पटाखे के धुएं से बच के रहें दमा रोगी, धुएं और धूल से बढ़ सकती है परेशानी
पटाखों में सल्फर और फासफोरस होता है। सल्फर अस्थमा के रोगियों के लिए बेहद नुकसानदेह होता है। इसलिए जरूरी है कि पटाखों से वे दूरी बनाकर रखें।
वाराणसी (जेएनएन) : पटाखों में सल्फर और फासफोरस होता है। सल्फर अस्थमा के रोगियों के लिए बेहद हानिकारक होता है। साथ ही धुएं का भी उन पर अधिक प्रभाव रहता है। इसके अलावा अस्थमा के मरीजों को धूल आदि से बचना चाहिए। जिस स्थान पर रात में पटाखे छोड़े जाने हैं वहा शाम को ही पानी का छिड़काव किया जाना चाहिए। ऐसे में अस्थमा रोगी दीपावली पर विशेष सावधानी बरतें। -डा. पीके तिवारी, एमडी फिजीशियन पोटेशियम क्लोरेट से बनते हैं चाइनीज पटाखे : पिछले तीन-चार सालों में चाइनीज पटाखों का चलन तेजी से बढ़ा है। इनकी कीमत कम होती है लेकिन आवाज और धुआ बहुत अधिक करते हैं। इनको बनाने में पोटेशियम क्लोरेट का इस्तेमाल किया जाता है। ये बहुत खतरनाक केमिकल होता है। इसमें अपने आप आग लगने का खतरा होता है जिससे बड़ा हादसा हो सकता है। साथ ही देसी के मुकाबले यह पटाखे पर्यावरण को ज्यादा प्रदूषित करते हैं। ये स्वास्थ के लिए बहुत हानिकारक होते हैं। -डा. आलोक भारद्वाज, बालरोग विशेषज्ञ जिले स्तर के अस्पतालों में आठ-आठ और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर चार-चार बेड रिजर्व रखने का निर्देश अधीक्षकों को दिया गया है। बर्न केस आने पर प्राथमिक उपचार करें, बाद में उन्हें बर्न वार्ड में शिफ्ट किया जाएगा। दीपावली पर किसी भी चिकित्सक को जिले से बाहर नहीं जाने को कहा गया है। -डा. वीबी सिंह, सीएमओ
दीपावली को बीएचयू अस्पताल की ओपीडी बंद रहेगी। वहीं शाम को इमरजेंसी वार्ड में व्यवस्था बढ़ाई कई है। ताकि दीपावली पर पटाखे से झुलसने वालों का बेहतर उपचार हो सके। इमरजेंसी वार्ड के इंचार्ज डा. कुंदन कुमार ने बताया कि चिकित्सा अधीक्षक के निर्देश पर ड्यूटी पर रहने वाले सभी डाक्टर, मेडिकल व पैरा मेडिकल स्टाफ को अलर्ट कर दिया गया है। इमरजेंसी में अन्य डाक्टरों के साथ ही एक सर्जन 24 घंटे मुस्तैद रहेंगे। वहीं मेजर बर्न का मामला आने पर प्लास्टिक सर्जन की भी मदद ली जाएगी।
दीपावली त्योहार पर वायु और ध्वनि प्रदूषण दूषित होने से मनुष्य के शरीर पर सीधा प्रभाव पड़ता है। पर्यावरण दूषित होने के साथ भी मनुष्य पर प्रभाव पड़ता है। राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय और चिकित्सालय के उप चिकित्सा अधीक्षक डा. विनय मिश्र ने बताया कि पटाखों से वायु प्रदूषण बीस गुना और ध्वनि का स्तर 15 डेसीबल बढ़ जाता है। इसके चलते गर्भवती महिलाओं के लिए इन पटाखों से निकलने वाला सल्फर डाइआक्साइड और नाइट्रोजन डाइआक्साइड जैसी हानिकारक गैसें नुकसानदेह होती हैं। जो पटाखों से ज्यादा धुआं और गैस छोड़ने पर होता है, उससे सास की नली जकड़ जाती है। गर्भवती महिलाओं को इस दौरान विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
जलने पर यहां जाए उपचार का :
बीएचयू, मंडलीय अस्पताल कबीरचौरा, हेरिटेज, पापुलर, एपेक्स अस्पताल।