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10 करोड़ रुपये के गबन में शातिर सहायक डाक पाल बेचन राम को कैंट पुलिस ने किया गिरफ्तार

मुख्य डाकघर कैंट में लगभग 10 करोड़ रुपये के गबन में शातिर सहायक डाक पाल बेचन राम को कैंट पुलिस ने रविवार को कचहरी इलाके से गिरफ्तार कर लिया।

By Edited By: Published: Mon, 14 Oct 2019 02:08 AM (IST)Updated: Mon, 14 Oct 2019 09:04 AM (IST)
10 करोड़ रुपये के गबन में शातिर सहायक डाक पाल बेचन राम को कैंट पुलिस ने किया गिरफ्तार
10 करोड़ रुपये के गबन में शातिर सहायक डाक पाल बेचन राम को कैंट पुलिस ने किया गिरफ्तार

वाराणसी, जेएनएन। मुख्य डाकघर कैंट में लगभग 10 करोड़ रुपये के गबन में शातिर सहायक डाक पाल बेचन राम को कैंट पुलिस ने रविवार को कचहरी इलाके से गिरफ्तार कर लिया। सरावा थाना दीदारगंज जनपद आजमगढ़ के मूल निवासी बेचन राम ने इन दिनों अपना ठिकाना सबरहद थाना शाहगंज, जौनपुर में बना रखा था। वह अपने वकील से मिलने आया था लेकिन पुलिस के हत्थे चढ़ गया। क्षेत्राधिकारी कैंट डा. अनिल कुमार ने बताया कि नदेसर मुख्य डाकघर में सैकड़ों लोगों के खाते से लगभग 10 करोड़ रुपये के गबन की शिकायत थी। कैंट थाने में 16 लोगों ने अलग-अलग मुकदमा कायम कराया था।

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एसएसपी ने मामले में टीम बनाकर आरोपितों की गिरफ्तारी का निर्देश दिया था। टीम लगातार चंदौली, आजमगढ़, जौनपुर, बिहार सहित वाराणसी के विभिन्न स्थानों पर दबिश दे रही थी। रविवार को इंस्पेक्टर कैंट अश्विनी चतुर्वेदी ने मुखबिर की सूचना पर कचहरी क्षेत्र से सहायक डाकपाल को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम में इंस्पेक्टर अश्वनी कुमार चतुर्वेदी, नागेंद्र नाथ चौबे, धर्मदेव चौहान, प्रेम सिंह, रामानंद यादव, संतोष शाह समेत अन्य पुलिसकर्मी शामिल रहे।

अब तक फरार अभियुक्त

- सुनील कुमार यादव (डाक सहायक)

- विनय कुमार (डाक सहायक)

- प्रदीप कुमार सिंह (एजेंट मुख्य डाकघर)

- राजेश कुमार निवासी उर्दू बाजार थाना कोतवाली जनपद जौनपुर (सहायक डाकपाल )

- रमाशकर लाल निवासी मवईया थाना ज्ञानपुर (सहायक डाकपाल)

- अविनाश कुमार निवासी मोजाहिदपुर थाना एकानगर सराय जिला नालंदा बिहार (डाक सहायक )

हस्ताक्षर में खेल कर बनाया पैसा - बेचन राम ने पुलिस को बताया कि वर्ष 2013 से लेकर 2018 तक मुख्य डाकघर कैंट में वह तैनात था। इस दौरान सुनील, विनय, प्रदीप, राजेश, रमाशकर, अविनाश व अन्य लोगों से मुख्य डाकघर में मुलाकात हुई। दोस्ती होने के बाद सभी ने मिलकर गबन की योजना बनाई। सहायक डाकपाल के अधिकार में पांच हजार रुपये से अधिक की निकासी पर उसके हस्ताक्षर व अनुमति अनिवार्य था। साजिश के तहत साथियों/कर्मचारियों की मदद से लगभग 600 से 700 लोगों के जो रुपये डाकघर में जमा थे, प्लानिंग के तहत लगभग 10 करोड़ रुपये की हेराफेरी कर दी गई।


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