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वाराणसी में कलाकारों ने आॅनलाइन किया मां कूष्मांडा का वंदन, दुर्गा मन्दिर संगीत समारोह का प्रथम दिवस

वाराणसी दुर्गाकुंड स्थित मां कूष्मांडा दुर्गा मंदिर का वार्षिक श्रृंगार महोत्सव एवं तीन दिवसीय संगीत समारोह रविवार से प्रारंभ हुआ। ख्यात कलाकारों ने आॅनलाइन स्वारांजलि अर्पित की।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 17 Aug 2020 07:20 AM (IST)Updated: Mon, 17 Aug 2020 09:36 AM (IST)
वाराणसी में कलाकारों ने आॅनलाइन किया मां कूष्मांडा का वंदन, दुर्गा मन्दिर संगीत समारोह का प्रथम दिवस
वाराणसी में कलाकारों ने आॅनलाइन किया मां कूष्मांडा का वंदन, दुर्गा मन्दिर संगीत समारोह का प्रथम दिवस

वाराणसी, जेएनएन। दुर्गाकुंड स्थित मां कूष्मांडा दुर्गा मंदिर का वार्षिक श्रृंगार महोत्सव एवं तीन दिवसीय संगीत समारोह रविवार से प्रारंभ हुआ। ख्यात कलाकारों ने आॅनलाइन स्वारांजलि अर्पित की। प्रथम निशा की पहली प्रस्तुति शहनाई वादन की रही। पं. जवाहर लाल एवं साथियों ने पशहनाई की मंगल ध्वनि के साथ समारोह की शुरूआत की। उन्होंने सबसे पहले राग पूरिया धनाश्री मध्य लय तीन ताल में निबद्ध धुन बजाई। उसके बाद कजरी गीत ‘घेरी -घेरी आई रे काली रे बदरिया‘ तथा पचरा ‘मैया डगरा लिए सारी रतिया‘ बजाया। उनके साथ तबले पर राजन कुमार, दुक्कड़ पर मंगल प्रसाद, संगत शहनाई पर मोहन लाल एवं स्वर राजेश कुमार, स्वर पेटी पर रमेश यादव थे।

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इसके पश्चात कलाकारों की आॅनलाइन प्रस्तुतियों से मन्दिर प्रांगण चहकता रहा। समारोह की दूसरी प्रस्तुति वाराणसी की शास्त्रीय गायिका डाॅ. मधुमिता भट्टाचार्य की रही। उन्होंने सबसे पहले राग दुर्गा में विलम्बित ख्याल एक ताल में बन्दिश ‘देवी दुर्गा दया करो‘ से कार्यक्रम की शुरूआत की। उसके बाद द्रुत एक ताल में ‘जय जय जय दुर्गे माता भवानी‘, तीन ताल में ‘अम्बे दुर्गे दयानिधि‘ सुनाया। तत्पश्चात दादरा ‘श्याम तोहे नजरिया लग जायेगी‘ तथा कजरी ‘हरि बिन कारी बदरिया छाई‘ सुनाकर समापन किया।

तीसरी प्रस्तुति प्रख्यात बांसुरी वादक डाॅ. राजेन्द्र प्रसन्ना की रही। उन्होंने सर्वप्रथम राग गोरख कल्याण में विलम्बित एक ताल, द्रुत तीन ताल में धुन प्रस्तुत की। उसके बाद कजरी की धुन सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके साथ संगत बाॅसुरी पर रितेश प्रसन्ना एवं तबले पर उस्ताद अतहर हुसैन ने संगत किया। चौथी प्रस्तुति ध्रुवनाथ मिश्रा के सितार वादन की रही उन्होंने राग पहाड़ी में विलम्बित फिर द्रुत तीन ताल की धुन सुनाई, उसके उपरान्त कजरी से समापन किया। उनके साथ पं. भोलानाथ मिश्र ने तबले पर संगत किया। इसके अलावा कई अन्य कलाकार देर रात तक आॅनलाइन मां के चरणों में अपनी प्रस्तुति अर्पित करते रहे। 

श्रृंगार महोत्सव में स्वर्ण आभूषणों से सजी माॅ कूष्मांडा- वार्षिक श्रृंगार महोत्सव के अवसर पर मां कूष्मांडा का भव्य श्रृंगार किया गया। माता दुर्गा के विग्रह की स्वर्ण आभूषणों से मनमोहक झांकी सजायी गयी। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण की वजह से मन्दिर का पट श्रद्धालुओं के लिए बन्द रखा गया, लेकिन मन्दिर के फेसबुक पेज से हजारों श्रद्धालुओं ने माॅ की दिव्य झाॅकी का दर्शन किया।  सायंकाल 8 बजे माॅ की विराट आरती उतारी गयी। इस अवसर पर माॅ का विशेष स्वर्णाभूषणों से श्रृंगार किया गया। बेला, गुलाब और कामिनी की पत्तियों से माॅ को सजाया गया था। पूरे मन्दिर परिसर को रंग बिरंगें विद्युत झालरों एवं गुब्बारों से सजाया गया था। कलाकारों का सम्मान महन्त कौशलपति द्विवेदी एवं राजनाथ दूबे ने चुनरी ओढ़ा कर किया। माॅ की आरती संजय दूबे ने उतारी। श्रृंगार चन्दन दूबे एवं चंचल दूबे ने किया। व्यवस्था विकास दूबे, संयोजन पशुपतिनाथ दूबे एवं संचालन सोनू झा ने किया। सांयकाल आरती के पश्चात मन्दिर में बसन्त पूजन का आयोजन किया गया। श्रृंगार महोत्सव के पहले दिन माॅ को विविध प्रकार के भोग आदि लगाये गये।


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