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    पैर या हाथ के अंगूठे में दर्द हो सकता है 'गाउट', आयुर्वेद करेगा इसे 'आउट'

    By Abhishek SharmaEdited By:
    Updated: Fri, 14 Sep 2018 08:05 AM (IST)

    पैर के अंगूठे या किसी किसी को हाथ के अंगूठे से शुरू दर्द यानि गाउट एक प्रकार का आर्थराइटिस यानी जोड़ों की बीमारी है जिसमें जोड़ों में दर्द और सूजन भी ...और पढ़ें

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    पैर या हाथ के अंगूठे में दर्द हो सकता है 'गाउट', आयुर्वेद करेगा इसे 'आउट'

    वाराणसी [कृष्ण बहादुर रावत] : क्या आपके पैर या हाथ के अंगूठे में अचानक दर्द होता है। इस दौरान दर्द वाले स्थान पर लाली और गर्माहट सी महसूस हो रही है तो सावधान हो जाएं। ये 'गाउट' एक प्रकार का आर्थराइटिस यानी जोड़ों की बीमारी है जिसमें जोड़ों में दर्द और सूजन होता है। आयुर्वेद में, गाउट को वातरक्त कहा जाता है। यह अक्सर पैर के अंगूठे या किसी किसी को हाथ के अंगूठे से शुरू होता है। गाउट में जोड़ों में यूरिक एसिड से बने क्रिस्टल के जमा होने के कारण होता है। चौकाघाट स्थित राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय , वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के वैद्य अजय कुमार ने बताया की आयुर्वेद के ग्रंथों में इस बीमारी का वर्णन 'वातरक्त' नाम से लगभग सभी ग्रंथों में मिलता है। इसे वातशोणित, आढ्यवात, वातबलास, खुडवात आदि नामों से भी जाना जाता है। सुकुमार प्रकृति के व्यक्तियों एवं संपन्न लोगों को इस व्याधि से सर्वाधिक ग्रस्त पाया जाता है। 

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    गाउट होने के प्रमुख कारण

    1. मद्य-मांस का अत्यधिक सेवन।

    2. असंतुलित आहार-विहार।

    3. व्यायाम एवं परिश्रम का अभाव। 

    4. मोटापा।

    5. शोक, क्रोध, चिंता, तनाव आदि मानसिकता विकार माने जाते हैं। 

    6. अधिक तीखे चरपरे, गरम खट्टे, चिकने पदार्थ, आदि अधिक मात्रा में खाने से।

    क्या लक्षण होते हैं

    1. अचानक जोड़ों में दर्द शुरुआत होना।

    2. जोड़ में सूजन आना।

    3. प्रभावित क्षेत्र में गर्माहट महसूस होना।

    4. जोड़ो का अकड़ जाना।

    5. खून की कमी।

    6. बुखार आना।

    7. प्रभावित जगह को छूने पर बहुत दर्द होना।

    8. गाउट प्रभावित जोड़ों में लाली।

    क्या होता है और कैसे बनता है यूरिक एसिड

    अत्यधिक प्रोटीन युक्त, गलत और दूषित खान पान से रक्त में जब यूरिक एसिड एवं सोडियम यूरेट्स की मात्रा अधिक बढ़ जाती है, तब ये तत्व जोड़ों के खाली स्थानों में, कोमल ऊतकों में क्रिस्टल के रूप में जमने लगते हैं। यूरिक एसिड के अधिक इकटठे होने के कारण जोड़ों, संधियों आदि में सूजन, लालिमा, दाह, दर्द एवं जकडऩ होने लगती है। गाउट का आरंभ मुख्य रूप से छोटी अस्थि-संधियों से तथा विशेष रूप से पैर के अंगूठे की संधि से होता है। जोड़ों में पाए जाने द्रव-साइनोबियल फ्लूइड में यूरिक एसिड के रवे-क्रिसटल जमने लगते हैं, जिससे सूजन आती है। पैर के अंगूठे से आरंभ होने वाला यह रोग धीरे-धीरे एड़ी,घुटने, हथेलियों, उंगलियों तथा कुहनियों तक को अपनी चपेट में ले लेता है।

    प्रोटीन एमिनो एसिड के संयोजन से बना होता है। पाचन की प्रक्रिया के दौरान जब प्रोटीन टूटता है तो शरीर में यूरिक एसिड बनता है। विभिन्न प्रकार के रेड मीट, सी फूड, रेड वाइन, प्रोसेस्ड चीज, दाल, राजमा, मशरूम, गोभी, टमाटर, पालक आदि के अधिक मात्रा में सेवन से यूरिक एसिड बढ़ जाता है।

     

    ऐसे हो सकता है बचाव

    1. सभी खट्टा, तीखे, तला हुआ भोजन, लाल मांस, शराब और तंबाकू से बचें।

    2. उच्च प्रोटीन आहार का सेवन न करें।

    3. अत्यधिक नमक न खाएं।

    4. लहसुन, अदरक, जीरा, सौंफ़, धनिया, इलायची और दालचीनी का उपयोग करें ।

    5. डेयरी उत्पाद दूध, दही, पनीर आदि खासकर दही से बचें।

    6. नम और ठंडे स्थानों से परहेज करें।

    7. अपने वजन को नियंत्रित करने के लिए व्यायाम करें और संतुलित आहार लें।

    आयुर्वेद में है उपचार

    आयुर्वेद में औषधियों के साथ साथ इसमें पंचकर्म चिकित्सा भी बताई गयी है। इन्हें हमेशा किसी योग्य वैद्य की देखरेख में ही लेना चाहिए। औषधियो में वातरकतान्तक रस, संशमनी वटी, गुडूची सत्व, वातविध्वंसन रस, कैशोर गुग्गुल, महामंजिष्ठादी क्वाथ आदि और पंचकर्म में वस्ति मुख्य रूप से बताई गई है।