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वाराणसी के संकट मोचन संगीत समारोह में संगीत मार्तंड पंडित जसराज की उपस्थिति का अहसास हुआ स्वर प्रस्तुतियों में

संकट मोचन संगीत समारोह की पांचवीं निशा में पद्मविभूषण पंडित जसराज की स्मृतियां छायीं रहीं। लगभग सभी प्रस्तुतियों में उन्हें उनके भजन का स्मरण कर सांगीतिक कृतज्ञता ज्ञापित की गई। गायन वादन नृत्य के कलाकारों की भरसक कोशिश यही रही कि उनकी स्वर साधना में पंडित जसराज रहें।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 06 May 2021 06:40 AM (IST)Updated: Thu, 06 May 2021 06:40 AM (IST)
वाराणसी के संकट मोचन संगीत समारोह की पांचवीं निशा में पद्मविभूषण पंडित जसराज की स्मृतियां छायीं रहीं।

वाराणसी, जेएनएन। संकट मोचन संगीत समारोह की पांचवीं निशा में पद्मविभूषण पंडित जसराज की स्मृतियां छायीं रहीं। लगभग सभी प्रस्तुतियों में उन्हें उनके भजन का स्मरण कर सांगीतिक कृतज्ञता ज्ञापित की गई। गायन वादन नृत्य के कलाकारों की भरसक कोशिश यही रही कि उनकी स्वर साधना में पंडित जसराज रहें।

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कार्यक्रम का आरंभ दीपिका वरदराजन ने चेन्नई से जुड़कर किया। उन्होंने अपने गायन में पंडित जसराज को विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए  पुरन्दर दास के श्लोक को आदि ताल में इस तरह तराशा कि फेस बुक पेज पर  उनकी प्रशंसा के शब्द तैरने लगे। उन्होंने रामचन्द्रसृत पारिजात हार श्लोक के माध्यम से श्रीराम की स्तुति की। इसके बाद उन्होंने झूला किन डाला रे हमरैया रे सुनाकर मौसमी अंदाज का आभास कराया।

अंत में उन्होंने श्रीराम चन्द्र कृपालु भजु मन सुनाकर खूब प्रशंसा पाई। इसके बाद भोपाल से जुड़कर अनुराधा सिंह ने अपने कथक की ऐसी छाप छोड़ी कि फेसबुक पर प्रशंसकों की वाहवाही की होड़ मच गई। उनके भावपूर्ण नृत्य की यह बानगी ही थी कि पारंपरिक प्रस्तुति के साथ ही भाव नृत्य में कंदुक क्रीड़ा, कालिय दमन काफी सराहा गया। उन्होंने पंडित जसराज  द्वारा गाये हनुमान लला सुकुमार लला अंजनी पुत्र प्यारे-प्यारे लला ...राम को राम बनाया तुमने पर सशक्त और भावपूर्ण नृत्य किया। इसके बाद मुंबई से गायन संग स्वर रतन शर्मा जुड़े। उन्होंने राग छाया नट में बड़ा ख्याल व छोटा ख्याल में बंदिशें सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। इसी क्रम में बांसुरी संग मुंबई से रूपक कुलकर्णी ने राग बागेश्वरी में आलाप जोड़ झाला सुनाने के बाद बंदिश तीन ताल में सुनाई।

अहमदाबाद से नीरज पारिख गायन संग  जुड़े। मुंबई से सतीश व्यास का संतूर संग जुड़ना  श्रोताओं में उत्साह भर गया। उन्होंने अपने संतूर वादन में आलाप जोड़ झाला बजाने के साथ ही कुछ धुनें सुनाईं। उनके बाद भोपाल से नईम अल्लाहवाले एकल तबला वादन में , मुंबई से अंकित जोशी गायन से और जोधपुर से संतूर संग बसंत काबरा जुड़े।


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