Azadi Ka Amrit Mahotsav : वंदे मातरम गीत गाने पर मीरजापुर के सेनानी विद्या सागर सोनभद्र में गिरफ्तार हुए थे
Azadi Ka Amrit Mahotsav आजादी की लड़ाई के दौरान वंदे मातरम् गीत गाने पर सोनभद्र के राबर्ट्सगंज चौराहे से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। आज भी वह शान से गीत गाते हैं। उनके अंदर आज भी देश भक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी है।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : वंदे मातरम्, वंदे मातरम्! सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्, शस्यश्यामलाम्, मातरम्!..., पंक्तियाें के साथ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विद्यासागर शुक्ल आज भी आजादी के लड़ाई की दास्तां बड़े गौरव से सुनाते हैं। बताते हैं कि आजादी की लड़ाई के दौरान वंदे मातरम् गीत गाने पर सोनभद्र के राबर्ट्सगंज चौराहे से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। आज भी वह शान से गीत गाते हैं। उनके अंदर आज भी देश भक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी है। बाल्य काल से ही स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में सक्रियता से भाग लेने वाले 99 वर्षीय महुवरिया के विद्यासागर शुक्ल आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभा चुके हैं।
सन 1857 की क्रांति के दौरान मीरजापुर के क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों की नींद उड़ा दी थी। उन्होंने सन् 1938-39 में अंग्रेज सरकार के विरूद्ध श्री पुरुषोत्तम मास्टर के साथ घर-घर नोटिस बांटना, विदेशी वस्त्र जलाना, घरों का नंबर मिटाना आदि कार्य स्वतंत्रता आंदोलन संबंधित इंदिरा गांधी द्वारा निर्मित वानरी सेना में रहकर संपादित किया। सन 1940 में स्कूल सुपरिटेंडेंट ब्रम्हदत्त दीक्षित की अध्यक्षता में सोनभद्र के राबर्ट्सगंज चौराहे पर तिरंगा झंडा फहरा और वंदे मातरम् गीत गाकर लोगों में देश भक्ति के लिए जागृत किया था।
हालांकि वे गिरफ्तार भी हुए और पुलिस की मार से उनकी दाढ़ी में चोट लगने से काफी रक्त प्रवाह हुआ। सन् 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। 13 अगस्त 1942 को जीत नारायण पांडेय, नरेश चंद्र श्रीवास्तव, पुष्कर पांडेय संग विद्यासागर शुक्ल के साथ में पहाड़ा रेलवे स्टेशन को लूटने व जलाने में अहम भूमिका निभाई। आंदोलनकारियों को पुलिस ने वारंट जारी किया। अगस्त 1942 से मार्च 1943 तक करीब आठ माह सहयोगियों संग स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भाग लिया।