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श्रीराम मंदिर भूमि पूजन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट करेंगे पीले रंग के ताने व लाल बाने से बना अंगवस्त्रम

अयोध्या श्रीराम मंदिर भूमि पूजन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अभिनंदन के लिए काशी के कारीगरों ने श्रीराम लिखा (कैलीग्राफी) अंगवस्त्रम तैयार किया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 10:09 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 10:55 PM (IST)
श्रीराम मंदिर भूमि पूजन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट करेंगे पीले रंग के ताने व लाल बाने से बना अंगवस्त्रम
श्रीराम मंदिर भूमि पूजन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट करेंगे पीले रंग के ताने व लाल बाने से बना अंगवस्त्रम

वाराणसी, जेएनएन। अयोध्या श्रीराम मंदिर भूमि पूजन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अभिनंदन के लिए काशी के कारीगरों ने श्रीराम लिखा (कैलीग्राफी) अंगवस्त्रम तैयार किया है। इस पर जय श्री राम अयोध्या पवित्र धाम अंकित है। छाही गांव, सारनाथ के बुनकर बच्चा लाल मौर्या ने यह अंगवस्त्रम् तैयार किया है।
कैलीग्राफी विधि से बना है यह ऐतिहासिक अंगवस्त्रम् जिसे तैयार करने में लगभग 15 दिन का समय लगा। इसकी डिजाइन, नक्शा, पत्ता, ताना बाना, तैयार कर के फिर बुनाई शुरू हुई थी। पीले रंग के ताने से लाल बाना के द्वारा, हैंडलूम से बीन कर 22 इंच गुणे 72 इंच साइज में बनाया गया। कमिश्नर से आग्रह किया गया है कि इस अंगवस्त्रम् को मुख्यमंत्री तक भेजवा दिया जाए। ताकि पांच अगस्त के ऐतिहासिक दिन काशी के अंगवस्त्रम् से भगवान श्रीराम के उत्सव में शामिल होने पर प्रधानमंत्री का अभिनंदन किया जाए। काशी से अयोध्या का सदियों का नाता है, जो पांच अगस्त को भी चरितार्थ होगा।

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खास को आ रहा रास, ब्रांड बनारस में कैलीग्राफी यानी अंगवस्त्रम का बढ़ने लगा ग्राफ

ब्रांड बनारस में अब कैलीग्राफी युक्त अंगवस्त्रम की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। इस कला को प्रोत्साहित किया जा रहा है। विगत कई विशिष्ट आयोजनों में देश-विदेश के राजनीतिक हस्तियों को कैलीग्राफी वाले अंगवस्त्रम दिया गया। बनारस अपनी प्राचीन विविधताओं के कारण से पूरी दुनिया में जाना जाता है। यहां की कई प्रकार के हस्तशिल्प की मांग व लोकप्रियता हैं। कैलीग्राफी विधि से मंत्रों, श्लोक, दोहा, भजन और धार्मिक आयतों को उकेरा गया है। साड़ी के अलावा बहुत पुराने समय से बनारस में कैलीग्राफी का चलन रहा लेकिन कुछ ही विशिष्ट श्रेणी के ही बुनकर इस विधा में बचे है। जिसमें सारनाथ के छाही गांव के मास्टर बुनकर बच्चे लाल मौर्या प्रमुख है। गत दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिए अंगवस्त्रम में वंदेमातरम, गीता के श्लोक को कैलीग्राफी विधि से उभारा गया। इसे पंद्रह दिन के कठिन परिश्रम से कॉटन का ताना और सिल्क के बाना पर बुना हैं। इसके पूर्व में भी राष्ट्रीय हथकरघा दिवस 2015 के उद्घाटन समारोह में चैन्नई में कबीर भजन का अंगवस्त्र बच्चे लाल ने बनाया था। तत्कालीन वस्त्र मंत्री संतोष गंगवार ने प्रधानमंत्री को दिए थे। उसके बाद जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे को बापू के भजन वैष्णव जन के तेने कहिए व जर्मन राष्ट्रपति फ्रैंक वॉल्टर को बुद्धम शरणम गच्छामि कैलीग्राफी का अंगवस्त्रम दिया गया।

वैदिक काल में भी हाथ से बुनने की परंपरा में भी काशी रहा अग्रणी

जीआइ विशेषज्ञ डा. रजनीकांत ने कहा कि प्राचीन कैलीग्राफी शैली में कुरान की आयतों, बुद्ध और जैन धर्म के मंत्रों को भी काशी में बुना गया है। वैदिक काल में भी हाथ से बुनने की परंपरा में भी काशी अग्रणी रहा है। कालांतर में चल कर यह और भी तरह के बुनाई उत्पादों में परिवर्तित होता गया। इस प्रयास से काशी की बुनाई विशिष्टता को पुन: स्थापित किया जा रहा है।

गीत गोविंद के कुछ अंश साड़ी में उकेरा गया

जयदेव की काव्य रचना गीत गोविंद के कुछ अंश को साडिय़ों में काफी समय पूर्व कैलीग्राफी के माध्यम से उकेरा गया। पीतांबरी, श्वेतांबरी व नीलांबरी साडिय़ों में भी कैलीग्राफी किया गया है। इस प्राचीन कला को यहां के कारोबारियों ने छुपाए रखा जिससे दुनिया के समक्ष ठीक से उभरा नहीं। कलाकार भी सामने नहीं आ पाए और यह विलुप्त होने लगा। एक बार फिर लोग इसे देखने-समझने लगे हैं। प्रवासी सम्मेलन में इसकी ठीक से प्रोमोशन किया जाए तो ब्रांड बनारस को चार चांद लग जाएगा।

क्या है कैलीग्राफी

कैलीग्राफी अथवा अक्षरांकन लिखने की एक दृश्यात्मक शैली है। यह चौड़े नोक वाले लेख उपकरणों जैसे कि ब्रश आदि के द्वारा अक्षरों को एक पटल पर उभारने की कला है। संकेतों को एक अर्थपूर्ण, सुव्यवस्थित और कौशलपूर्ण तरीके से आकार प्रदान करने की कला कला कैलीग्राफी है।


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