आजीविका देने के लिए आशा ट्रस्ट ने प्रवासी कामगारों का आंकड़ा जुटाना शुरू किया
आजीविका देने के लिए आशा ट्रस्ट ने प्रवासी कामगारों का आंकड़ा जुटाना शुरू किया।
वाराणसी, जेएनएन। प्रवासी कामगारों को स्थानीय स्तर पर रोजगार दिलवाने की कोशिश के तहत सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट ने एक महत्वपूर्ण पहल शुरू की है। कोविड संकट से प्रभावित कामगार परिचय अभियान के तहत संस्था द्वारा एक सर्वेक्षण प्रारंभ किया गया है जिससे दूसरे राज्यों से लौटे हुए श्रमिकों और कारीगरों के बारे में आंकड़ा जुटाया जा सके।
सर्वे के दौरान यह जानने की कोशिश की जा रही है कि उक्त कारीगर या श्रमिक किस विधा में कुशल है और किस प्रकार के कार्य करता रहा है। यह भी आंकड़ा लिया जा रहा है कि प्रवासी श्रमिकों को किस प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़ा तथा अब आगे अपनी आजीविका के बारे उनकी क्या सोच है, वे वापस उन राज्यों में काम के लिए जाना चाहेंगे अथवा नहीं एवं वर्तमान परिस्थितियों में सरकार से उनकी अपेक्षाएं क्या हैं।
इस बाबत आशा ट्रस्ट के समन्वयक वल्लभाचार्य पाण्डेय ने बताया कि हम इन आंकड़ों से यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि भविष्य में इन कामगारों को स्थानीय स्तर पर अधिकतम रोजगार के अवसर कैसे उपलब्ध कराये जा सकते हैं। किस प्रकार की कुशल अथवा अकुशल श्रम शक्ति विकास खंड स्तर पर उपलब्ध है। हम इन आंकड़ों के आधार पर बनी रिपोर्ट और सुझाव को सरकार और सम्बंधित जिले के रोजगार कार्यालय को देंगे तथा स्थानीय औद्योगिक इकाइयों एवं श्रमिकों के बीच एक सेतु बन कर दोनों के लिए सहायक बनने की कोशिश करेंगे। इससे एक तरफ स्थानीय उद्योगों को कुशल अकुशल श्रमिक सुलभता से उपलब्ध होंगे वहीँ दूसरी तरफ बिना दूसरे शहर की ओर वापस गये मजदूरों को स्थानीय स्तर पर आजीविका मिल पाएगी। वल्लभाचार्य पाण्डेय ने बताया कि हम कृषि के साथ जुड़ कर होने वाले सहायक रोजगार के अवसर भी तलाशेंगे और सर्वेक्षण से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर बड़े किसानों और उद्यमियों से सम्पर्क करके उनसे प्रवासी श्रमिको को साथ लेकर इकाई स्थापित करने का निवेदन करेंगे।
उन्होंने बताया कि आशा ट्रस्ट के सौजन्य से बलिया, गाजीपुर, जौनपुर, महराजगंज, सोनभद्र, वाराणसी, चंदौली, कानपुर, सीतापुर, मऊ आदि जिलों में कुल 20 विकास खंडों में एक साथ सर्वे का कार्य रविवार प्रारंभ हुआ है। अगले 2-3 सप्ताह में लगभग 5 हजार कामगारों से आंकड़ा एकत्र किये जाने का लक्ष्य है।
इस अभियान में प्रदीप सिंह, सुरेश राठोर, महेंद्र कुमार, मुस्तफा, रेनू, श्रद्धा, सूरज पाण्डेय, रमेश यादव, दीन दयाल सिंह, राजकुमार पटेल, हौशिला यादव, मनोज, विनय सिंह रामकिशोर चौहान आदि प्रमुख रूप से भागीदारी कर रहे हैं।