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Nirjala Ekadashi पर बाबा का होगा दुग्धाभिषेक, गंगा का जल हरा होने के कारण नहीं होगा जलाभिषेक

इस बार निर्जला एकादशी पर बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ को गंगाजल नहीं चढ़ाया जाएगा। गंगाजल का रंग हरा होने और दशाश्वमेध घाट पर शाही नाले का मलजल गिराए जाने से प्रदूषण का स्तर बढ़ने के कारण श्रीकाशी विश्वनाथ कलश यात्रा पूजा समिति ने यह निर्णय लिया है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 20 Jun 2021 08:45 AM (IST)Updated: Sun, 20 Jun 2021 01:58 PM (IST)
इस बार निर्जला एकादशी पर बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ को गंगाजल नहीं चढ़ाया जाएगा।

वाराणसी, जेएनएन। इस बार निर्जला एकादशी पर बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ को गंगाजल नहीं चढ़ाया जाएगा। गंगाजल का रंग हरा होने और दशाश्वमेध घाट पर शाही नाले का मलजल गिराए जाने से प्रदूषण का स्तर बढ़ने के कारण श्रीकाशी विश्वनाथ कलश यात्रा पूजा समिति ने यह निर्णय लिया है।

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संयोजक जगदंबा तुलस्यान ने बताया कि 21 जून को निर्जला एकादशी पर बाबा का अभिषेक गंगाजल की जगह दूध से किया जाएगा। गंगा का जल अब आचमन योग्य नहीं है। उसे हम भगवान को कैसे चढ़ाएं। राजेंद्र प्रसाद घाट से श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर तक कलश यात्रा निकाली जाएगी। उन्होंने बताया कि पांच साल पहले भी गंगा में प्रदूषण बढ़ने से बाबा का अभिषेक टिहरी से मंगाए गए गंगाजल से हुआ था। कलश यात्रा की अध्यक्षता काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी करेंगे। महामारी को देखते हुए कलश यात्रा में २५ शिवभक्त ही शामिल होंगे। राजेंद्रप्रसाद घाट पर आचार्य अमरकांत के आचार्यत्व में कलश पूजन के बाद कलश यात्रा श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के लिए निकलेगी। दुग्धाभिषेक के बाद परम्परानुसार बाबा का रुद्राभिषेक किया जाएगा। वहीं श्रीकाशी मोक्षदायिनी सेवा समिति के अध्यक्ष पवन चौधरी अपने सहयोगियों के साथ कलश यात्रा को संपन्न कराएंगे। इस दौरान उमाशंकर अग्रवाल, केशव जालान, मुकुंद लाल टंडन, गोपाल गोयल थे।

1998 से निकल रही है कलश यात्रा

जगद्गुरु शंकराचार्य की प्रेरणा से वर्ष 1998 से निर्जला एकादशी पर कलश यात्रा का आयोजन कराया जा रहा है। श्री राजेन्द्र प्रसाद घाट से श्री काशी विश्वनाथ मंदिर तक कलश-यात्रा निकाली जाती है। सुप्रभातम संस्था के स्व. दीनदयाल जालान, स्व. राजकिशोर गुप्त एवं संस्था के अन्य सहयोगियों द्वारा विगत 23 वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है। श्री काशी विश्वनाथ कलश-यात्रा लक्खी मेले का रूप ले चुकी है। भारत की सभी पवित्र नदियां, मॉरीशस के शिव सरोवर, नेपाल की बागमती नदी एवं चित्रकूट के पवित्र कूप के जल से भगवान का जलाभिषेक किया जा चुका है। करोड़ो हिंदुओं के आस्था के प्रतीक भारत के विभिन्न अंचलों में स्थापित द्वादश ज्योतिर्लिंग श्री सोमनाथ, श्रीश्री शैलम, श्री रामेश्वरम, श्री पति वैद्यनाथ, श्री त्रयम्बकेश्वर, श्री ओम्कारेश्वर, श्री महाकालेश्वर, श्री केदारनाथ, श्रीघृणेश्वर, श्रीनागेश्वर, श्री भीमाशंकर के अलावा आंडा नागनाथ एवं श्रीबैजनाथ धाम के मुख्य पुजारी अपने सहयोगियों के साथ कलश यात्रा की अध्यक्षता कर चुके हैं।


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