फिलहाल फायर ब्रिगेड बुझा रही है वायु प्रदूषण, दिल्ली के बाद बनारस में कृत्रिम बारिश की हो रही तैयारी
शहर में फायर ब्रिगेड टीम ने पेड़ पौधों पर पानी की फुहार के साथ ही उनपर जमी धूल को झाड़ने के लिए प्रयास शुरू किया।
वाराणसी [मुहम्मद रईस]। शायद यह पहला मौका था जब स्मॉग से निबटने के लिए फायर फाइटिंग टीम को तैनात करना पड़ा। शहर में फायर ब्रिगेड टीम ने पेड़ पौधों पर पानी की फुहार के साथ ही उनपर जमी धूल को झाड़ने के लिए प्रयास शुरू किया। रात हो या दिन, जाड़ा हो या गर्मी अथवा बरसात। दमकल विभाग हमेशा सेवा देता है। वायु प्रदूषण से जुझ रहे बनारस की आबो-हवा ठीक करने के लिए दमकल विभाग ने भी कमर कस ली है। सोमवार की शाम को अर्दली बाजार क्षेत्र में 22 हजार लीटर पानी का छिड़काव कर लोगों को राहत दी। मुख्य अग्निशमन अधिकारी अनिमेष सिंह ने बताया कि एक वाटर बाउजर से 12 हजार और दो फायर टेंडर से 10 हजार लीटर पानी का छिड़काव किया गया। मंगलवार की सुबह पांच बजे से नरिया और अन्य क्षेत्र में पानी का छिड़काव किया जाएगा।
वहीं दूसरी ओर अब हवा में घुले प्रदूषक तत्वों से निजात पाने के लिए सरकार दिल्ली-एनसीआर में कृत्रिम बारिश की तैयारी में है। इसके अलावा बनारस सहित लखनऊ व कानपुर में भी कृत्रिम बारिश कराने को प्रदेश सरकार विचार कर रही है। इसके लिए विशेषज्ञों से संपर्क किया जा रहा है।
पिछले वर्ष एनसीआर में कृत्रिम बारिश की तैयारी थी लेकिन अंतिम समय बादल न होने की वजह से योजना को अंजाम नहीं दिया जा सका। मगर इस वर्ष आसमान में बादलों की मौजूदगी को देखते हुए कवायद तेज हो गई है। पर्यावरण मंत्रालय, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, इसरो के साथ योजना में एचएएल (ङ्क्षहदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड) भी शामिल है जिसे आइआइटी कानपुर के नेतृत्व में संचालित किया जाएगा। कृत्रिम बाारिश के लिए बादलों पर रसायन का छिड़काव करने के लिए इसरो से तीन से छह किलोमीटर तक की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम विशेष एयर क्राफ्ट मांगे गए हैं।
प्रदेश सरकार दिखा रही दिलचस्पी
योजना का नेतृत्व कर रहे आइआइटी-बीएचयू के पूर्व छात्र व सिविल इंजीनियरिंग विभाग-आइआइटी, कानपुर के विभागाध्यक्ष प्रो. सच्चिदानंद त्रिपाठी के मुताबिक योजना पर प्रदेश सरकार भी निगाह रखे हुए है और लगातार विशेषज्ञों के संपर्क में है। एनसीआर में योजना सफल होने पर बनारस सहित लखनऊ व कानपुर में भी कृत्रिम बारिश कराई जा सकती है।
ऐसे कराई जाती है कृत्रिम बारिश
बादलों पर एयरक्राफ्ट के माध्यम से सिल्वर आयोडाइड और सूखी बर्फ जैसे ठंडा करने वाले रसायनों का छिड़काव किया जाता है। इससे बादलों का घनत्व बढ़ जाता है और वे बर्फीले स्वरूप (आइस क्रिस्टल) में बदल जाते हैं। जब वे इतने भारी हो जाते हैं कि और कुछ देर तक आसमान में लटके नहीं रह सकते तो बारिश के रूप में बरसने लगते हैं।
आइआइटी-बीएचयू से किया था बीटेक
योजना का नेतृत्व कर रहे प्रो. सच्चिदानंद ने वर्ष 1988-92 में आइआइटी (तत्कालीन आइटी), बीएचयू से बीटेक किया था। भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर व आक्सफोर्ड से पोस्ट डाक्टरेट फेलोशिप करने के बाद वर्ष 2003 में आइआइटी-कानपुर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में अध्यापन कार्य शुरू किया और विभागाध्यक्ष बने। वे मूलरूप से आजमगढ़ के मेहनाजपुर थाना क्षेत्र स्थित विनायकी गांव के रहने वाले हैं।
बीएचयू में वायु प्रदूषण पर कार्यशाला
वायु प्रदूषण पर मंथन के लिए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में आज दुनिया भर के पर्यावरणविद् और वैज्ञानिक जुटे हैं। 5वीं एशियाई वायु प्रदूषण कार्यशाला का उद्घाटन समारोह सुबह 10 बजे विज्ञान विभाग के इंटरडिसिप्लिनरी स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज में किया गया। तीन दिवसीय कार्यशाला में देश-विदेश के 60 पर्यावरणविद् और वैज्ञानिक वायु प्रदूषण से संबंधित विषयों पर चर्चा कर रहे हैं। कार्यशाला का आयोजन प्रो. मधुलिका अग्रवाल के संयोजन में हो रहा है।