काशी में बदली परंपराओं के बीच इस बार तिलक चढ़वाने बाबा जाएंगे टेढ़ीनीम गेस्ट हाउस
तिलक की रस्म तो परंपरा के अनुसार दूल्हे के घर पर ही निभाई जाती है लेकिन बाबा को इस बार इसके लिए टेढ़ीनीम स्थित गेस्ट हाउस जाना होगा।
वाराणसी, जेएनएन। तिलक की रस्म तो परंपरा के अनुसार दूल्हे के घर पर ही निभाई जाती है लेकिन बाबा को इस बार इसके लिए टेढ़ीनीम स्थित गेस्ट हाउस जाना होगा। माघ शुक्ल पंचमी यानी वसंत पंचमी पर 30 जनवरी को महंत परिवार के इस अस्थायी निवास में तिलक की रस्में निभाई जाएंगी। बाबा के विवाहोत्सव विधान आरंभ के अनुष्ठान पूरे होने के बाद पंचवदन रजत प्रतिमा पुन: श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में रानी भवानी परिसर के प्रथम तल स्थित कैश रूम पहुंचाई जाएगी।
महंत आवास का पिछला हिस्सा पिछले बुधवार को गिरने के बाद से प्रतिमा यहां ही रखकर पूजा-अर्चना की जा रही है। वहीं, महंत परिवार गेस्ट हाउस में डेरा डाले है। मान्यता है कि बाबा भोले शंकर का विवाह महाशिवरात्रि पर हुआ तो इससे पहले वसंत पंचमी के दिन राजा दक्ष ने बाबा की तिलक चढ़ाई। वहीं रंगभरी एकादशी पर गौरा का गौना हुआ। इस परंपरा को महंत परिवार 356 वर्षो से निभा रहा है। इस बार आवास ध्वस्त होने के कारण गेस्ट हाउस में ही तिलक की रस्म निभाने का निर्णय लिया गया है। वसंत पंचमी पर परंपरा अनुसार गेस्ट हाउस में सुबह तय मुहूर्त पर षोडशोपचार पुजन व रूद्राभिषेक होगा। दोपहर में भोग आरती-पूजा के बाद नए वस्त्र-आभूषण धारण करा श्रृंगार झांकी सजेगी। शाम छह बजे तिलक व सात बजे बधाई के गीत गूंजेंगे। मंगल अनुष्ठान विधान के बाद प्रसाद वितरण भी किया जाएगा।
- त्रिपुरा भैरवी गली से होगा गौरा का गौना बाबा के तिलकोत्सव की रस्म भले ही गेस्ट हाउस से निभाई जाए लेकिन महंत परिवार को गौरा के गौना की चिंता सता रही है। आवास ध्वस्त होने के बाद रंगभरी एकादशी पर निभाई जाने वाली इस रस्म के लिए स्थान की तलाश है। फिलहाल त्रिपुरा भैरवी गली स्थित पं. भाल शास्त्री के आवास में महंत परिवार एक कमरा लेने पर विचार कर रहा है। यहां से ही अबीर-गुलाल के बीच शिव परिवार की शोभायात्रा निकलेगी जो श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर गर्भगृह तक जाएगी। महंत परिवार तलाश रहा बाबा का रजत सिंहासन व शिवाला महंत परिवार को बाबा के रजत सिंहासन व शिवाले की चिंता सता रही है।
बीते सप्ताह आवास का पिछला हिस्सा गिरने से सिंहासन क्षतिग्रस्त तो शिवाला मलबे में दब गया था। रंगभरी एकादशी व वसंत पंचमी को बाबा की सिंहासन पर दर्शन झांकी सजती रही तो शिवाला में गौना बरात निकाली जाती है। डा. कुलपति तिवारी का कहना है कि आवास के मलबे में दबा सिंहासन व शिवाला नहीं दिख रहा। इस संबंध में मंदिर प्रशासन की ओर से भी कोई जवाब नहीं मिल रहा है। विकल्प में लकड़ी की चौकी, कुश व गंगा मिट्टी का आसन वसंत पंचमी पर बाबा लकड़ी की चौकी और कुश व गंगा की मिट्टी से बने आसन पर विराजेंगे। पंचवदन रजत प्रतिमा का श्रद्धालु इस पर ही दर्शन पाएंगे। रजत सिंहासन नहीं मिलने से महंत परिवार ने वसंत पंचमी के लिए यही वैकल्पिक इंतजाम किया है।