स्वस्थ समाज : अमृतादि व अस्थि श्रंखलादि दिलाएगी पीडि़तों को गठिया से आजादी
ठंड के साथ ही लोगों में गठिया की समस्या बढ़ जाती है, खासकर संधिवात, आमवात व वात रक्त गठिया से। हालांकि इन तीनों बीमारियों का आयुर्वेद में बेहतर उपचार है।
वाराणसी [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव]। ठंड के साथ ही लोगों में गठिया की समस्या बढ़ जाती है। खासकर संधिवात, आमवात व वात रक्त गठिया से। हालांकि इन तीनों बीमारियों का आयुर्वेद में बेहतर उपचार है। इसके लिए काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय में दो 'औषधियां अमृदाति व अस्थि श्रंखलादि' तैयार की गई है, जो गठिया से आजादी दिला सकती है। इससे लोगों को स्वस्थ रखने में मदद मिलेगी। इन दोनों औषधियों पर सर सुंदरलाल अस्पताल के आयुर्वेद विभाग में मरीजों पर ट्रायल भी चल रहा है। अभी तक के अध्ययन में परिणाम बेहतर आए हैं। इससे करीब 80 प्रतिशत मरीजों को लाभ मिल चुका है।
बीएचयू के काय चिकित्सा विभाग के प्रो. राजेंद्र प्रसाद के निर्देशन में दो शोध छात्राओं डा. खुशबू अग्रवाल एवं डा. रोली यादव ने इन दोनों औषधियों की इजाद की है। प्रो. प्रसाद बताते हैं अग्रेजी दवाओं से गठिया में तत्कालिक लाभ तो मिलता है, लेकिन पूर्ण से ठीक आयुर्वेद में संभव है। बताया कि यहां पर बनाई गई दोनों औषधियों में पंच तत्व का उपयोग किया गया है। डिपार्टमेंट आफ रिसर्च कमेटी से स्वीकृति मिलने के बाद आयुर्वेद फार्मेसी में इन औषधियों का बेहतर निर्माण किया गया है।
अमृतादि औषधि में यह तत्व : डा. खुशबू के अनुसार अमृतादि औषधि में गुणची, सौंठ, वरुण, गोरखू, गोरख मुंडी पांच तत्व मिलाए गए हैं। इनके चूर्ण से यह दवा बनाई गई है। इसका 60 मरीजों पर करीब डेढ़ साल से ट्रायल चल रहा है, जो आमवात गठिया में कारगर साबित हो रही है।
अस्थिश्रंखलादि में यह है तत्व : डा. रोली के अनुसार रासमा, अरंड, शतावरी, अश्वगंधा व अस्थि शृंखला तत्व को मिलाकर अस्थिश्रंखलादि औषधि का चूर्ण बनाया गया है। इसका करीब ढाई साल से मरीजों पर ट्रायल चल रहा है। जल्द ही इसकी रिपोर्ट तैयार होने वाली है।