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Azamgarh Lok Sabha by Election 2022 : निर्दलियों और अन्य दलों ने झटके 21 हजार वोट

चुनाव के बाद मतगणना पूरी होने के साथ परिणाम भी घोषित हो गया और संसदीय क्षेत्र के इतिहास में दूसरी बार कमल खिल गया लेकिन जीत-हार के अंतर से दो गुना वोट झटकने में निर्दल व अन्य दलों के प्रत्याशी सफल रहे।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 26 Jun 2022 07:04 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jun 2022 07:04 PM (IST)
निर्दलियों और अन्य दलों ने झटके 21 हजार वोट

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : चुनाव के बाद मतगणना पूरी होने के साथ परिणाम भी घोषित हो गया और संसदीय क्षेत्र के इतिहास में दूसरी बार कमल खिल गया, लेकिन जीत-हार के अंतर से दो गुना वोट झटकने में निर्दल व अन्य दलों के प्रत्याशी सफल रहे। जीत का अंतर तो 10 हजार से भी कम था, जबकि 20,971 वोट निर्दल व अन्य दलों के प्रत्याशियों ने हासिल कर लिया।

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परिणाम पर नजर डालें तो अखिल हिंद पार्टी की अमरावती को 1743, जनता क्रांति पार्टी (राष्ट्रवादी) के जयनाथ चौहान को 1952, प्रगतिशील समाज पार्टी के धीरज श्रीवास्तव को 2935, मौलिक अधिकार पार्टी के रविंद्र नाथ शर्मा को 2597, सरवर पार्टी के सरवर अली को 1519 मत प्राप्त हुआ।

इसी तरह निर्दलीय प्रत्याशी अंबरीष कुमार विजयता 1515, पंकज कुमार यादव 1249, रमाकांत यादव 2535, राजीव तलवार 2549 तथा वीरेंद्र कुमार निषाद को 2377 लोगों ने पसंद किया। अब निर्दल व अन्य दलाें के प्रत्याशियों को मिले मत के कारणों पर गौर करें, तो यही संकेत मिलता है कि आज भी तमाम मतदाता ऐसे हैं जो किसी लहर के असर से दूर रहकर अपने स्तर से वोटों के दान का फैसला लेते हैं। उन्हें मालूम है कि जीतने के बाद उनके पास वही आएगा, जो उनका अपना होगा।

.ज्यादा दिन नहीं रख सकते भुलावे में

आजमगढ़ सदर संसदीय सीट पर आम व उपचुनाव को मिलाकर दूसरी बार भाजपा की जीत से पार्टी के पदाधिकारी व कार्यकर्ता फूले नहीं समा रहे हैं। उनकी खुशी सातवें आसमान पर है।उधर, अंतिम समय तक कांटे की टक्कर के बाद चुनाव हार जाने के बाद सपा व बसपा के समर्थक एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ते रहे। कुछ समर्थकों को कहना था कि ‘फला’ के चलते हार गए। कुछ ने कहा कि उस जाति का वोट हमारा था लेकिन उनके आने पर कट गया। बहरहाल, उप चुनाव तो भाजपा जीत गई लेकिन अागामी चुनाव में विपक्षी दलों को अपनी हार पर मंथन करना होगा।क्योंकि यह पब्लिक है, सब जानती है। ज्यादा दिनों तक उन्हें जाति-धर्म के भुलावे में नहीं रखा जा सकता है।


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