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काशी हिंदू विश्वविद्यालय में एमबीबीएस वाले आयुर्वेद व बीएएमएस पास वाले पढ़ेंगे एलोपैथ

पं. महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की बगिया काशी हिंदू विश्वविद्यालय में अब ऐसे भी डॉक्टरों की फौज तैयार होगी जिन्हें आधुनिक चिकित्सा (माडर्न मेडिसिन यानी एलोपैथ) के साथ ही भारतीय चिकित्सा (आयुर्वेद) पद्धति का भी ज्ञान होगा।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 14 Jun 2021 08:05 AM (IST)Updated: Mon, 14 Jun 2021 08:05 AM (IST)
यहां पर एमबीबीएस पास कर चुके विद्यार्थी आयुर्वेद एवं बीएएमएस पास छात्र-छात्राएं एलोपैथ की पढ़ाई करेंगे।

वाराणसी, जेएनएन। महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की बगिया काशी हिंदू विश्वविद्यालय में अब ऐसे भी डाक्टरों की फौज तैयार होगी जिन्हें आधुनिक चिकित्सा (माडर्न मेडिसिन यानी एलोपैथ) के साथ ही भारतीय चिकित्सा (आयुर्वेद) पद्धति का भी ज्ञान होगा। यहां पर एमबीबीएस पास कर चुके विद्यार्थी आयुर्वेद एवं बीएएमएस पास छात्र-छात्राएं एलोपैथ की पढ़ाई करेंगे। उद्देश्य यह कि वे दोनों ही पद्धतियों का ज्ञान अर्जित कर एक संपूर्ण डाक्टर बनकर ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों का उपचार आसानी से कर सकें।

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इस कार्य के लिए चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू की ओर से एक साल का होलिस्टिक मेडिसिन पीजी डिप्लोमा काेर्स शुरू किया जाएगा। इसके लिए विश्वविद्यालय ने एक कोर कमेटी बनाई है। कमेटी कोर्स, दाखिला व परीक्षा प्रक्रिया की रूपरेखा तैयार करेगी। कमेटी के चेयरमैन आइएमएस बाल रोग विभाग के प्रो. अशोक कुमार बनाए गए हैं। विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. एके त्रिपाठी, द्रव्य गुण विभाग के प्रो. केएन द्विवेदी, माइक्रो बायोलॉजी विभाग के प्रो. गोपाल नाथ, रस शास्त्र एवं भैषज्य कल्पना विभाग के प्रो. आनंद चौधरी, न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो. वीएन मिश्र, शल्य तंत्र विभाग के प्रो. केएस धीमान, योग विभाग की डा. ममता तिवारी को सदस्य बनाया गया है। वहीं आयुर्वेद संकाय के पदेन डिप्टी रजिस्ट्रार सदस्य सचिव है।

कमेटी के चेयरमैन प्रो. अशोक कुमार ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित स्वास्थ्य केंद्रों को संपूर्ण डॉक्टर मिलेंगे, जिन्हें एलोपैथ के साथ ही आयुर्वेद का भी ज्ञान होगा। इससे वे लोगों का दोनों पद्धतियों को मिलाकर और बेहतर उपचार कर सकेंगे। कोर्स के दौरान एमबीबीएस पास विद्यार्थियों को आयुर्वेद की पूरी जानकारी दी जाएगी। वहीं बीएएमएस के विद्यार्थियों को एलोपैथ में तत्काल उपचार कर रोगी को राहत प्रदान करने का शिक्षण-प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रो. आनंद चौधरी बताते हैं कि इस पहल से भारतीय पारंपरिक चिकित्सा को एक नई ऊर्जा मिलेगी।


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