छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के जंगल से सटे गांवों के 50 किमी दायरे में हाथियों का आतंक, चार को मार डाला
उड़ीसा से झारखंड के रास्ते छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों से होते हुए जिले की सीमा में आया हाथियों का झुंड अब आतंकी सा प्रतीत होने लगा है।
सोनभद्र, जेएनएन। उड़ीसा से झारखंड के रास्ते छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों से होते हुए जिले की सीमा में आया हाथियों का झुंड अब आतंकी सा प्रतीत होने लगा है। तीन राज्यों के करीब 50 किलोमीटर के दायरे में जंगल क्षेत्र में पडऩे वाले सैकड़ों आशियानों को जमीदोंज कर दिया। 150 से अधिक किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाया और चार लोगों की जान ले ली। अक्टूबर माह से आए इन हाथियों की इस समय मौजूदगी बीजपुर क्षेत्र के सिरसोती में है। शुक्रवार को यहां कई किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाया। वन विभाग के कर्मियों का प्रयास भी काम नहीं आ रहा है। ग्रामीण भय के बीच किसी तरह से जिंदगी की गाड़ी को आगे बढ़ा रहे हैं।
वन कर्मियों की मानें तो जिले से सटे आस-पास के किसी भी जंगल में हाथी नहीं हैं। ये हाथी उड़ीसा के जंगल से आए हैं। बताया जाता है कि उड़ीसा के जंगल में सैकड़ों की संख्या में हाथी हैं। चार माह का समय उनका प्रजनन काल होता है। इस समय वे ज्यादा उत्साहित होते हैं। इसी समय वे कई बार अपने झुंड से बिछड़ जाते हैं। करीब एक माह पहले यानी सितंबर माह में ही उड़ीसा से बिछड़े हाथियों का एक झुंड झारखंड, छत्तीसगढ़ के पिंगला अभ्यारण से होते हुए जिले से सटे मध्य प्रदेश की सीमा में प्रवेश कर गए। वहां शुरूआत में बीजपुर थाना क्षेत्र से सटे विभिन्न गांवों में उत्पात मचाए। वहां से जब खदेड़ा गया तो वे पड़ोस के छत्तीसगढ़ के जंगल से होते हुए बभनी इलाके में पहुंच गए। वहां भी खुब उत्पात मचाए। पुन: शुक्रवार को बीजपुर के सिरसोती में पहुंच गए। कुल 50 किलोमीटर की दूरी में इनकी धमाचौकड़ी चली और चार लोगों की इस बीच मौत हो गई। दो लोगों को हाथियों ने घायल भी किया।
कहां से शुरू हुआ हाथियों का उत्पात
वन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि उड़ीसा से झारखंड, छत्तीसगढ़ के रास्ते जंगल-जंगल मध्य प्रदेश से सटे छत्तीसगढ़ के सीमा में बघवनवा में करीब 25 दिन पहले आए। वहां उड़ती के अतवई टोले में रामकृपाल नाम के व्यक्ति को कुचलकर मार दिया। इसके बाद इनका झुंड चरगोड़ा, गोभा, बलसोता होते हुए पास में सटे मध्य प्रदेश के बैरहवा नाजियागढ़ में पहुंचकर वन कर्मी राम दरश शर्मा को मौत की नींद सुलाया। वहां से बेलदह से होते हुए छत्तीसगढ़ के चेरा, छापर होते हुए बभनी के जंगल में पहुंच गए। यहां शीशटोला, डूमरहर आदि गांवों में उत्पात मचाया। यहां राजेंद्र गोंड़ को कुचलकर मार डाला। दो लोग घायल भी हो गए। इसके अतिरिक्त हाथियों के दूसरे झुंड ने बलरामपुर जिले के केसारी, गिरवानी, चरचरी, भरुही, पटेलवा जो बीजपुर से सटे हैं में उत्पात मचाया है। छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के खैरा गांव में एक शिक्षक को भी हाथी मार चुके हैं।
