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बाइबिल से टूटे बेंसेंट के मन को मिला काशी और गीता से सहारा, काशी में ही प्रवाहित की गईं अस्थियां

श्रीमती एनी वुड बेसेंट जिन्होंने महामना मदन मोहन मालवीय के साथ मिलकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और काशी में महिलाओं की शिक्षा के लिए भी अनेक स्कूल कालेज खड़े किए। उन महान पुण्यात्मा की आज 20 सितंबर को पुण्यतिथि है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 20 Sep 2021 10:19 AM (IST)Updated: Mon, 20 Sep 2021 10:19 AM (IST)
बाइबिल से टूटे बेंसेंट के मन को मिला काशी और गीता से सहारा, काशी में ही प्रवाहित की गईं अस्थियां
श्रीमती एनी वुड बेसेंट ने महामना मदन मोहन मालवीय के साथ मिलकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना में भूमिका निभाई।

वाराणसी [शैलेश अस्थाना]। जन्म से आयरिश, विवाह से ब्रिटिश, धर्म-आस्था और बाइबिल से टूट कर दूर हो चुके मन में काशी और गीता ने आस्था का वह भाव भरा कि एक प्रखर विदेशी विदुषी सनातन धर्म की सजग प्रहरी और प्रचारक बन गईं। अपना पूरा जीवन भारत की स्वतंत्रता, धर्म, समाज सुधार और शिक्षा को उन्होंने समर्पित कर दिया। धर्म और अध्यात्म को गहराई से समझने के बाद अंत में जब मद्रास में निधन हुआ तो उनकी इच्छानुसार मोक्ष प्राप्ति की कामना से उनकी अस्थियों को काशी लाकर गंगा में प्रवाहित किया गया।

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हम बात कर रहे हैं थियोसोफिकल सोसायटी की अध्यक्ष रही श्रीमती एनी वुड बेसेंट की, जिन्होंने महामना मदन मोहन मालवीय के साथ मिलकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और काशी में महिलाओं की शिक्षा के लिए भी अनेक स्कूल कालेज खड़े किए। उन महान पुण्यात्मा की आज 20 सितंबर को पुण्यतिथि है। आयरलैंड से भारत तक के सफर में बदल गया कलेवर भारत से खासा लगाव रखने वाली श्रीमती बेसेंट का जन्म 01 अक्टूबर 1847 को ब्रिटेन में हुआ था। जब वह पांच वर्ष की थीं तभी चिकित्सक पिता का निधन हो गया। उनकी मां आयरलैंड की थीं। मेरियट के संरक्षण में फ्रांस और जर्मनी आदि अनेक देशों में उनका जीवन बीता और शिक्षा-दीक्षा हुई। युवा होने पर एक पादरी युवक रेवरेंड फ्रैंक से उनका विवाह तो हुआ लेकिन वैचारिक मतभेद के चलते 1873 में उन्होंने तलाक ले लिया। उनके दोनों बच्चे कोर्ट के आदेश से पिता के पास रह गए। इससे इसाइयत, बाइबिल और ब्रिटेन के कानून से उनका हृदय टूट गया। भारतीय थियोसोफिकल सोसाइटी के एक सदस्य से परिचय होने पर 1893 में वह मद्रास पहुंचीं।

यहां आने के बाद उन्होंने पूरे देश का भ्रमण कर भारतीय समाज को देखा। ब्रिटिश हुकूमत की क्रूरता का एहसास किया। भारतीयों के हित के लिए संघर्ष करने की जिद पाली और मरते दम तक भारतीयता के कलेवर को जिया। काशी में हिंदू धर्म-शास्त्रों का अध्ययन करने के बाद सनातन धर्म के प्रति उनकी आस्था दृढ़ से दृढ़तर होती चली गई।महात्मा गांधी ने दिया बसंत नाम भारत और भारतीयता के प्रति एनी वुड बेसेंट के गहरे लगाव को देखते हुए महात्मा गांधी ने उनको हिंदी में बसंत नाम दिया। इस प्रकार वह बेसेंट से बसंत हो गईं। उनके ही नाम पर वाराणसी में दो बसंत कन्या महाविद्यालय स्थापित हैं।काशी के लिए योगदान काशी में लंबे समय तक वह रहीं और यहां शिक्षा के प्रसार में जुट गईं। यहीं उन्होंने 1898 में में सेंट्रल हिंदू कालेज की स्थापना की, जो बाद में काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना का बीज बना। महामना मालवीय के साथ मिलकर उन्होंने बीएचयू की स्थापना में अप्रतिम योगदान दिया। 20 सितंबर को 1933 को मद्रास में उनका निधन हो गया। हिंदू धर्म में उनकी आस्था थी लिहाजा मां गंगा के आंचल में ही उनकी अस्थियां प्रवाहित की गईं।भागवतगीता का किया अंग्रेजी अनुवाद वह समाज सुधारक होने के साथ एक लेखिका भी थीं। भगवद्गीता से लगाव था जिसका उन्होंने अंग्रेजी-अनुवाद भी किया। पहले विश्व युद्ध के दौरान वर्ष 1914 में एनी ने साप्ताहिक समाचार पत्र ‘कामनविल’ की स्थापना की।

इसी वर्ष उन्होंने 'मद्रास स्टैंडर्ड' को खरीद कर उसे 'न्यू इंडिया' नाम दिया। समाज सुधार के कार्यक्रम भारत में फैली सामाजिक बुराइयों जैसे बाल विवाह, जाति व्यवस्था, विधवा विवाह आदि को दूर करने के लिए बेसेंट ने 'ब्रदर्स ऑफ सर्विस' संस्था बनाई। खुले विचारों वाली एनी बेसेंट हर बुराई के खिलाफ खुलकर आवाज उठाती थीं। हिंदुत्व के बिना भारत का कोई भविष्य नहीं श्रीमती बेसेंट ने कहा था कि विश्व के महान धर्मों का 40 वर्षों तक अध्ययन करने के बाद मैंने पाया कि कोई भी धर्म हिंदू धर्म की तरह ना तो उत्तम है, ना ही बहुत वैज्ञानिक है, ना ही आध्यात्मिक है, और ना ही उसका दर्शन श्रेष्ठ है। आप जितना अधिक हिंदू धर्म को जानेंगे, आप और अधिक उसे प्यार करेंगे। आप जितना समझने की कोशिश करेंगे, उतना ही उसके मूल्यों को गहराई तक जानेंगे। बगैर हिंदुत्व के भारत का कोई भविष्य नहीं है। भारत ही भारत को बचा सकता है और भारत और हिंदुत्व एक है। 


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