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चंदौली में उत्‍खनन के दौरान मिले अतीत के दसतावेज, तलाशे गए काफी पुराने अवशेष

चंदौली जिले में बीएचयू के प्राचीन इतिहास व पुरातत्‍व विभाग की ओर से लतीफशाह में कर्मनाशा नदी क्षेत्र के पास जारी खोदाई में काफी प्राचीन अवशेष तलाशे हैं!

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 01:14 PM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 01:49 PM (IST)
चंदौली में उत्‍खनन के दौरान मिले अतीत के दसतावेज, तलाशे गए काफी पुराने अवशेष

चंदौली, जेएनएन।  तहसील मुख्यालय के आसपास इंसानी बस्तियों के होने की पुख्ता पुष्टि विभिन्न खोजों व खुदाई में मिल रहीं। एक माह पूर्व लतीफशाह बांध स्थित कर्मनाशा नदी के किनारे बीएचयू पुरातत्व विभाग की ओर से कराई गई खोदाई में सात सौ से 3800 ईसा पूर्व की मानव सभ्यता के अवशेष मिले हैं। ऐसे में यह क्षेत्र भारतीय कला, इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व के लिए महत्वपूर्ण बन गया है। खोदाई से प्राचीन कस्बा की ऐतिहासिकता पर भी मुहर लग रही है। 

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खोदाई में मिला मिट्टी के पात्र, चाकू, कुल्हाड़ी व अन्य : पुरात्व विभाग की ओर से लतीफशाह बांध के समीप कर्मनाशा नदी के किनारे हुई खोदाई में कच्चे लोहे की भट्ठियां जो लौह अयस्क गलाने में प्रयुक्त होती थी पाई गई हैं। इसके आलावा काले व नीले रंग के लोहे व मिट्टी के पात्र, चाकू, कुल्हाड़ी, हंसिया, हथौड़ी, छेनी, बाली, हड्डियों के औजार, पत्थरों के उपकरण जैसे लोढ़ा, सील आदि पाए गए हैं। 

पूर्व में मिली थीं मानवकृत पत्थरों पर उकेरी पाषाण कलाएं : विंध्य पर्वत मालाओं की गोद में बसे क्षेत्र में पौराणिक, सांस्कृतिक व पुरातात्विक प्रासंगिकताओं से सजे काशी वन्य जीव प्रभाग का विशाल क्षेत्र फैला हुआ है। राजा देव पहाड़ी, महतो कुंड, भीषमपुर, मुबारकपुर आदि स्थानों की पहाड़ियों पर मानव कृत पत्थरों पर उकेरी हुई पाषाण कलाएं मिल चुकी हैं। करीब 12 वर्ष पूर्व घुरहूपुर पहाड़ी पर स्थित गुफाओं में भी बौद्ध कालीन भित्तिचित्र पाए गए थे। 

प्राचीन इंसानी बस्तियाें की मिल रही प्रमाणिकता : खुदाई अभियान के डायरेक्टर प्रोफेसर प्रभाकर उपाध्याय की मानें तो खुुदाई में चार हजार वर्ष पूर्व पुरानी सभ्यता के निशान मिले हैं। साढ़े चार मीटर तक की खुदाई में 50 लोहे की भठ्ठियां जो लौह अयस्क को गलाने में प्रयुक्त होती थीं, पाई गई हैं। विभाग के अनुसार आने वाले दिनों में मंगरौर गांव के समीप प्राचीन मामा मारीच के मंदिर के आसपास खुदाई की जाएगी। रिवायत (सभ्यता) की इबारत लिखती कर्मनाशा, चंद्रप्रभा नदियां सिर्फ कृषि के ही कार्य नहीं आती बल्कि इन नदियों के कछार (किनारे) बसे सैकड़ों गांव व विंध्य की पहाड़िया यहां की प्राचीन इंसानी बस्तियों को प्रामाणिकता प्रदान करती हैं।


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