मां अन्नपूर्णा को समर्पित 17 दिनी महाव्रत का आज से श्रीगणेश, धान की बालियों से सजेगा अन्नपूर्णेश्वरी दरबार
सात वार नौ त्योहार की मान्यता वाली नगरी काशी में अन्नपूर्णा दरबार में रविवार यानी 17 नवंबर से अनूठा 17 दिनी व्रत महोत्सव शुरू होने जा रहा है।
वाराणसी, जेएनएन। सात वार नौ त्योहार की मान्यता वाली नगरी काशी में अन्नपूर्णा दरबार में रविवार यानी 17 नवंबर से अनूठा 17 दिनी व्रत महोत्सव शुरू होने जा रहा है। इसमें महिला-पुरुष श्रद्धालु बांह पर 17 गांठ का धागा दाएं हाथ में पहनते हैैं और व्रत पर्यंत एक समय फलाहार करते हैैं। मनोकामना पूर्ति के लिए माता दरबार में फेरी लगाते हैैं और 17वें दिन समापन पर गर्भगृह समेत पूरा परिसर धान की बालियों से सजाया जाता है।
इसके लिए पूर्वांचल के किसान पहली फसल समर्पित ले आते हैैं और अन्न धन का वरदान लेकर जाते हैैं। इस बार समापन दो दिसंबर को होगा, आरंभ के साथ ही गांव-गांव से बालियां आने भी लगी हैैं। महंत रामेश्वर पुरी ने बताया कि मां अन्नपूर्णा को समर्पित 17 दिनी व्रत करने से परिवारिक सुख-शांति के साथ बनी रहती है और भय-बाधाएं दूर होती हैैं।
पुराणों में अन्नपूर्णा महाव्रत का उल्लेख : श्रीकाशी विद्वत परिषद के मंत्री डा. राम नारायण द्विवेदी के अनुसार अन्नपूर्णा व्रत की कथा का उल्लेख भविष्योत्तर पुराण में मिलता है। इसका वर्णन त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने किया तो द्वापर में भगवान श्रीकृष्ण ने भी इससे संबंधित उपदेश दिया। काशी रहस्य में कहा गया है कि - अहो भवानी सदने निषीदतां प्रदक्षिणी कृत्य तथा यथा सुखम, न तत्सुखं योग-यागादि साध्यं अंबापुर: प्राण भृपदाति। अर्थात जो सुख योग-याग आदि से भी प्राप्त नहीं है वह भगवती अन्नपूर्णा के मंदिर में जाकर बैठने वालों और उस मंदिर की पैदल प्रदक्षिणा करने वाले प्राणियों को प्राप्त हो जाती है।