पुरातत्व विभाग ने नई दिल्ली भेजा अवैध निर्माण का कच्चा चिट्ठा, शिकायतों की मय तस्वीर भेजे दस्तावेज
महात्मा बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ स्थित पुरातात्विक धरोहर के निषिद्ध क्षेत्र में हाल के वर्षों में तन गईं इमारतें पुुलिस-प्रशासन के गले की हड्डी बन सकती हैैं।
वाराणसी [प्रमोद यादव]। महात्मा बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ स्थित पुरातात्विक धरोहर के निषिद्ध क्षेत्र में हाल के वर्षों में तन गईं इमारतें पुुलिस-प्रशासन के गले की हड्डी बन सकती हैैं। विश्व विख्यात पुरा स्थल के निषिद्ध क्षेत्र में अवैध निर्माण के संबंध में शिकायतों की अनदेखी से क्षुब्ध भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इसका पूरा काला चिट्ठा महानिदेशालय को भेज दिया है। इसमें पुरा स्थल के 300 मीटर ही नहीं सौ मीटर तक के दायरे में इस साल मनमाने तरीके से किए गए निर्माण की सूची के साथ ही पुलिस-प्रशासन और वीडीए से की गई शिकायत की प्रति मय तस्वीर भेजी गई है। पूर्व के वर्षों के ऐसे दस्तावेज भी चिंता जताते हुए रिमाइंडर के तौर पर प्रेषित किए गए हैैं। इनमें वर्ष 2017 के 70 और वर्ष 2018 के 75 अवैध निर्माण हैैं जो रोक -छेक और शिकायत के बाद भी बन गए।
लाचार महकमा
वास्तव में निषिद्ध क्षेत्र में निर्माण की स्थिति में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से संबंधित को कारण बताओ नोटिस दी जाती है। चित्र के साथ इसकी प्रति स्थानीय पुलिस के साथ ही वीडीए व प्रशासन को भी कार्रवाई के लिए भेजी जाती है। इससे नई दिल्ली स्थित मुख्यालय को भी अवगत कराया जाता है जहां से महानिदेशक की ओर से प्रशासन ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के लिए नोटिस जारी की जाती है। इतना सब होने के बाद भी संबंधित महकमे कान में तेल डाले रहे जिससे अतिक्रमणकारियों को शह मिलती रही। इससे निषिद्ध क्षेत्र में सैकड़ों मकान तो बने ही उन्हें मनमाने तरीके से विस्तार भी दिया जाता रहा।
कर्मचारियों से शपथ पत्र
एएसआइ कर्मियों की अतिक्रमणकारियों से किसी तरह की सांठगांठ रोकने के लिए शपथ पत्र लेने का प्रावधान किया गया है। इसमें मेरे स्मारक के पास कोई नया निर्माण नहीं हुआ है लिखवाने की व्यवस्था है। अधीक्षण पुरातत्वविद् डा. नीरज सिन्हा के अनुसार आंतरिक व्यवस्था तो दुरूस्त कर ली गई लेकिन कोई सुरक्षा बल न होने से महकमा असहाय स्थिति में है। ऐसे में सचित्र शिकायत के साथ इससे मुख्यालय को भी अवगत कराया गया है।
विश्व धरोहर बनाने पर चल रहा काम
वास्तव में सारनाथ को विश्व धरोहर के रूप में यूनेस्को की सूची में शामिल कराने की प्रक्रिया चल रही है। इसमें संबंधित क्षेत्र में किसी तरह का परिवर्तन कवायद में पलीता लगा सकता है। इससे एएसआइ की सांसें टंगी हुई हैैं।
जेल व जुर्माना का प्रावधान
केंद्रीय संरक्षित स्मारकों और उनके परिवेश को सुरक्षित रखने के लिए प्राचीन स्मारक एवं पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम 2010 के तहत संरक्षित स्मारक की चारों दिशाओं में न्यूनतम 100 मीटर क्षेत्र में निमार्ण प्रतिबंधित घोषित है। इसमें किसी भी प्रकार का नवनिर्माण व खनन कार्य प्रतिबंधित है। प्रतिबंधित क्षेत्र की चारों दिशाओं में 200 मीटर विनियमित क्षेत्र घोषित है। प्रतिबंधित क्षेत्र में निर्मित भवनों की मरम्मत एवं जीर्णोद्धार और विनियमित क्षेत्र में किसी भी प्रकार के नवनिर्माण के लिए पुरातत्व विभाग से अनुमति लेनी होती है। इसमें किसी भी प्रकार के अनाधिकृत निर्माण के दोषी व्यक्ति को जुर्माना, जेल या दोनों सजा का प्रावधान है।