जनऔषधि केंद्रों से मिलेंगी आयुर्वेदिक दवाएं,फार्मा कंपनियों से खुद खरीद करेंगे संचालक, 25 फीसद तक मिलेगी छूट
जीवन रक्षक दवाएं व सर्जिकल आइटम गुणवत्ता के साथ ही सस्ती दर पर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्थापित जन औषधि केंद्रों में अब आयुर्वेदिक दवाएं भी मिलेंगी।
वाराणसी [प्रमोद यादव]। जीवन रक्षक दवाएं व सर्जिकल आइटम गुणवत्ता के साथ ही सस्ती दर पर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्थापित जन औषधि केंद्रों में अब आयुर्वेदिक दवाएं भी मिलेंगी। बीपीपीआइ यानी ब्यूरो आफ फार्मा पब्लिक सेक्टर अंडर टेकिंग की ओर से इस संबंध में आदेश जारी होने के साथ ही तैयारी शुरू कर दी गई है। इसमें केंद्र सुविधा अनुसार फार्मा कंपनियों से दवाओं की खरीद कर 25 फीसद छूट के साथ बिक्री करेंगे। माना जा रहा है अगले माह से आयुर्वेदिक दवाएं इन केंद्रों से सस्ते दर पर मिलने लगेंगी।
उच्च गुणवत्ता वाली जेनरिक दवाएं व सर्जिकल आइटम बाजार मूल्य से कम दर पर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री जन औषधि योजना का एक जुलाई 2015 को शुभारंभ किया गया था। इसके अच्छे परिणाम को देखते हुए केंद्रीय उर्वरक एवं रसायन मंत्रालय ने आयुर्वेद को प्रोत्साहित करने के लिहाज से इन केंद्रों का उपयोग करने का पिछले साल जनवरी में ही निर्णय ले लिया था लेकिन औपचारिकताएं पूरी करने में लगभग दो साल लग गए।
सीमित दवाओं से चल रहा मेडिकल कालेज, आयुष विंग व 27 अस्पताल
बनारस में आयुर्वेद का चौकाघाट में एक मेडिकल कालेज तो आयुर्वेद विभाग की ओर से संचालित 27 अस्पताल हैैं। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग की ओर से पं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय अस्पताल व मंडलीय चिकित्सालय में आयुष विंग हैैं। इनमें दवाओं का स्टाक व रेंज सीमित होने से मरीजों को बाहर की दुकानों पर भटकना होता है। नजीर के तौर पर मेडिकल कालेज में ही महज 70 दवाओं की सूची है जिनमें 40 की ही उपलब्धता रहती है।
बनारस में 16 जनऔषधि केंद्र
बनारस में 16 जनऔषधि केंद्रों में चार सरकारी अस्पतालों में हैैं। इनका पिछले साल पं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय अस्पताल, मंडलीय अस्पताल, मानसिक अस्पताल व लालबहादुर शास्त्री राजकीय अस्पताल में संचालन शुरू किया गया। इन केंद्रों की सूची में 700 से अधिक दवाएं व सर्जिकल आइटम शामिल हैैं। इन्हें बाजार में उपलब्ध दवाओं के सापेक्ष 70 फीसद कम दर पर बेचा जाता है। हालांकि इनमें दवाओं की उपलब्धता महज 200 की ही रहती है। डाक्टरों द्वारा इन केंद्रों की दवाएं न लिखने से इनके सामने खर्च निकालने का भी संकट है। माना जा रहा आयुर्वेदिक दवाएं इन केंद्रों से बिकने पर उनके लिए भी राहत की स्थिति होगी।
इस बारे में प्रोजेक्ट मैनेजर, सिलिकान हेल्थ केयर (सरकारी अस्पतालों में स्थित जनऔषधि केंद्रों की संचालक कंपनी) के नवीन सिंह ने कहा कि जनऔषधि केंद्रों से आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री का बीपीपीआइ से आदेश मिला है। फार्मा कंपनियों का चयन किया जा रहा है ताकि मरीजों को सस्ते दर पर गुणवत्ता युक्त दवाएं उपलब्ध कराई जा सकें।