेद के ग्रंथों में वर्णित तथ्यों को बताते हैं। यहां पर एक बात और उल्लेखनीय है कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के इतनी तरक्की करने के बावजूद रोगों की संख्या दिनो दिन बढ़ती जा रही है। इसका मुख्य कारण है कि हम सिर्फ आधुनिक दवाओं के सेवन से स्वस्थ नही रह सकते हैं। अगर हम वास्तव में पूर्ण रूप से स्वस्थ रहना चाहते है तो हमे अपने आयुर्वेद में बताए गए नियमों के अनुसार अपने भोजन करने के तौर तरीकों में बदलाव लाना चाहिए।