दो दर्जन गांवों के 20 हजार लोग प्रभावित
हाथियों के उत्पात से छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश की सीमा से सटे बीजपुर व बभनी थाना क्षेत्र के दो दर्जन गांवों में रहने वाले 20 हजार लोग प्रभावित हैं। उनकी नींद हाथियों के कारण उड़ी हुई है। बभनी थाना क्षेत्र के शीशटोला, रंपाकुरर, नेमना, मगरमाड़, नवाटोला, महुआदोहर, खोतोमहुआ, छिपिया, बगिया, जलजलिया, दनुआ, मैनहवा, नवाटोला बीजपुर के सरईडाड़, महुली, दनुआ, रजमिलान, कोड़ार, सिरसोती आदि गांवों के लोग प्रभावित हैं।
...फिर हाथियों की धमक से बढ़ी धुकधुकी
छत्तीसगढ़ के घने जंगलों से भटक कर आए जंगली हाथियों के झुंड ने बभनी क्षेत्र में तबाही मचाने के बाद गुरुवार की रात जरहां वन रेंज की और अपना रुख कर लिया। जैसे ही हाथियों के झुंड ने अपना रुख बदला वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के हाथ-पांव फूल गए। आनन-फानन में वन विभाग का भारी फोर्स बुला लिया गया। रात में ही हाथियों के झुंड को खदेडऩे के लिए डीजे पर शेर की दहाड़ शुरू कर दी और तेज आवाज वाले पटाखे फोड़े जाने लगे। हाथियों का झुंड गुरुवार की रात खेतों में खड़ी धान की फसल को नुकसान पहुंचाते हुए नेमना ग्राम सभा के नवटोला से निकल सुबह होते-होते मध्यप्रदेश सीमा के नजदीक सिरसोती ग्राम सभा के कोडार तक पहुंच गया। हाथियों के झुंड के क्षेत्र में आने की सूचना से रात भर ग्रामीण सो नहीं पाए। ग्रामीणों को ङ्क्षचता सताए जा रही थी कि कहीं बभनी की तरह हाथी यहां भी भारी तबाही न मचा दें।
शेर की दहाड़ से भड़क रहे हाथी
ग्रामीण सुखसागर, रामलोचन, शंखलाल आदि ने बताया की झुंड में हाथियों की संख्या लगभग 15 से 20 है। इसमें दो हाथियों के छोटे बच्चे भी हैं। छोटे बच्चों की सुरक्षा में हाथी तिलमिलाए हुए हैं। बच्चों की घेराबंदी कर हाथियों का झुंड चल रहा है। हाथियों के झुंड ने शिव प्रसाद, सुग्रीव प्रसाद, सियाराम, विमला देवी, अर्जुन बैसवार सहित कई ग्रामीणों की खड़ी धान की फसल को उजाड़ दिया। वन विभाग के क्षेत्राधिकारी दिनेश कुमार ने बताया कि हाथियों के झुंड पर विभाग की बराबर नजर बनी हुई है जैसे ही हाथियों के झुंड ने जरहां रेंज की और अपना रुख किया तो उनको वापस छत्तीसगढ़ के जंगलों में खदेडऩे का काम शुरू कर दिया गया। हाथियों का रुख मध्यप्रदेश के जंगलों की और हो गया है जल्द ही झुंड को खदेड़ दिया जाएगा। कुछ ग्रामीणों की फसलों का नुकसान जरूर हुआ है। इसकी रिपोर्ट शासन तक भेजी जाएगी। हाथियों के झुंड को खदेडऩे के लिए बभनी, म्योरपुर, दुद्धी, बगाड़ू रेज की फोर्स लगी हुयी है। बताया जाता है कि जब डीजे पर शेर की दहाड़ निकलती है तो हाथी और भड़क जाते हैं।
महुआ सबसे पसंदीदा भोजन
हाथियों द्वारा लगातार उत्पात मचाया जा रहा है। इस बीच हाथियों की पसंद, नापसंद और उनके उत्पात मचाने के कारणों को लेकर चर्चा हो रही है। वन दरोगा हरिश्चंद्र यादव बताते हैं कि हाथी सबसे ज्यादा महुए को पसंद करते हैं। इसके अलावा गन्ना व अन्य फसलों को भी खाते हैं। जिस घर में महुआ रखा है उसे तो ये प्राथमिकता में गिराते हैं। मक्के की फसल भी इनकी पसंद की होती है।